बिहार चुनाव में 71 करोड़ की नकदी बरामद, इस पैसे का क्या होता है? जानें कैसे मिलता है वापस

Bihar Election Cash Seized: बिहार चुनाव में लगातार करोड़ों रुपये का कैश जब्त किया जा रहा है, ऐसे में आइए जानते हैं कि इस कैश का क्या होता है और कैसे इसे वापस किया जाता है.

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बिहार चुनाव के दौरान जब्त किया गया कैश

Bihar Election Cash Seized: बिहार में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, यहां 6 और 11 नवंबर को वोटिंग होगी और 14 नवंबर को नतीजे सामने आएंगे. इसी बीच चुनाव आयोग की तरफ से लगातार छापेमारी की जा रही है. आयोग ने बताया है कि अब तक 71 करोड़ रुपए से ज्यादा की नकदी, शराब और अन्य सामग्रियां जब्त की गई हैं. इससे पहले भी तमाम चुनावों में सैकड़ों करोड़ रुपये जब्त किए गए हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान भी करोड़ों रुपये का कैश बरामद किया गया. अब सवाल है कि इतने करोड़ रुपये की जब्ती के बाद इसका क्या होता है? आइए जानते हैं कि चुनाव के दौरान जब्त किए गए पैसे का क्या किया जाता है और इसे कहां रखा जाता है. 

क्यों जब्त किया जाता है कैश?

सबसे पहले ये जान लेते हैं कि चुनावों के दौरान कैसे और क्यों कैश जब्त किया जाता है. चुनाव के दौरान कई दस्ते तैयार किए जाते हैं, जो अवैध कैश और शराब जैसी चीजों पर नजर रखते हैं. इस दौरान चुनाव आयोग की टीम किसी को भी रोक सकती है और तलाशी ले सकती है. ऐसे में अगर किसी से कैश बरामद होता है और वो मौके पर ही इसका सबूत नहीं दे पाता है तो इसे जब्त कर लिया जाता है. 

स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए आचार संहिता लागू होने और वोटिंग की तारीख तक ऐसी छापेमारी होती है. भारतीय न्याय संहिता और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत चुनाव में कैश या शराब बांटना भ्रष्ट आचरण और अपराध है. 

जब्त नकदी का क्या होता है?

चुनाव आयोग की बनाई गई टीम कैश की जब्ती करती है, लेकिन बाद में ऐसे मामलों को इनकम टैक्स विभाग को दे दिया जाता है. आईटी विभाग इस बात की जांच करता है कि कैश कहां से आया और किस चीज के लिए इस्तेमाल किया जाना था. अगर किसी व्यापारी या फिर दूसरे व्यक्ति से कैश जब्त किया गया है और वो इसका हिसाब दे देता है तो उसे उसके पैसे वापस लौटा दिए जाते हैं. वहीं कुछ मामलों में जब हिसाब नहीं मिल पाता, तो टैक्स और जुर्माना काटकर बचा हुआ पैसा वापस किया जाता है. 

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कब सरकारी खजाने में चला जाता है पैसा?

चुनावों में कैश का इस्तेमाल वोटर्स को लुभाने या फिर रिश्वत देने के लिए भी किया जाता है. ऐसे मामलों में पहले एक एफआईआर दर्ज होती है और मामला अदालत में जाता है. अगर कोर्ट ये फैसला सुनाती है कि जब्त की गई नकदी चुनावों में इस्तेमाल होने के लिए थी और इससे वोटर्स को खरीदा या लालच देने की कोशिश हो रही थी, तो ऐसे में इसे सरकारी खजाने में जमा करा दिया जाता है. 

शराब का क्या होता है?

चुनाव के दौरान नकदी के अलावा शराब भी भारी मात्रा में जब्त की जाती है. अब सवाल है कि जब्त हुई शराब का क्या किया जाता है. ऐसी शराब को सरकारी गोदाम में स्टोर किया जाता है और फिर एक साथ इसे नष्ट कर दिया जाता है. इसी तरह बाकी मादक पदार्थों के साथ भी यही किया जाता है. 

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