शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए भारत को मजबूर कर सकता है बांग्लादेश? जानें अब क्या बचे हैं विकल्प

Sheikh Hasina Death Sentence: बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना को कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई है, इस फैसले के बाद अब भारत पर हसीना के प्रत्यर्पण का दबाव बनाया जा रहा है.

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Sheikh Hasina: शेख हसीना को मौत की सजा

Sheikh Hasina Death Sentence: बांग्लादेश में विद्रोह के बीच जान बचाकर भारत आने वालीं शेख हसीना की मुश्किलें अब बढ़ सकती हैं. बांग्लादेश की कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सजा-ए-मौत सुनाई है. उनके अलावापूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को भी मौत की सजा सुनाई गई है. इस फैसले के बाद एक बार फिर बांग्लादेश की तरफ से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की गई है. ऐसे में सवाल है कि भारत क्या करेगा और दोनों देशों के बीच ऐसे मामलों के लिए क्या समझौता हुआ है. आइए जानते हैं कि भारत कैसे शेख हसीना को बिना बांग्लादेश को सौंपे पनाह दे सकता है. 

बांग्लादेश ने क्या कहा?

बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनने के बाद से ही भारत पर दबाव बनाया जा रहा था कि वो शेख हसीना और बाकी भगौड़ों को वापस उसे सौंपे, हालांकि भारत ने ऐसा नहीं किया. अब इन्हें कोर्ट ने दोषी करार दिया है और मौत की सजा सुनाई है, ऐसे में बांग्लादेश की तरफ से कहा गया है कि मानवता के खिलाफ अपराधों के दोषी इन लोगों को अगर कोई भी देश शरण देता है तो इसे मित्रतापूर्ण व्यवहार से हटकर माना जाएगा, साथ ही ये न्यायालय की गंभीर अवमानना भी होगी. इसीलिए भारत फौरन दोनों दोषियों को बांग्लादेश को सौंपे. 

भारत का क्या स्टैंड?

बांग्लादेश में शेख हसीना के खिलाफ फैसला आने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से भी बयान जारी किया गया. इसमें कहा गया कि बांग्लादेश के ट्राइब्यूनल ने शेख हसीना को लेकर फैसला सुनाया है, इसकी जानकारी हमें है. एक पड़ोसी के तौर पर भारत, बांग्लादेश के लोगों के हितों के लिए प्रतिबद्ध है. भारत सभी हितधारकों के साथ हमेशा रचनात्मक रूप से जुड़ा रहेगा.

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क्या है प्रत्यर्पण संधि?

भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि है. साल 2013 में दोनों देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे. यानी अगर भारत का कोई अपराधी बांग्लादेश चला जाता है तो वहां की सरकार को उसे भारत को सौंपना पड़ेगा, ठीक इसी तरह अगर बांग्लादेश का कोई अपराधी भारत में पकड़ा जाए या भागकर यहां आ जाए तो उसे लौटाने के लिए बांग्लादेश अपील कर सकता है. यानी भारत पर शेख हसीना के प्रत्यर्पण का दबाव जरूर है. 

  • राजनीतिक अपराधों के मामले में देश प्रत्यर्पण संधि को मानने से इनकार कर सकते हैं. 
  • जिस अपराध में आरोपी को सजा सुनाई गई हो, वो दोनों देशों में अपराध की श्रेणी में आता हो. 
  • प्रत्यर्पण के लिए सजा कम से कम एक साल से ज्यादा की होनी चाहिए. 
  • मानवता के खिलाफ अपराध हत्या और नरसंहार के मामलों में दोषी या आरोपी को सौंपना जरूरी होता है.

फैसले पर उठ रहे सवाल

शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई गई है, लेकिन उन्हें जिस कोर्ट ने सजा सुनाई है, उसे लेकर अब भी सवाल खड़े हो रहे हैं. इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्युनल को शेख हसीना ने ही 2010 में बनाया था. इसी कोर्ट ने उन्हें मौत की सजा सुनाई है. इस ट्रिब्युनल की वैधता को लेकर भी दुनियाभर में सवाल उठ रहे हैं, ऐसे में शेख हसीना के प्रत्यपर्ण को लेकर फिलहाल ज्यादा कुछ होता नजर नहीं आ रहा है. भले ही बांग्लादेश हसीना को भेजने के लिए कितना भी दबाव बनाए, लेकिन इस फैसले को मानना है या नहीं, ये भारत सरकार पर निर्भर करता है. 

  • जजों पर आरोप लग रहा है कि वो अंतरिम सरकार के दबाव में काम कर रहे हैं. 
  • शेख हसीना पर ट्रायल के दौरान उन्हें वकील चुनने का विकल्प नहीं दिया गया. 
  • इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्युनल को लेकर संयुक्त राष्ट्र की तरफ से भी चिंता जताई गई है. 

शेख हसीना के पास क्या विकल्प?

शेख हसीना को बांग्लादेश में भले ही मौत की सजा मिली हो, लेकिन उनके पास अब भी बचने के कई तरीके हैं. पहले तरीके में वो ये आरोप लगा सकती हैं कि उनके न्यायिक अधिकारों का उनके देश में हनन होगा. हसीना भारत सरकार या कोर्ट से ये भी कह सकती हैं कि उनकी सुरक्षा खतरे में है या फिर उन्हें निष्पक्ष ट्रायल नहीं मिल रहा है. ऐसे में भारत आर्टिकल 8 के तहत शेख हसीना के हितों का बचाव कर सकता है. इसके अलावा आखिरी विकल्प भारत से किसी दूसरे देश में शरण लेना हो सकता है, जहां बांग्लादेश के साथ प्रत्यर्पण संधि न हो. 

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