कोविड-19 महामारी की शुरुआत के साथ ही लॉकडाउन और घर से काम की चर्चा शुरू होने पर सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग काफी पशोपेश में था लेकिन लॉकडाउन का एक महीना गुजर जाने के बाद उद्योग इस बदलाव को बेहतर मान रहा है और भविष्य में वह अधिक से अधिक लोगों को घर से ही काम की सुविधा दे सकता है.
देश के 180 अरब डॉलर के सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग के समक्ष लॉकडाउन अवधि के दौरान कारोबार की निरंतरता सुनिश्चित करने की चुनौती थी. लेकिन आज एक महीने बाद उद्योग के कार्यकारी इसे एक अवसर के रूप में देख रहे हैं. उनका मानना है कि वर्क फ्रॉम होम (WFH) से जो लागत और उत्पादकता में लाभ का परिदृश्य उभरा है, उससे सिर्फ आईटी क्षेत्र को ही फायदा नहीं होगा. भविष्य में बैंकों सहित सेवा क्षेत्र की विभिन्न कंपनियो में दफ्तर में बैठकर काम करने वाले लोगों की संख्या काफी कम हो जाएगी.
देश की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्यातक कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के मुख्य कार्यकारी और प्रबंध निदेशक राजेश गोपीनाथन स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि दशकों तक आईटी कंपनियों का मॉडल ऐसा था जिसमें कर्मचारी चौकोर छोटे कमरों में बैठकर काम करते हैं. लेकिन लॉकडाउन के बाद यह तेजी से 'वर्क फ्रॉम होम' में बदल गया.
बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट कंपनी डब्ल्यूएनएस के मुख्य कार्यकारी और नास्कॉम के पूर्व चेयरमैन केशव मुरुगेश ने कहा कि संगठन ने इस चुनौती में तेजी से काम करते हुए अपने सदस्यों को 25 लाख डेस्कटॉप दफ्तरों से कर्मचारियों के घरों तक पहुंचाने में मदद की. इससे कार्य की निरंतरता बनी रही.
उन्होंने कहा कि जब कर्मचारियों ने घर से काम करना शुरू किया तो कंपनियों को लागत और दक्षता के मोर्चे पर लाभ दिखने लगा.
मुरुगेश ने कहा कि घर से काम काफी अच्छी तरह से हो रहा है. जिस तरह से इसमें दक्षता दिख रही है उससे लगता है कि लंबे समय में WFH (वर्क फ्रॉम होम) का काफी अच्छा प्रभाव पड़ेगा.
TCS के मुख्य परिचालन अधिकारी एन गणपति सुब्रमण्यम ने हाल में कहा था कि कंपनी को उम्मीद है कि 2025 तक उसके सिर्फ 25 प्रतिशत कर्मचारी कार्यालय से काम करेंगे. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि कंपनी ने इस लक्ष्य को कब तय किया है.
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