दिल्ली का नाम बदलने की हुई मांग, जानें कैसे पड़ा राजधानी का नाम और क्या है इसका पूरा इतिहास

Delhi Name History: दिल्ली बीजेपी के नेता विजय गोयल ने दिल्ली का नाम बदलने की मांग की है, ऐसें में ये जानना जरूरी है कि दिल्ली के नाम के पीछे का क्या इतिहास है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
दिल्ली का नाम कैसे पड़ा

Delhi Name History: पिछले कुछ सालों में आपने कई बड़े और छोटे शहरों के नाम बदलते देखे होंगे. खासतौर पर यूपी में कई जगहों के नाम ऐसे ही बदले जा चुके हैं. इसी बीच अब बीजेपी के एक नेता ने दिल्ली का नाम बदलने की बात कही है. उनका कहना है कि दिल्ली का अंग्रेजी नाम Delhi नहीं बल्कि Dilli होना चाहिए. यानी जैसा हम बोलते हैं, लिखा भी वैसा ही जाना चाहिए. उनके इस बयान के बाद एक बार फिर नाम बदलने वाली बहस तेज हो चुकी है. ऐसे में आज हम आपको दिल्ली के नाम का इतिहास और इससे जुड़ी तमाम जानकारी देने जा रहे हैं. 

दरअसल बीजेपी नेता विजय गोयल का दावा है कि 11वीं शताब्दी में दिल्ली को धिल्लि कहा जाता था, जिसे बाद में फारसी में देहली कहा गया. बाद में अंग्रेजों ने इसे Delhi कर दिया गया. इसीलिए इसका नाम Dilli होना चाहिए. यानी दिल्ली के नाम को बदलने की मांग की गई है . 

कैसे पड़ा दिल्ली का नाम?

दिल्ली का नाम रखे जाने को लेकर कई तरह की कहानियां और किस्से हैं. दिल्ली को इंद्रप्रस्थ नाम से भी पहले जाना जाता था, कहा जाता है कि ये पांडवों की बसाई राजधानी थी. कुछ इतिहासकारों का मानना है कि मौर्य राजा ढिल्लू या दिल्लू के नाम से दिल्ली का नाम पड़ा है. वहीं कुछ कहानियों में तोमर वंश के राजा और एक ऋषि का जिक्र होता है. जिसमें ऋषि राजा को बताता है कि उसके राज्य में एक विशालकाय कील गढी हुई है, जिसे राजा जमीन से निकलवा देता है. लेकिन बाद में जब इस कील को दोबारा गाढने की कोशिश होती है तो ये ढीली रह जाती है, इसी शब्द से इस जगह को ढिली और फिर दिल्ली कहा जाने लगा.  \

मुगलों के दौर में कैसा था दिल्ली का GB रोड? जानें क्या है इसका फुल फॉर्म

एक कहानी में ये भी बताया जाता है कि तोमर वंश के दौरान बनाए जाने वाले सिक्कों को देहलीवाल कहा जाता था, इसी से दिल्ली का नाम पड़ा था. कुछ लोगों का ये भी मानना है कि हजारों साल पहले दिल्ली को देश की दहलीज कहा जाता था, जिसे देहली भी कहा जाता है. यही वजह है कि इसका नाम दिल्ली पड़ गया.

दिल्ली कब बनी राजधानी?  

दिल्ली का इतिहास देखें तो पहली बार 1911 में दिल्ली को राजधानी बनाने की घोषणा हुई थी. हालांकि औपचारिक तौर पर 13 फरवरी 1931 को दिल्ली देश की राजधानी बनाई गई, इससे पहले कलकत्ता देश की राजधानी हुआ करती थी. आजादी के बाद भी दिल्ली को ही राजधानी के तौर पर रखा गया और आज भी इसे दुनिया का दिल कहा जाता है.

Featured Video Of The Day
Yoga के नाम पर Namaz! Burhanpur में आरोप के बाद Muslim Teacher सस्पेंड | Up News | CM Yogi | UP