तिहाड़ में क्यों दफनाया गया था आतंकी अफजल गुरु का शव? जानें इसे लेकर क्या है नियम

Terrorist Afzal Guru: आतंकी अफजल गुरु का शव तिहाड़ जेल से हटाने को लेकर इन दिनों मामला दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहा है. लेकिन इससे पहले ये जानना जरूरी है कि आखिर शव को जेल में ही क्यों दफनाया गया.

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नई दिल्ली:

Terrorist Afzal Guru: आतंकी अफजल गुरु का शव तिहाड़ जेल से हटाने को लेकर मामला चल रहा है. इसे लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिसमें मोहम्मद अफजल गुरु और मोहम्मद मकबूल भट्ट की कब्रों को हटाने के लिए निर्देश देने को कहा गया था. लेकिन हाईकोर्ट ने उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. पीठ ने कहा कि किसी जनहित याचिका में राहत पाने के लिए अदालत का रुख करने के लिए, आपको हमें संवैधानिक अधिकारों, मौलिक अधिकारों या वैधानिक अधिकारों का उल्लंघन दिखाना होगा. कोई भी कानून या नियम जेल परिसर के अंदर दाह संस्कार या दफनाने पर रोक नहीं लगाता है.'

तिहाड़ में क्यों दफनाया गया?

इस मामले के बाद अब लोगों में ये इच्छा जानने की जगने लगी है कि आखिर इन आंतकियों को तिहाड़ जेल में ही क्यों दफनाया गया था. कहीं और भी तो दफनाया जा सकता था? तो चलिए जानते हैं इसके पीछे का कारण.

 दरअसल, इसके पीछे कारण दिया गया था कि अफजल गुरु को फांसी (terrorist Afzal Guru body in Tihar Jail) दिए जाने के बाद, उनके शव को सौंपने से दंगे और विरोध प्रदर्शन और हिस्सा होने की संभावना है. शव को जेल से बाहर निकालना एक चुनौती हो सकता था.

इसके पीछे सबसे बड़ा कारण ये था कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना था. देश में माहोल खराब होने से रोकने के लिए खासकर जम्मू-कश्मीर में. सरकार ने इस जोखिम को देखते हुए यह फैसला लिया कि जेल परिसर के भीतर ही शव का अंतिम संस्कार किया जाए.

क्या होते हैं जेल में शव को दफनाने के नियम

कुछ रिपोर्टों के अनुसार, अफजल गुरु के परिवार ने शव लेने से मना कर दिया था. ऐसी स्थिति में, जेल अधिकारियों के पास शव का अंतिम संस्कार जेल परिसर के भीतर ही करने का अधिकार होता है.

भारतीय कानून के तहत, फांसी दिए जाने के बाद शव के निपटान को लेकर कुछ खास नियम हैं. कानून के जानकारों के अनुसार, फांसी के बाद दोषी का शरीर सरकार की संपत्ति माना जाता है. हालांकि, मानवीय संवेदनाओं को देखते हुए, परिवार को कुछ शर्तों के साथ शव सौंपा जा सकता है.

जेल मैनुअल के अनुसार, जेल अधीक्षक (Jail Superintendent) को यह अधिकार होता है कि वह शव को परिवार को सौंपने या न सौंपने का फैसला ले. यह फैसला कानून और व्यवस्था की स्थिति पर निर्भर करता है. 

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अगर परिवार शव लेने से इनकार कर दे, या अगर कानून-व्यवस्था के बिगड़ने का खतरा हो, तो जेल प्रशासन शव का अंतिम संस्कार (जलाने या दफनाने) जेल परिसर के अंदर करने का अधिकार रखता है. इसके बाद यह सुनिश्चित किया जाता है कि अंतिम संस्कार मृतक की धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार हो.लेकिन आतंकी अफजल गुरु का शव दफनाने के पीछे का कारण  कानून-व्यवस्था के बिगड़ने से रोकना था. 

मकबूल भट्ट (1984 में फांसी) जैसे अन्य आतंकियों के साथ भी इसी तरह का व्यवहार किया गया था.

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