बेशकीमती खजाने से भरा है ये ग्रह, एक पत्थर का टुकड़ा बना सकता है अरबपति 

Planet Of Diamonds: 55 कैंक्री ई का तापमान करीब 3,900°F (2,100°C) है और इतना दबाव हीरों को बनने के लिए आदर्श वातावरण पैदा करते हैं. इसीलिए ये एक बड़े खजाने से भरे होने का संकेत देता है.

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खजाने से भरा हुआ है ये प्लैनेट

Planet Of Diamonds: जब भी किसी के हाथ कोई खजाना लगता है तो एक झटके में उसकी किस्मत भी पलट जाती है. कई लोग यही सपना देखते हैं कि काश कभी कोई खजाना हाथ लग जाए और वो भी करोड़पति बन जाए. अब अगर आपको हम एक ऐसे ग्रह के बारे में बताएं, जहां का हर पत्थर करोड़ों-अरबों का है तो क्या आप यकीन करेंगे? जी हां, हमारे सौरमंडल में एक ऐसा ग्रह मौजूद है, जिसमें खजाना ही खजाना है. यहां का एक छोटा पत्थर भी आपको अरबपति बना सकता है. 

बेशकीमती हीरों वाला ग्रह?

NASA हमेशा स्पेस में होने वाली तमाम हरकतों पर बारीकी से नजर रखता है. इसी क्रम में कुछ साल पहले नासा ने एक ऐसे ग्रह का पता लगाया, जहां हीरों का भंडार है. जेम्स बेस टेलीस्कोप ने इस ग्रह की खोज की, जो धरती से कई गुना बड़ा है और इसके बड़े हिस्से में बेशकीमती हीरे होने की बात कही गई. इसीलिए इसे सुपरअर्थ की कैटेगरी में रखा गया और इसका नाम 55 कैंक्री ई(55 Cancri-E) है.  

कितनी पुख्ता है हीरों वाली थ्योरी?

अब कुछ लोगों के मन में ये सवाल है कि पृथ्वी से लाखों किमी दूर इस ग्रह पर हीरों का खजाना है, ये बात आखिर साबित कैसे होती है. इसे लेकर रिसर्चर्स का मानना है कि ये सुपर-अर्थ कार्बन से बना हो सकता है और इस बात की संभावना है कि इसके आसपास के दबाव और गर्मी को देखते हुए, उस कार्बन का ज्यादातर हिस्सा हीरे में बदल गया हो. 

55 कैंक्री ई का तापमान करीब 3,900°F (2,100°C) है और इतना दबाव हीरों को बनने के लिए आदर्श वातावरण पैदा करते हैं. इसीलिए ये एक बड़े खजाने से भरे होने का संकेत देता है. अगर वाकई ये थ्योरी सही साबित हुई तो ये ग्रह ब्रह्मांड के सबके मूल्यवान ग्रहों में से एक होगा. हालांकि यहां तक पहुंचना फिलहाल नामुमकिन है.  

सोने वाला ग्रह भी है मौजूद

हीरे की तरह हमारे ब्रह्मांड में सोने से भरा हुआ भी एक ग्रह है. ये एक छोटा सा ग्रह है, जो सूर्य के चक्कर लगाता है. इसमें सोने जैसी धातुओं का भंडार है और इसका नाम 16 साइके है. सोने की इतनी मात्रा होने की संभावना से वैज्ञानिक भी चौंक गए थे. हालांकि इस मिनी प्लैनेट को 17 मार्च 1852 को इतालवी खगोलशास्त्री एनीबेल डी गैस्पारिस ने खोज लिया था. कई सालों बाद रिसर्च से पता चला कि इसमें सोने का भंडार है. बताया जाता है कि इसमें निकल, लोहा, प्लैटिनम और सोने जैसी धातुएं हैं. 

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