बिहार में वोटिंग के बाद कहां रखी जाएंगीं EVM? जानें किसे होती है यहां जाने की इजाजत

EVM Store Rules: भारत में हर बड़े या छोटे चुनावों में ईवीएम का इस्तेमाल किया जाता है, इससे किसी भी तरह के फर्जीवाड़े की गुंजाइश नहीं रहती है और नतीजे भी जल्दी आते हैं.

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ईवीएम कितनी सुरक्षित रहती हैं

बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए लोग अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं. पहले चरण की वोटिंग के बाद 11 नवंबर को दूसरे चरण का मतदान होगा और 14 नवंबर को नतीजे सामने आएंगे. वोटिंग के लिए भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी EVM का इस्तेमाल किया जाता है. तमाम पोलिंग बूथ पर वोटिंग से ठीक पहले ईवीएम पहुंच जाती हैं और फिर उन्हें एक्टिवेट किया जाता है. अब सवाल है कि वोटिंग खत्म होने के बाद ईवीएम का क्या होता है और इन्हें कहां पर रखा जाता है? साथ ही ये भी जानेंगे कि ईवीएम में वोटिंग के बाद किसी तरह की छेड़छाड़ हो सकती है या फिर नहीं. 

कैसे काम करती है ईवीएम?

पहले ये जान लेते हैं कि ये ईवीएम आखिर काम कैसे करती हैं. भारत में 16 लाख से ज्यादा ईवीएम का इस्तेमाल किया जाता है, वहीं एक मशीन में करीब 2000 वोट डाले जा सकते हैं. ये मशीनें बैटरी से भी चल सकती हैं और कई घंटे का बैकअप होता है. इसीलिए इसे कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकता है. एक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में दो यूनिट होती हैं, पहली कंट्रोल यूनिट और एक बैलटिंग यूनिट होती है. बैलटिंग यूनिट में पांच मीटर का केबल होता है, जिसका इस्तेमाल कंट्रोल यूनि को बैलटिंग यूनिट से जोड़ने के लिए किया जाता है. कंट्रोल यूनिट पीठासीन अधिकारी के पास होती है और बैलटिंग यूनिट को मतदान कक्ष के अंदर रखा जाता है. 

पहले डाले जाते हैं नकली वोट

वोटिंग शुरू करने से पहले ये चेक किया जाता है कि ईवीएम ठीक से काम कर रही है या नहीं, इसके लिए उम्मीदवारों और उनके अधिकृत एजेंट्स के सामने चुनाव अधिकारी मॉक पोल करते हैं, इसमें बटन दबाकर कुछ वोट डाले जाते हैं और देखा जाता है कि वोट सही पड़ रहे हैं या नहीं. हालांकि इन मॉक वोटों की गिनती नहीं होती है. 

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वोटिंग खत्म होने के बाद वोट डालना नामुमकिन

कई लोगों के मन में ये सवाल भी रहता है कि वोटिंग खत्म होने के बाद क्या ईवीएम में फर्जी वोट डाले जा सकते हैं? दरअसल ऐसा मुमकिन नहीं है. मतदान पूरा होने के बाद कंट्रोल यूनिट को संभालने वाला चुनाव अधिकारी 'क्लोज' बटन दबाता है. इसके बाद ईवीएम कोई वोट स्वीकार नहीं करती है. वोटिंग खत्म होते ही कंट्रोल यूनिट को बैलटिंग यूनिट से अलग कर दिया जाता है और सील कर दिया जाता है. इतना ही नहीं पोलिंग एजेंट्स को कुल वोटों की जानकारी भी दी जाती है. 

वोटिंग के बाद कहां जाती हैं मशीनें?

अब उस सवाल पर आते हैं कि आखिर वोटिंग पूरी होने के बाद ईवीएम मशीनों को कहां रखा जाता है? इन सभी मशीनों को उम्मीदवारों या फिर उनके पोलिंग एजेंट्स की मौजूदगी में एक स्ट्रांग रूम में रखा जाता है. उम्मीदवारों को स्ट्रांग रूम के तालों पर अपनी सील लगाने की भी इजाजत होती है.ईवीएम को स्ट्रांग रूम में नतीजों की तारीख तक रखा जाता है, इसके बाद पर्यवेक्षक, उम्मीदवारों और एजेंट्स की मौजूदगी में स्ट्रॉन्ग रूम को खोला जाता है और काउंटिंग सेंटर्स पर भेजा जाता है.

ईवीएम को जब भी ट्रांसपोर्ट किया जाता है और उसे लेकर जाने वाली गाड़ी के पीछे उम्मीदवारों के समर्थक चल सकते हैं, जिससे किसी भी तरह का कोई शक ना हो. इसके अलावा स्ट्रॉन्ग रूम पर उम्मीदवार और उनके समर्थक 24 घंटे निगरानी भी रख सकते हैं. 

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