Father's Day 2024: जिंदगी की ये 5 बातें सिर्फ पापा से ही सीख सकते हैं आप, फादर्स डे पर उन्हें जरूर कहें थैंक यू

बच्चे अपने माता-पिता दोनों से ही बहुत सी बातें जानना और समझना शुरू करते हैं. लेकिन, ऐसे कुछ काम हैं या कहें जिंदगी की ऐसी कुछ बातें हैं जो एक पिता ही बच्चे को सिखा सकता है. 

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इस साल 16 जून के दिन मनाया जाएगा फादर्स डे. 
नई दिल्ली:

पापा बच्चों के सुपरहीरो होते हैं. बच्चों की जिंदगी में पापा की जो जगह है उसे कोई नहीं ले सकता है. पापा एक ऐसे इंसान हैं जो बारिश में छाते की तरह और धूप में पेड़ की तरह बच्चों को हर मुश्किल से बचाए रखते हैं, प्रोटेक्ट करते हैं. पिता के इसी समर्पण और प्रेम को सम्मान देने के लिए और उन्हें थैंक्यू कहने के लिए हर साल जून के तीसरे रविवार के दिन फादर्स डे (Father's Day) मनाया जाता है. इस साल यह दिन 16 जून के दिन मनाया जा रहा है. फादर्स डे पर यूं आप पापा को गिफ्ट दे सकते हैं, उनके साथ कहीं घूमने निकल सकते हैं या फिर उन्हें फादर्स डे के मैसेजेस (Father's Day Messages) भेज सकते हैं. पापा अपने बच्चों के लिए कितना कुछ करते हैं और साथ ही जाने-अनजाने में बच्चों को जीवन की वो बातें बता देते हैं जो बच्चे सिर्फ अपने पिता से ही सीख सकते हैं. आप भी जानिए कौनसी हैं ये सीख (Life Lesson) जिनके लिए आप पापा को शुक्रिया कह सकते हैं. 

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सिर्फ पापा सिखा सकते हैं जीवन की ये 5 बातें | 5 Things Only A Father Can Teach 

जिम्मेदारी से ना भागना - चाहे सामने कितनी ही बड़ी मुश्किल क्यों ना हो, पापा ऐसे शख्स हैं जो मुश्किलों से नहीं भागते. घर में चाहे कितने ही व्यक्ति कमाते हों लेकिन सबसे ज्यादा जिम्मेदारियां बिना कहे ही पापा अपने सिर पर उठाए रखते हैं. बच्चों ही नहीं बल्कि अपनी पत्नी, अपने माता-पिता, भाई-बहन और कई बार अन्य रिश्तेदारों की जिम्मेदारी तक पापा अपने कंधों पर ले लेते हैं. स्थिति कुछ भी हो लेकिन पापा इन जिम्मेदारियों से भागते नहीं हैं. 

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सुनने वाला इंसान बनना - हम अक्सर ही देखते हैं कि कितने ही चुटकुले इस बात पर बनते हैं कि मम्मी सिर्फ बोलती ही रहती हैं और पापा सुनते जाते हैं. लेकिन, पापा की यही आदत है जो मम्मी-पापा के रिश्ते (Relationship) में बैलेंस लाती है. एक व्यक्ति बोलने वाला हो तो दूसरे को सुनने वाला बनना पड़ता है. मम्मी की टेंशन और तनाव को पापा ध्यान से सुनते हैं और मम्मी राहत की सांस ले पाती हैं कि उन्हें सुनने के लिए उनके पति साथ हैं. वहीं, पापा बच्चों की भी हर शिकायत को सुनते हैं, हर बात को समझते हैं. 

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रोल मॉडल बनना - पापा के ऊपर इस बात की भी जिम्मेदारी रहती है कि बच्चों की उनसे बहुत सी आकांक्षाएं हैं जो उन्हें पूरी करनी है और साथ ही जिसे देखकर बच्चे हर मुश्किल से पार पाना सीख सकें. बच्चे पापा को रोल मॉडल की तरह देखते हैं और पापा बच्चों के लिए एक अच्छा रोल मॉल बनने की लिए अपनी जी जान लगा देते हैं. 

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निस्वार्थ की भावना - जब भी पापा के साथ कहीं जाकर उनसे कुछ मांगा जाए तो पापा बच्चों को जो चाहे दिला देते हैं, लेकिन अपने लिए कुछ नहीं लेते. यह एक बार नहीं बल्कि हर बार की बात होती है. पापा अगर 900 के जूते लेते हैं तो बच्चों को 2000 के पहनाते हैं. उनका यह निस्वार्थ (Selflessness) ही उन्हें सबसे अलग बनाता है. 

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काम को करके सीखना - पापा की यह आदत होती है कि उन्हें लगता है कि वे दुनिया का कोई भी काम कर सकते हैं. उनका यह कोंफिडेंस ही है कि घर हो या बाहर, वे हर काम को अपने हाथ में ले लेते हैं. पापा इन कामों को खुद करते हैं और कई बार काम ना आते हुए भी करते-करते सीख जाते हैं. इससे बच्चों में भी यह कोंफिडेंस आता है कि वे किसी भी काम को कर सकते हैं और इसीलिए किसी एक्सपेरिमेंट से डरते नहीं हैं.

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