ई-सिगरेट, वेप या वेप पेन (Vape Pen) बैटरी से चलने वाले डिवाइस होते हैं. इनका इस्तेमाल कर लिक्विड को भाप में बदला जाता है और इससे निकलने वाला धुआं सांस के साथ अंदर जाता है. निकोटीन-फ्री होने का दावा करने वाली ई-सिगरेट में भी निकोटीन की थोड़ी मात्रा होती है. इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट कार्ट्रिज में भरने वाले 'ई-जूस' में आमतौर पर निकोटीन, प्रोपलीन ग्लाइकॉल, फ्लेवरिंग और दूसरे केमिकल पाए जाते हैं. हीटिंग डिवाइस लिक्विड निकोटीन सॉल्यूशन को जलाता है और इससे निकलने वाला धुआं सांस के साथ अंदर जाता है. ये केमिकल सेहत के लिए खतरनाक माने जाते हैं. भारत सहित ऐसे कई देश हैं जहां पर इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पूरी तरह से बैन है.
कितनी खतरनाक होती है ई-सिगरेट
यूनिवर्सिटी ऑफ़ नॉर्थ कैरोलिना की एक स्टडी के अनुसार ई-सिगरेट में पाए जाने वाले दो मुख्य इंग्रीडिएंट्स- प्रोपलीन ग्लाइकॉल और वेजिटेबल ग्लिसरीन शरीर के लिए घातक होते हैं. इनका सबसे बुरा प्रभाव सेल्स पर पड़ता है. ई-लिक्विड में जितने ज्यादा इंग्रीडिएंट्स होते हैं, उतनी ही ज्यादा इसकी टॉक्सिसिटी होती है. ई-सिगरेट में एक्रोलिन भी होता है, जो कि फेफड़ों के लिए हानिकारक होता है और इससे अस्थमा और फेफड़ों का कैंसर हो सकता है.
किन देशों में ई-सिगरेट है बैन
लगभग 37 देशों में ई-सिगरेट पर बैन है. भारत भी इन्हीं देशों में से एक है. सरकार ने साल 2019 में ई-सिगरेट को देश में पूरी तरह से बैन कर दिया था और ई-सिगरेट से जुड़ी सभी गतिविधियों को गैर कानूनी घोषित माना गया है.
कितने साल होती है सजा
बात की जाए सजा की तो इस कानून में पहली बार अपराध करने पर 1 साल तक की जेल या 1 लाख रुपए तक का जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है. इसी के साथ दूसरी बार अपराध करने पर 3 साल तक की जेल के साथ 5 लाख रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
हाल ही में मालदीव सरकार ने आधिकारिक तौर पर तंबाकू नियंत्रण अधिनियम में महत्वपूर्ण संशोधन लागू करते हुए इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पर बैन लगा दिया है. इसके अलावा अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, भूटान, ब्राजील, कुवैत, लेबनान, मॉरीशस, मैक्सिको, नेपाल, सिंगापुर, श्रीलंका, सीरिया, थाईलैंड, जैसे देशों में भी ये बैन है. वहीं अमेरिका में 18 साल या उससे अधिक आयु के लोग ही इसे खरीद सकते हैं और इसका सेवन कर सकते हैं.














