Parenting Tips: छोटी उम्र से ही बच्चों को अलग सुलाने की आदत ना डाली जाए तो बच्चे बड़े होते-होते भी अकेले नहीं सोना चाहते हैं. 10 साल ऐसी उम्र मानी जाती है जिसमें बच्चों को पैरेंट्स से अलग ही सोना चाहिए. लेकिन, अगर बच्चा अब भी अकेला नहीं सोना चाहता और पैरेंट्स के साथ ही सोना चाहता है तो इससे माता-पिता (Parents) की दिक्कतें भी बढ़ जाती हैं. पति-पत्नी को अपने लिए निजी समय नहीं मिल पाता और बच्चे को भी अकेले सोने की आदत नहीं होती जिससे वह रिश्तेदारों वगैरह के यहां जाकर भी पैरेंट्स के बीच में सोने की ही जिद करने लगता है. कई बार तो माता-पिता के लिए बच्चे को उसके दादा-नानी के पास छोड़कर आना भी मुसीबत का सबब बन जाता है. ऐसे में यहां जानिए बच्चे को पैरेंट्स से अलग और अकेले सोना किस तरह सिखाया जा सकता है.
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कैसे सिखाएं बच्चों को अकेले सोना | How To Teach Children To Sleep Alone
कंसिस्टेंट होना है जरूरीअक्सर देखा जाता है कि माता-पिता एक या 2 दिन तो बच्चे को अकेले सोने के लिए उसके कमरे में भेज देते हैं लेकिन फिर उसका उदास चेहरा या रोना देखकर उसे फिर अपने साथ सुलाना शुरू कर देते हैं. ऐसा करने पर बच्चे को अकेले सोने की आदत लगती ही नहीं है. इसीलिए रोजाना कंसिस्टेंट होना बेहद जरूरी है.
बच्चे को माता-पिता के कमरे में सोने के बजाय उसके खुद के कमरे में सोने की आदत लगाने के लिए उसके कमरे को खूबसूरत बनाने और सजाने पर ध्यान दें. बच्चे का कमरा (Child's Room) सजा हुआ रहेगा, उसके सोने के लिए अलग कपड़े होंगे, सुंदर बेडशीट बिछी होगी और कोई सॉफ्ट टोय दिया जाएगा तो यकीनन बच्चे को अकेले सोने की आदत लग जाएगी.
कई बार बच्चों को डांट-डंपटकर अकेले सोने के लिए भेजने के बजाय अगर उसे प्यार से समझाया जाए या बातचीत की जाए तो बच्चे को अकेले सोने के लिए मनाया जा सकता है. बच्चे को समझाएं कि उसका अकेले सोना उसके बड़े होने की तरफ एक कदम है और इसीलिए उसका अकेले सोना जरूरी है. बच्चे को यह भी समझाएं कि पैरेंट्स को भी अकेले वक्त बिताने (Privacy) की जरूरत है.
बच्चे को अपने कमरे से सिर्फ सोने के लिए ही उसके कमरे में ना भेजें बल्कि बच्चे के कमरे में ही बेडटाइम बिताएं. खाना खाने के बाद बच्चे के कमरे में कुछ समय बिताया जा सकता है. आप बच्चे से उसके कमरे में बैठकर बातें कर सकते हैं, उसे कहानियां सुना सकते हैं या फिर गेम्स वगैरह खेल सकते हैं. ऐसे में थककर बच्चा बिना परेशानी अपने कमरे में ही सो जाएगा.
कई बार बच्चों को सेपरेशन एंजाइटी (Separation Anxiety) होने लगती है. बच्चे माता-पिता से अलग होने से डरते हैं, अलग सोने से डरते हैं, इस बात से घबराते हैं कि रात में नींद खुलेगी और मम्मी-पापा पास नहीं होंगे तो क्या होगा. ऐसे में सेपरेशन एंजाइटी से बच्चे को निकालने के लिए उसे प्यार से समझाया जा सकता है. कोशिश करें कि आप किसी चीज को बच्चे पर थोपें नहीं. आप चाहे तो पीडियाट्रिशियन की सलाह भी ले सकते हैं.