रिसर्च में हुआ खुलासा, सोने से पहले मोबाइल चलाने वाले बच्चे हो सकते हैं मोटापे का शिकार

Obesity cause in children : बार्सिलोना विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 2 से 12 वर्ष की आयु के 1,133 बच्चों का उनकी नींद की आदतों और स्क्रीन डिवाइस के उपयोग के साथ-साथ उनके डाइट और बॉडी मास इंडेक्स पर रिसर्च किया.

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कोविड महामारी के बाद से बच्चों का स्क्रीन पर बिताया जाने वाला समय बढ़ने को लेकर डर बढ़ गया है.

Obesity cause : एक अध्ययन से पता चला है कि जो बच्चे सोने से पहले आधे घंटे से ज्यादा तक स्क्रीन (mobile uses side effects) का उपयोग करते हैं और रात 10 बजे के बाद बिस्तर पर जाते हैं, उनमें मोटापे (obesity causes) का खतरा अधिक होता है. बार्सिलोना विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं  (Researchers at the University of Barcelona) ने 2 से 12 वर्ष की आयु के 1,133 बच्चों का उनकी नींद की आदतों और स्क्रीन डिवाइस के उपयोग के साथ-साथ उनके डाइट और बॉडी मास इंडेक्स पर रिसर्च किया.  चेहरे पर ऐसे लगाइए केले का छिलका, स्किन प्रॉब्लम हो सकती है दूर

अध्ययन में पाया गया कि प्रीस्कूल के एक चौथाई से अधिक (27.5 प्रतिशत) बच्चे और स्कूल जाने की उम्र के एक तिहाई (35.2 प्रतिशत) बच्चे बिस्तर पर जाने से पहले स्क्रीन के सामने आधे घंटे से अधिक समय बिताते हैं. शोधकर्ताओं ने कहा कि जो बच्चे सोने से पहले स्क्रीन के सामने अधिक समय बिताते हैं, उनमें जल्दी सोने वाले बच्चों की तुलना में मोटापा बढ़ने का खतरा अधिक होता है.

टीम ने यह भी पाया कि रात 10 बजे के बाद बिस्तर पर जाने और सोने से पहले स्क्रीन का उपयोग करने से प्रीस्कूल और स्कूली बच्चों दोनों में रात की नींद की अवधि कम हो गई और जिससे नींद की गुणवत्ता पर असर पड़ा. अध्ययन में पाया गया कि इन आदतों वाले स्कूली बच्चों के शारीरिक रूप से सक्रियता कम थी.

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शोधकर्ताओं का मानना है कि देर से सोने वाले लोग कम सोते हैं, जिससे पूरे सप्ताह उनकी नींद पूरी नहीं होती. जिससे व्यवहार में चिड़चिड़ापन आ जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाह है कि दो वर्ष से कम उम्र के शिशुओं को स्क्रीन का उपयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए, जबकि दो वर्ष की आयु के बच्चों को प्रति दिन एक घंटे से अधिक समय तक स्क्रीन का उपयोग नहीं करना चाहिए.

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लेकिन कोविड महामारी के बाद से बच्चों का स्क्रीन पर बिताया जाने वाला समय बढ़ने को लेकर डर बढ़ गया है, पिछले साल बीबीसी के एक सर्वेक्षण में पाया गया था कि 79 प्रतिशत माता-पिता इस बात को लेकर चिंतित थे कि उनके बच्चे स्मार्टफोन, टैबलेट और अन्य डिवाइस पर समय ज्यादा बिता रहे हैं.

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