Hajj Pilgrims Deaths Statistics: हर साल लाखों लोग हज और उमरा के लिए मक्का-मदीना जाते हैं. इस पवित्र यात्रा का मकसद इबादत और आत्मा की सफाई होता है, लेकिन भारी संख्या में तीर्थयात्रियों और मौसम जैसी समस्याओं की वजह से कभी-कभी दुखद हादसे भी सामने आते हैं. हाल ही में एक शख्स ने मक्का में मस्जिद अल-हरम की ऊपरी मंजिल से कूदकर जान देने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने उसकी जान बचा ली. इस दौरान एक सुरक्षा अधिकारी घायल हो गया. कुछ दिनों पहले मक्का से मदीना जा रही एक बस हादसे का शिकार हो गई थी, जिसमें हैदराबाद के 18 लोगों की जान चली गई थी. ऐसी घटनाएं करीब-करीब हर साल ही सामने आती हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर मक्का-मदीना जाने वाले कितने लोगों की हर साल मौत हो जाती है. आइए जानते हैं डराने वाला आंकड़ा..
मक्का-मदीना में हर साल कितनी मौत
सऊदी अधिकारियों के मुताबिक, मक्का मदीना और मस्जिद में सुरक्षा हमेशा हाई रहती है. इमरजेंसी सिचुएशन के लिए एक टीम हमेशा तैनात रहती है. ताकि जान-माल का नुकसान न होने पाए. पिछले साल 2024 के आंकड़ों को लेकर सऊदी अरब के अधिकारियों ने बताया था कि तब हज के दौरान कुल 1,301 लोग अपनी जान गंवा बैठे. इनमें से ज्यादा मौतें गर्मी, बहुत ज्यादा धूप और अनधिकृत यात्रा के कारण हुईं. ऐसा देखा गया कि जिन तीर्थयात्रियों के पास आधिकारिक परमिट नहीं था, वे लंबी दूरी तक सीधे सूरज की रोशनी में चलते रहे और सही तरह आराम, खाना-पानी की सुविधा न होने से संकट में आ गए.
मक्का मदीना में मौतों का सबसे बड़ा कारण
सऊदी सरकार ने पिछले साल बताया कि 83% मौतें उन तीर्थयात्रियों की थीं, जिनके पास हज का आधिकारिक परमिट नहीं था. ये लोग अक्सर संगठित बसों, एयर कंडीशनिंग या पर्याप्त पानी और भोजन की सुविधा के बिना पैदल चलते हैं. इसके अलावा, मृतकों में कई बुजुर्ग और पुरानी बीमारियों से ग्रस्त लोग भी शामिल थे. पिछले साल 2024 में मक्का में तापमान रिकॉर्ड तोड़ते हुए 49 डिग्री सेल्सियस (125°F) तक पहुंच गया था. इतनी गर्मी ने स्वास्थ्य जोखिम बढ़ा दिए थे.
सउदी अरब अधिकारियों की चेतावनी और सावधानियां
1. हज पर जाने वाले तीर्थयात्रियों को आधिकारिक परमिट लेना अनिवार्य है. अनधिकृत यात्रा से बचें.
2. पर्याप्त पानी, छाया और आराम के उपाय रखें.
3. बुजुर्ग और बीमार लोग विशेष सावधानी बरतें.














