Mother's Day 2020: भारत समेत दुनिया के कई हिस्सों में हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे (Mother's Day) मनाया जाता है. इस बार मांओं को समर्पित यह दिन 10 मई को है. हमारी एक मुस्कान के लिए अपना सब कुछ गंवा देने को तैयार मां है ही ऐसी कि उसके नाम एक दिन तो क्या पूरी जिंदगी भी कर दी जाए तो कम है. हम कितनी ही परेशानी में क्यों न हों, लेकिन अगर उस एक पल मां का आंचल मिल जाए तो रूह को सुकून मिल जाता है. बच्चा चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो और खुद बच्चों का अभिभावक ही क्यों न बन जाए लेकिन तब भी अपनी मां के लिए वो छोटा बच्चा ही रहता है. एक ऐसा बच्चा जिसे हर वक्त मां की ज़रूरत है. यही वजह है कि बड़े-बड़े शायरों ने अपनी शायरी में मां का जिक्र बार-बार किया है. मदर्स डे के मौके पर पढ़िए मां के नाम समर्पित ऐसी ही भावुक शायरी:
हालात बुरे थे मगर अमीर बनाकर रखती थी,
हम गरीब थे, ये बस हमारी माँ जानती थी…
-मुनव्वर राना
भारी बोझ पहाड़ सा कुछ हल्का हो जाए
जब मेरी चिंता बढ़े माँ सपने में आए
-अख़्तर नज़्मी
मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार
दुख ने दुख से बातें की बिन चिट्ठी बिन तार
-निदा फ़ाज़ली
न जाने क्यों आज अपना ही घर मुझे अनजान सा लगता है,
तेरे जाने के बाद ये घर; घर नहीं खाली मकान सा लगता है
- अज्ञात
माँ की अज़मत से अच्छा जाम क्या होगा,
माँ की खिदमत से अच्छा काम क्या होगा,
ख़ुदा ने रख दी हो जिसके कदमों में जन्नत,
सोचो उसके सर का मुकाम क्या होगा.
- अज्ञात
ऐ मेरे मालिक...
तूने गुल को गुलशन में जगह दी,
पानी को दरिया में जगह दी,
पंछियों को आसमान मे जगह दी,
तू उस शख्स को जन्नत में जगह देना,
जिसने मुझे नौ महीने पेट में जगह दी...
- अज्ञात
माँ की एक दुआ जिन्दगी बना देगी,
खुद रोएगी मगर तुम्हें हंसा देगी…
कभी भूल के भी ना मां को रुलाना,
एक छोटी सी गलती पूरा अर्श हिला देगी…
- अज्ञात
कौन सी है वो चीज़ जो यहां नहीं मिलती,
सब कुछ मिल जाता है लेकिन माँ नहीं मिलती…
माँ-बाप ऐसे होते हैं दोस्तों जो ज़िन्दगी में फिर नहीं मिलते,
खुश रखा करो उनको फिर देखो जन्नत कहां नहीं मिलती.
- अज्ञात
बच्चों को खिलाकर जब सुला देती है माँ,
तब जाकर थोड़ा सा सुकून पाती है माँ,
प्यार कहते हैं किसे? और ममता क्या चीज़ है?,
कोई उन बच्चों से पूछे जिनकी गुज़र जाती है माँ,
चाहे हम खुशियों में माँ को भूल जाएं ,
जब मुसीबत सर पर आती है तो याद आती है माँ.
- अज्ञात
मंजिल दूर और सफ़र बहुत है,
छोटी सी ज़िन्दगी की फिकर बहुत है,
मार डालती ये दुनिया कब की हमें,
लेकिन माँ की दुआओं में असर बहुत हैं….
- अज्ञात
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