- सुप्रीम कोर्ट में पटाखों को लेकर याचिका दायर की गई थी, जिसे लेकर अब फैसला आया है
- ग्रीन पटाखों में कम धुआं और कम आवाज होती है, लेकिन ये पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त नहीं होते हैं
- दिल्ली टेक्नॉलजिकल यूनिवर्सिटी की रिसर्च के अनुसार ग्रीन पटाखे खतरनाक अल्ट्रा-फाइन पार्टिकल्स पैदा करते हैं
Green Crackers: दिवाली से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बड़ा फैसला आया है. सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर ग्रीन पटाखे जलाने को लेकर छूट दे दी है, जिसे लोगों के लिए दिवाली के तोहफे से कम नहीं माना जा रहा है. ऐसे में लोगों के मन में ग्रीन पटाखों को लेकर कई तरह के सवाल हैं. जिनमें एक सवाल ये भी है कि ये होते क्या हैं और इनकी कीमत कितनी होती है.
क्या होते हैं ग्रीन पटाखे?
सबसे पहले ये जान लेते हैं कि आखिर ये ग्रीन पटाखे क्या होते हैं. इन पटाखों में अलग तरह का बारूद इस्तेमाल किया जाता है. इसमें आवाज भी कम आती है और कम धुआं निकलता है. हालांकि ऐसा नहीं है कि ये पॉल्यूशन नहीं फैलाते हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि ग्रीन पटाखों से सिर्फ 25 से 30 फीसदी ही कम खतरनाक गैसें निकलती हैं. इन पटाखों से सल्फर और नाइट्रोजन कम पैदा होता है, इसीलिए इन्हें पर्यावरण के लिए थोड़ा सेफ माना जा सकता है.
कितने तरह के होते हैं ग्रीन पटाखे?
ग्रीन पटाखे कई तरह के होते हैं. इनमें से कुछ पटाखों में अरोमा इस्तेमाल होता है. इनसे हानिकारक गैसों की बजाय खुशबू निकलती है. यानी बारूद की बदबू नहीं आती है. इसके अलावा ऐसे भी पटाखे मार्केट में आ सकते हैं, जिनमें जलने के बाद पानी के कण पैदा होते हैं. कुछ ग्रीन पटाखों में कम एल्यूमीनियम का इस्तेमाल किया जाता है.
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कितने सेफ हैं ग्रीन पटाखे?
दिल्ली में भले ही ग्रीन पटाखों को सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन सिग्नल दे दिया है, लेकिन ये पटाखे इतने भी ग्रीन नहीं हैं. दिल्ली टेक्नॉलजिकल यूनिवर्सिटी की 2022 की रिसर्च के मुताबिक ग्रीन पटाखों से PM 2.5 और PM 10 से भी खतरनाक पार्टिकल निकलते हैं. इस स्टडी में पाया गया कि ये पटाखे अल्ट्रा-फाइन पार्टिकल्स पैदा करते हैं, जो PM2.5 और PM10 से भी ज्यादा खतरनाक होते हैं, ये इसलिए भी खतरनाक हैं, क्योंकि ये पार्टिकल आसानी से आपकी सांस के जरिए शरीर में पहुंच सकते हैं. यानी ये पर्यावरण के अलावा सेहत के लिए पूरी तरह से सेफ नहीं हैं.
कितनी होती है कीमत?
आम पटाखों के मुकाबले ग्रीन पटाखों को बनाने के लिए अलग तरीके का इस्तेमाल होता है, ऐसे में इसका असर कीमतों पर भी पड़ता है. यानी ग्रीन पटाखों की कीमत लगभग दोगुना तक हो सकती है. जो फुलझड़ी 200 रुपये तक मिल जाती है, वो ग्रीन पटाखों में 400 से ज्यादा की मिलेगी. इसके अलावा अनार का पैकेट 250 से 300 में मिलता है, वो ग्रीन क्रैकर्स में 500 तक का मिल सकता है.
कैसे होती है ग्रीन पटाखों की पहचान?
एक सवाल ये भी है कि मार्केट में ग्रीन पटाखों की पहचान कैसे हो सकती है. दरअसल इन पटाखों पर ग्रीन क्रैकर्स का लोगो लगा हुआ होता है, इस पर CSIR-NEERI (राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान) का एक क्यूआर कोड भी होता है. अगर आपको ये जानना है कि जो आपने खरीदे हैं, वो ग्रीन पटाखे हैं या नहीं तो आप इस क्यूआर को स्कैन करके देख सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
केंद्र और दिल्ली सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दिवाली पर पटाखे फोड़ने को लेकर अपील की गई थी, जिसे स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखों को छूट दी है. सुप्रीम कोर्ट ने बताया है कि 18 से 21 अक्टूबर तक पटाखे फोड़ने की इजाजत होगी. इस आदेश में कहा गया है कि एजेंसियां पटाखे बनाने वालों पर कड़ी नजर रखेंगे और उनके क्यूआर कोड को वेबसाइट्स पर अपलोड करना होगा. आदेश में कहा गया है कि दिल्ली-एनसीआर के बाहर का कोई भी पटाखा यहां नहीं बेचा जा सकता है. ऐसा करने पर लाइसेंस रद्द हो जाएगा.