बच्चे पर परफॉर्मेंस का प्रेशर बनाना माता-पिता की सेहत पर भी डालता है बुरा असर, जानिए कैसे करें मैनेज 

माता-पिता अक्सर ही बच्चे को अच्छी परवरिश देने के लिए जरूरत से ज्यादा जद्दोजहद करने लगते हैं जो ना सिर्फ बच्चे के लिए बल्कि खुद माता-पिता के लिए भी तनावपूर्ण होने लगता है. ऐसे में बच्चों पर प्रेशर किस तरह कम करें और खुद की सेहत को प्रभावित होने से कैसे रोंके, यह जान लेना जरूरी है.

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बच्चे पर परफॉर्मेंस का प्रेशर बनाना माता-पिता की सेहत पर भी डालता है बुरा असर, जानिए कैसे करें मैनेज 
पैरेंटिंग माता-पिता के लिए हो सकती है तनावपूर्ण. 

Parenting- माता-पिता होना कोई आसान काम नहीं है. बच्चे के जन्म के बाद से ही उसे क्या खिलाना है, क्या चीजें देनी हैं, कौनसे गुण सिखाने हैं, किस तरह की परवरिश उसे देनी है और पढ़ाई-लिखाई समेत उनकी किस कला को निखारना है जैसी कितनी ही बातों का ध्यान रखना पड़ता है. जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है वैसै-वैसे उसपर नई चीजें सीखते रहने और अच्छा प्रदर्शन करने का प्रेशर बनाया जाने लगता है. माता-पिता (Parents) की कोशिश रहती है कि उनका बच्चा बाकी सभी बच्चों से आगे निकले, चाहे रेस अच्छे नंबरों की हो या फिर जीवन की. ऐसे में बच्चा तो तनाव (Stress) लेता ही है साथ ही पैरेंट्स खुद भी मानसिक रूप से तनावग्रस्त रहने लगते हैं. यहां जानिए किस तरह इस स्थिति को मैनेज किया जा सकता है और कैसे माता-पिता पैरेंटिंग के तनाव को मैनेज कर सकते हैं. 

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माता-पिता बच्चों का और अपना तनाव कैसे करें कम 

परफेक्शन के पीछे ना भागना - आप जितना ज्यादा बच्चे की परफेक्शन के पीछे भागेंगे उतना ही उसपर तनाव पड़ेगा. जब बच्चा अपना बेस्ट नहीं दे सकेगा या पैरेंट्स की आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सकेगा तो पैरेंट्स खुद स्ट्रेस लेने लगेंगे. ऐसे में बच्चों को परफेक्शन के पीछे भगाने के बजाय उन्हें उनका बेस्ट देने के लिए कहें. 

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बातों को समझना और समझाना - कई बार पैरेंट्स की सबसे बड़ी चिंता यह रहती है कि बच्चा उनकी बात नहीं समझता या फिर उनके कहेनुसार पढ़ाई नहीं करता. वहीं, बच्चा कहता है उसके माता-पिता उसे कभी समझने की कोशिश ही नहीं करते. ऐसे में पैरेंट्स के लिए जरूरी है कि वे बैठकर बात करें और कोई रास्ता ढूंढे, बजाय अपने ही बच्चे के साथ दूरी गहराने के. 

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गलतियां सुधारने का मौका दें - बच्चे को अपनी गलतियां सुधारने का मौका मिलना चाहिए. बच्चा अगर किसी काम को करता है तो उससे यह उम्मीद नहीं लगानी चाहिए कि वह पहली बार में ही सौ में से सौ नंबर लेकर आएगा या सबसे आगे निकल जाएगा. अगर बच्चा किसी काम को करते हुए कोई गलती करता है तो उसे उस गलती को सुधारने का मौका मिलना चाहिए. इससे बच्चा घबराहट और एंजाइंटी (Anxiety) जैसी दिक्कतों से भी दूर रहेगा. 

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अपना उदाहरण उनपर थोपें नहीं - कई बार पैरेंट्स बच्चे की परवरिश यह कहते हुए करते हैं कि हमारे साथ भी यही हुआ था या हमने भी तो यही किया था. तुलनात्मक रवैया बच्चे के मन को कचोटता है. यह बात आपको खुद भी समझनी होगी कि सभी अलग होते हैं और सबके अनुभव भी अलग होते हैं. समय के साथ परवरिश के तरीके में भी बदलाव होता है जो तनाव, एंजाइटी, दुख और अलगाव को दूर करने के लिए अच्छा भी है. 

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