क्या होता हलाल शब्द का असली मतलब? जानें कौन जारी करता है इसका सर्टिफिकेट

What Is Halal Certificate: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर बताया कि प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेशन पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है, इसे लेकर अब फिर से विवाद शुरू हो चुका है.

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क्या होता है हलाल शब्द का असली मतलब

Halal Certificate: हलाल सर्टिफिकेशन एक बार फिर से चर्चा में आ गया है. उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के बयान के बाद से ही इसे लेकर नई बहस छिड़ गई है. योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यूपी में हलाल सर्टिफिकेशन को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है और कोई भी ऐसे प्रोडक्ट नहीं बेच सकता है. उनके इस बयान को लेकर कई मुस्लिम धर्म गुरुओं ने अपना रिएक्शन दिया है, वहीं लोग ये सर्च कर रहे हैं कि आखिर ये हलाल क्या होता है. आज हम आपको हलाल शब्द का असली मतलब बताएंगे और ये भी जानकारी देंगे कि ये शब्द कहां से आया है. 

क्या होता है हलाल का मतलब?

हलाल शब्द का मतलब उर्दू में जायज होता है, यानी जो चीज इस्लाम में वैध होती है उसे हलाल कहते हैं. आमतौर पर ये शब्द मांस को लेकर इस्तेमाल किया जाता है. इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक हलाल काफी जरूरी है, हलाल के दौरान जीव की गर्दन को झटके से नहीं काटा जाता है. इस्लाम में इसी तरह का मांस खाने की इजाजत है. इस तरह के मांस में ब्लड क्लॉटिंग नहीं होती है और जानवर का पूरा खून बाहर निकल जाता है. इस्लाम में इसे जिबह करना भी कहा जाता है. 

क्यों जरूरी होता है हलाल सर्टिफिकेट?

जैसा कि हमने आपको बताया कि मुस्लिमों को सिर्फ हलाल मांस यानी जिसे इस्लाम में जायज माना गया है, वही खाने की इजाजत होती है. ऐसे में किसी दूसरे तरीके से मारे गए जीव के मीट या किसी प्रोडक्ट की पहचान करने के लिए हलाल सर्टिफिकेशन जरूरी होता है. इससे मुस्लिम आसानी से पहचान कर लेते हैं कि वो इसे खा सकते हैं या फिर नहीं. कई देशों में ऐसे नॉनवेज प्रोडक्ट हैं, जिन पर ये जानकारी लिखी होती है. ये इस बात की गारंटी होता है कि प्रोडक्ट में इस्तेमाल किया गया जानवर का अंश या फिर मीट पूरी तरह से इस्लामिक नियमों के तहत है. 

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कौन जारी करता है हलाल सर्टिफिकेट

भारत में सरकार हलाल सर्टिफिकेट जारी नहीं करती है. कुछ इस्लामिक संस्थाओं की तरफ से इस तरह के सर्टिफिकेट जारी किए जाते हैं, जो वाणिज्य मंत्रालय के तहत आती हैं. इन संस्थाओं में हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और जमीयत उलेमा ए हिंद हलाल ट्रस्ट भी शामिल है. इन संस्थाओं से प्राइवेट कंपनियां अपने सामान के लिए हलाल सर्टिफिकेट लेती हैं, जिसके लिए उन्हें फीस भी देनी होती है. इसमें आवेदन शुल्क के अलावा लोगो प्रिंटिंग से लेकर लैब टेस्टिंग और ऑडिट फीस शामिल होती है.

यूपी सरकार ने क्यों लगाया बैन?

अब उस सवाल का भी जवाब देते हैं कि आखिर यूपी सरकार ने इस तरह के सर्टिफिकेशन पर बैन क्यों लगाया है. दरअसल यूपी सरकार का आरोप है कि हलाल सर्टिफिकेट जारी करने वाली संस्थाएं ऐसे प्रोडक्ट्स का भी हलाल सर्टिफिकेट जारी कर रही हैं, जिनमें इसकी जरूरत नहीं है. कुल मिलाकर तमाम तरह की फीस के नाम पर वसूली का आरोप लगाते हुए यूपी सरकार ने इस तरह के सर्टिफिकेशन पर बैन लगा दिया है. 

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