बच्चों की इन 6 दिक्कतों को अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं माता-पिता, फिर गहराने लगती हैं दूरियां 

Parenting Tips: जैसे-जैसे बच्चे बढ़े होते जाते हैं वैसे-वैसे पैरेंट्स से उनकी दूरियां बढ़ने लगती हैं. इसका मुख्य कारण कई बार पैरेंट्स का बच्चों के बारे में कुछ बातों को ना समझ पाना है. 

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Things Parents Don't Understand: बढ़ते बच्चों को नहीं समझ पाते माता-पिता.  

Parenting Advice: सभी की जिंदगी में किशोरावस्था का समय आता है लेकिन फिर भी माता-पिता कई बार अपने टीनेज बच्चों (Teenage Children) को समझने में मुश्किल महसूस करने लगते हैं. कई बार पैरेंट्स बच्चों से अपेक्षा करते हैं कि उनका व्यवहार ऐसा रहे जैसा उनका अपने बचपन में था, लेकिन यह कम ही हो पाता है. अपने माता-पिता (Parents) के एकदम करीब रहने वाले बच्चे भी बढ़े होते हैं तो पैरेंट्स से दूर होने लगते हैं जिसकी वजह उनका यह कहना है कि मम्मी-पापा उन्हें समझ नहीं पाते हैं. यहां बच्चों की ऐसी ही कुछ परेशानियां हैं जिन्हें यदि पैरेंट्स समझने लगें तो उनके और बच्चे के रिश्तों में दूरियां नहीं गहराएंगी. 

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बढ़ते बच्चों को होती हैं ये परेशानियां 

दोस्तों से बराबरी ना होने का डर 

जब बच्चे बड़े होने लगते हैं तो अपने दोस्तों से बराबरी ना होने का डर उनमें गहराने लगता है. दूसरे बच्चों के पास जो बैग है वो उनके पास क्यों नहीं है, उनके जैसे कपड़े या गैजेट्स और सोशल स्टेटस बच्चे पाना चाहते हैं. माता-पिता इसपर बच्चों को डांट-डंपट देते हैं लेकिन बच्चों को प्यार से समझाए जाने की जरूरत होती है कि हमारे पास हर किसी के जितना नहीं हो सकता, हम किसी से आगे होंगे तो किसी से पीछे भी होंगे. 

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अपने लुक्स को लेकर चिंता

लड़कियां ही नहीं बल्कि लड़के भी अपने लुक्स को लेकर चिंता में रहते हैं. माता-पिता इस चिंता को पूरी तरह नकार देते हैं जबकि बच्चों की चिंता जायज है यह समझने की जरूरत है और बच्चों को यह बताया जाना जरूरी है कि लुक्स किशोरावस्था (Teenage) में सभी के बदलते हैं. साथ ही बच्चों की चिंता को कंसीडर भी करें. 

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अपनी भावनाएं प्रकट ना कर पाना 

बच्चे कई बार अपने माता-पिता के सामने अपनी बात नहीं कह पाते, अपनी भावनाएं प्रकट नहीं कर पाते जिसका कारण यह हो सकता है कि जब बच्चे अपनी बात कहने की कोशिश करते हैं तो माता-पिता सुनते नहीं हैं, उनकी निंदा कर देते हैं या फिर उनपर हंसते हैं. इससे बच्चे पैरेंट्स से कुछ भी शेयर करने से झिझक महसूस करते हैं. 

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दोस्तों से झगड़े 

बच्चे जब किशोरावस्था में होते हैं तो उनके अलग-अलग दोस्त बनने लगते हैं. इस उम्र में कई ऐसे दोस्त भी मिलते हैं जिनके साथ जीवनभर का साथ रहता है. माता-पिता को इसके उलट यह भी लगता है कि बच्चों की दोस्तियां बनती बिगड़ती रहती हैं. ऐसे में बच्चों को कभी सचमुच दोस्तों से झगड़ने के बारे में कुछ महसूस हो रहा हो, शेयर करने का मन कर रहा हो तब भी वे पैरेंट्स से ना कहना ही ठीक समझते हैं. 

तानाकशी का डर 

पैरेंट्स की तानाकशी (Taunts) एक बड़ा कारण है कि बच्चे पैरेंट्स से दूरी बनाने लगते हैं या कटकर रहते हैं. माता-पिता की तानाकशी बच्चों के झेंपने का कारण बनती है. वे सोचते हैं कि अपनी तकलीफ बांटकर भी अगर उन्हें ताना ही खाना है तो खुद में घुट-घुटकर रहने में ही भलाई है. 

रिलेशनशिप्स 

किशोरावस्था उम्र का वो पड़ाव है जहां बच्चों को रिलेशनशिप्स समझ आने लगते हैं. कोई पसंद भी आता है और उसके बारे में सोचते हुए वे वक्त गुजारने लगते हैं. पैरेंट्स सीधेतौर पर बच्चों को यह नहीं कह सकते कि उन्हें रिलेशनशिप में आ जाना चाहिए क्योंकि हैं तो आखिर वो बच्चे ही. लेकिन, माता-पिता बच्चों को रिलेशनशिप वगैरह पर खुलकर बात करने के लिए माहौल दे सकते हैं जिससे बच्चे पैरेंट्स से बात करके अपनी दिक्कतें साझा कर पाएं और रिलेशनशिप्स (Relationships) उनके लिए एक हौवा ना बन जाएं जिससे उन्हें भागते रहना है. वे सीख सकते हैं कि किस तरह क्रश आना नॉर्मल है लेकिन अपनी पढ़ाई से हटकर घूमना-फिरना सही नहीं है. ये बातें पैरेंट्स एक दोस्त की तरह ही बेहतर तरीके से समझा सकेंगे. 

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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