दिल्ली के पॉल्यूशन में पटाखों का कितना रोल? ये चीज घोलती है सबसे ज्यादा जहर

Firecrackers Impact On Pollution: दिल्ली में हर साल की तरह इस साल भी पटाखों पर बैन लगा हुआ है, ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर दिल्ली के पॉल्यूशन में पटाखों का क्या रोल होता है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
दिल्ली में दिवाली से पहले फिर से पटाखों पर बैन

Firecrackers Impact On Pollution: दिल्ली में हल्की ठंड आने के साथ ही पॉल्यूशन का खतरा भी बढ़ने लगा है. हर साल की तरह इस बार भी दिल्ली के लोगों को जहरीली हवा में सांस लेनी पड़ सकती है. यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पटाखों पर लगाया गया बैन जारी रखा गया है, जिसे लेकर अब विरोध भी शुरू हो चुका है. लोगों का कहना है कि उन्हें ग्रीन पटाखे चलाने की इजाजत मिलनी चाहिए. वहीं पर्यावरण पर काम करने वाले लोग इस बात से ताल्लुक नहीं रखते हैं. आइए जानते हैं कि दिल्ली की जहरीली हवा में पटाखों का कितना रोल होता है और सबसे ज्यादा जहर कौन सी चीज घोल रही है. 

पटाखों का क्या होता है असर?

दिल्ली-एनसीआर में दिवाली की रात होने वाली आतिशबाजी से हर बार पॉल्यूशन काफी ज्यादा बढ़ जाता है. दिवाली की अगली सुबह कई इलाकों में स्मॉग की चादर नजर आती है और इसे छंटने में दो से तीन दिन तक लग जाते हैं. यानी पटाखों से निकले हुए प्रदूषण का असर सिर्फ कुछ ही दिनों तक दिखता है, वहीं बाकी तमाम चीजें पर्यावरण को लगातार दूषित करती रहती हैं. 

दुनिया के इन देशों में बैन हैं पटाखे, दिल्ली में बहस के बीच जान लीजिए नाम

इसे लेकर साल 2018 में एक स्टडी भी हुई थी, जिसमें बताया गया था कि दिवाली के ठीक बाद PM 2.4 का लेवल करीब 50 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गया.  यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंस एंड पॉलिसी की इस स्टडी में बताया गया कि दिल्ली में दिवाली के दूसरे दिन इसमें 40 फीसदी का इजाफा हुआ. इसके अलावा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि 2020 में दिल्ली समेत तमाम बड़े शहरों में PM10 की मात्रा में 22 से 100 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी. 

किस चीज से कितना पॉल्यूशन?

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि पटाखे पॉल्यूशन नहीं फैलाते हैं, लेकिन ये पॉल्यूशन दो से तीन दिन तक ही रहता है. लंबे समय तक रहने वाले पॉल्यूशन के लिए बाकी कई चीजें जिम्मेदार होती हैं, जिनसे एयर क्वॉलिटी इंडेक्ट सबसे खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है. 

  • दिल्ली में पॉल्यूशन को लेकर हुई स्टडी में बताया गया कि साल 1997 से लेकर 2022 तक पॉल्यूशन में 10-30% योगदान पेट्रोल-डीजल के धुएं का रहा.
  • इसी तरह सड़क निर्माण कार्यों और इंडस्ट्रियल एक्टिविटी से भी 10-30% पॉल्यूशन फैला. 
  • खुले में कचरा जलाना 5-15 प्रतिशत तक पॉल्यूशन के लिए जिम्मेदार रहा.
  • हवा में उड़ने वाली धूल और तूफान का योगदान करीब पांच प्रतिशत रहा. 
  • कृषि अवशेष जलाना यानी पराली से करीब 3 प्रतिशत पॉल्यूशन हुआ. 
Featured Video Of The Day
Jyoti Singh से झगड़े वाली रात क्या हुआ? Pawan Singh ने सबकुछ बता दिया | BREAKING NEWS