पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से कुछ किलोमीटर दूर रवींद्रनगर इलाके में दो समूहों के बीच हिंसक झड़प होने के बाद भीड़ ने पुलिस पर हमला किया, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए. भीड़ ने वाहनों में भी तोड़फोड़ की. पुलिस ने यह जानकारी दी. हालात को काबू करने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया है. पुलिस ने कहा कि झड़प में पांच लोग घायल हो गए जबकि चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
दुकान खोलने को लेकर भड़की हिंसा
विपक्षी भाजपा ने प्रभावित क्षेत्र में केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग की, जबकि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा पर स्थानीय मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया. दक्षिण 24 परगना जिले के रवींद्रनगर पुलिस थानाक्षेत्र के महेशतला में एक दुकान खोलने को लेकर भड़की हिंसा तेजी से फैल गई. एक पुलिस अधिकारी ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘छतों से ईंटें फेंकी गईं, सड़कों पर टायरों में आग लगा दी गई और उपद्रवियों ने पुलिस थाने के सामने एक मोटरसाइकिल को आग लगा दी. कई पुलिस वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया और ईंट लगने से कम से कम एक पुलिसकर्मी घायल हो गया.''
थाने के बाहर भी भीड़ का पथराव
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने थाने के बाहर पथराव किया, जिसमें एक महिला कांस्टेबल सहित कई पुलिसकर्मी घायल हो गए. कोलकाता से अतिरिक्त बल और त्वरित कार्यबल (आरएएफ) को घटनास्थल पर भेजा गया तथा भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे गए. मंगलवार को एक दुकान से जुड़े विवाद को लेकर शुरू हुई हिंसा ने बुधवार को खतरनाक मोड़ ले लिया. कई पुलिस वाहनों में तोड़फोड़ की गई, खिड़कियों के शीशे तोड़ दिए गए.
कई गिरफ्तारियां, छापेमारी जारी
स्थिति बिगड़ने पर अधिकारियों ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू की और दंगाइयों को पकड़ने के लिए अभियान शुरू किया. एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘‘छापेमारी अभी जारी है और अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है. कई गिरफ्तारियां भी की गई हैं.'' पश्चिम बंगाल पुलिस ने बाद में कहा कि सामान्य स्थिति बहाल हो गयी है, हालांकि क्षेत्र में तनाव अब भी बना हुआ है.
बीजेपी के निशाने पर ममता सरकार
इस घटना के बाद राजनीतिक स्तर पर तीखी प्रतिक्रिया हुई और विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने अलीपुर में पश्चिम बंगाल पुलिस मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और अशांत क्षेत्र में तत्काल केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग की. भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया, ‘‘रवींद्रनगर में हिंदू समुदाय के लोगों को घंटों लूटपाट, आगजनी और हिंसा का शिकार होना पड़ा, जबकि पुलिस चुपचाप देखती रही. कई पुलिस वाहनों में आग लगा दी गई, फिर भी कोई प्रभावी हस्तक्षेप नहीं हुआ.''
उन्होंने यह भी दावा किया कि डीजीपी राजीव कुमार ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया. भाजपा नेता ने कहा, ‘‘पुलिस पर ऐसे गंभीर हमलों के बावजूद शीर्ष अधिकारी उदासीन प्रतीत होते हैं. मैं कल कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष तत्काल हस्तक्षेप और केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग करूंगा, जैसा कि मुर्शिदाबाद में सांप्रदायिक तनाव के दौरान आदेश दिया गया था.''
बीजेपी के आरोपों पर टीएमसी ने क्या कहा
शुभेंदु अधिकारी की मांगों को दोहराते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने आरोप लगाया कि प्रशासन निवारक कार्रवाई करने में विफल रहा है. हालांकि, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि विपक्ष एक ‘‘स्थानीय मुद्दे'' का राजनीतिकरण करने का प्रयास कर रहा है. तृणमूल के प्रवक्ता और प्रदेश महासचिव कुणाल घोष ने कहा, ‘‘स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए गए हैं. पुलिस ने तेजी से और दृढ़ता से काम किया. भाजपा एक दुकान लगाने को लेकर हुए विवाद को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रही है.''
हिंसा की निंदा करते हुए कोलकाता के महापौर और तृणमूल के वरिष्ठ नेता फिरहाद हकीम ने कहा, ‘‘हम घायल पुलिसकर्मियों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं. साथ ही, हम एक संवेदनशील मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देने और राजनीतिकरण करने के भाजपा के प्रयास की कड़ी निंदा करते हैं.'' उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की रणनीति का उद्देश्य ‘‘बंगाल की शांति और सद्भाव को बिगाड़ना'' है.