
बढ़ते प्रदूषण और बदलती लाइफस्टाइल की वजह से बच्चे अस्थमा के शिकार हो रहे हैं
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एलर्जी के खतरे को कम करने के लिए बच्चों के खान-पान पर ध्यान देना जरूरी
बादाम, मछली और सोयाबीन में मौजूद तत्व अस्थमा से दूर रखते हैं
बढ़ते प्रदूषण और बदलती लाइफस्टाइल से एलर्जी का खतरा बढ़ गया है
शोध के परिणाम बताते हैं कि पॉलीअनसेचुरेटेड फैट अम्लों की खून में बढ़ी मात्रा बच्चों में एलर्जी संबंधी बीमारियों के खतरे को कम करने से जुड़ी हुई है. पॉलीअनसेचुरेड फैट अम्ल में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटअम्ल आते हैं, जिन्हें एराकिडोनिक अम्ल कहते हैं.
ऐसे बच्चों में, जिनमें आठ साल की उम्र में ओमेगा 3 का हाई ब्लड लेवल होता है, उनमें 16 साल की उम्र में अस्थमा, नाक में जलन और श्लेष्मा झिल्ली में एलर्जी होने का खतरा कम रहता है. ओमेगा-6 फैट अम्ल (इसे एराकिडोनिक अम्ल कहते हैं) 16 साल की उम्र में अस्थमा के खतरे को कम करते हैं.

स्वीडेन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट की शोधकर्ता एना बर्गस्ट्रोम ने कहा, 'चूंकि एलर्जी की अक्सर शुरुआत बचपन के दौरान होती है, ऐसे में इस शोध का मकसद पर्यावरण और लाइफस्टाइल का एलर्जी संबंधी बीमारियों पर असर देखना था.'
VIDEO: जानिए क्यों होता है अस्थमा? Input: IANS
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