Science City: भारत के कई शहर अपने स्पेशल पहचान के लिए जाने जाते हैं, और इनमें से कुछ ने साइंस, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन (Innovation) पर के कारण अपनी अलग जगह बनाई है. कोलकाता भी ऐसा ही एक शहर है, जिसने साइंटिफक एजुकेशन, रिसर्च अनुसंधान और नॉलेज को बढ़ावा देने में अपनी अहम भूमिका के कारण एक खास नाम कमाया है.
कोलकाता क्यों बना साइंटिफिक लर्निंग का हब?
कोलकाता को यह अलग पहचान खास तौर पर वहां स्थित साइंस सिटी की वजह से मिली है. साइंस सिटी एशिया के सबसे बड़े और सबसे आधुनिक विज्ञान संग्रहालयों (Science Museums) में से एक है. इसका संचालन नेशनल काउंसिल ऑफ साइंस म्यूजियम (NCSM) की ओर से किया जाता है, जो उच्च-गुणवत्ता वाले प्रदर्शन और सीखने के अनुभवों को सुनिश्चित करता है. साइंस सिटी ने लोगों के साइंस सीखने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है. यह छात्रों को केवल किताबों से पढ़ने के बजाय, साइंस की दुनिया को मजेदार तरीके से एक्सप्लोर करने के लिए प्रेरित करता है.
इंटरैक्टिव अनुभव का खजाना
साइंस सिटी छात्रों और वीजिटर को स्पेस, मानव शरीर, मशीनरी, जीवन के विकास (Evolution), और नेचर अजूबों जैसे विषयों को आसान और मजेदार तरीकों से समझाता है. मियूजियम का इंटरैक्टिव (संवादात्मक) तरीका छोटे बच्चों के लिए भी साइंस को आसान बनाता है, जिससे कोलकाता साइंटिफिक एजुकेशन का एक बड़ा केंद्र बन गया है.
इस म्यूजियम में देखने के लिए काफी कुछ
यह एक विशाल थिएटर है जो एडवांस्ड प्रोजेक्शन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करता है. यह विजिटर को यूनिवर्स (Universe) की यात्रा पर ले जाता है, जिसमें तारों, ग्रहों और बाहरी अंतरिक्ष का वास्तविक जैसा नजारा दिखाया जाता है.
डायनामोशन हॉल: यह एक मजेदार गैलरी है जो हैंड्स-ऑन एक्सपेरिमेंट से भरी हुई है. यहां बच्चे वैज्ञानिक उपकरणों के साथ खेलकर यह सीख सकते हैं कि आसान साइंटिफिक प्रिसंपल (Principles) कैसे काम करते हैं.
इवोल्यूशन पार्क: यह दिखाता है कि धरती पर जीवन कैसे आया. डायनासोर से लेकर शुरुआती इंसानों तक की कहानी. यह डिवलेपमेंट की यात्रा को दिलचस्प बनाने के लिए मॉडल, साउंड और मूवमेंट का इस्तेमाल किया जाता है.
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