मदरसे में नाबालिग छात्रा की संदिग्ध मौत, परिजन ने लगाया मौलवी पर हत्या का आरोप

अन्य छात्राओं ने बताया कि रात 10 बजे तक सब ठीक था और उसके बाद सभी सोने चले गए. रात में कब ये घटना घटी, किसी को पता नहीं चला.

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झारखंड के गोड्डा से नाबालिग छात्रा की मौत की खबर सामने आई है. छात्रा जिले के मदरसे में पढ़ाई करती थी. परिजनों ने मदरसे के मौलवी पर ही हत्या का आरोप लगाया है. इस खबर के बाद पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है. पुलिस मौके पर पहुंच कर मामले की छानबीन कर रही है. 

'रात 10 बजे तक सब ठीक था...'

मामला गोड्डा जिले के महागामा थाना क्षेत्र के कस्बा गांव का है. यहां उम्मूल मोमिन जामिया आयशा लिल बनात मदरसे में 14 साल की छात्रा कुशाहा मौलवी की पढ़ाई करती थी. मृतिका की बड़ी मामी सालीफान खातून को सुबह 9 बजे घटना की जानकारी मिली. मदरसे पहुंचने पर उन्होंने देखा कि बच्ची को बिस्तर पर लिटाया हुआ था. मामी सालीफान खातून को पढ़ने वाली अन्य छात्राओं ने बताया कि रात 10 बजे तक सब ठीक था और उसके बाद सभी सोने चले गए. रात में कब ये घटना घटी, किसी को पता नहीं चला.

परिजनों ने लगाया मौलवी पर हत्या का आरोप

वहीं परिजन और मामी सालीफान खातून ने मदरसे के मौलवी पर हत्या का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि मौलवी ने छात्रा को फांसी लगाकर मार दिया. बच्ची के गले में दाग है. इस घटना के बाद कई परिजन अपनी बच्चियों को घर लेकर चले गए.

पुलिस मामले की जांच में जुटी

घटना की सूचना मिलते ही महागामा एसडीपीओ चंद्रशेखर आजाद और थाना प्रभारी शिवदयाल सिंह दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे. शुरू में परिजन पोस्टमार्टम के लिए तैयार नहीं थे. पुलिस के समझाने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए गोड्डा भेजा गया. एसडीपीओ चंद्रशेखर आजाद के अनुसार, मामला आत्महत्या का लग रहा है. पुलिस मामले की जांच कर रही है और जांच के बाद जो भी बाते सामने आएगी उस पर कार्रवाई की जाएगी.

मराठा समुदाय की संख्या लगभग 28% से 32% के बीच

महाराष्ट्र की कुल आबादी में मराठा समुदाय की संख्या लगभग 28% से 32% के बीच बतायी जाती है, इतनी बड़ी आबादी का एक बड़ा हिस्सा, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा होने का दावा करते हुए समुदाय आरक्षण की मांग करता रहा है. समय-समय पर विभिन्न मराठा संगठनों ने इस मुद्दे को उठाया और विरोध प्रदर्शन किए, मौजूदा समय में मनोज जरांगे पाटिल आंदोलन का बड़ा चेहरा बने दिखे हैं.  

कानूनी दांव-पेंच में फंसा आरक्षण

कांग्रेस-एनसीपी की गठबंधन सरकार ने मराठा आरक्षण पर फैसला जून 2014 में लिया गया, जो विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लिया गया एक बड़ा राजनीतिक कदम था. चुनाव में बाद देवेंद्र फडणवीस जब 2014 में पहली बार मुख्यमंत्री बने, तब कांग्रेस-एनसीपी सरकार के दिए गए 16% मराठा आरक्षण पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी. फडणवीस सरकार ने इस रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की, लेकिन वहां राहत नहीं मिली. कानूनी दांव-पेंच में ये आरक्षण टिक नहीं पाया.

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मनोज जरांगे पाटील और उनके समर्थकों पर लाठीचार्ज की घटना 1 सितंबर, 2023 को महाराष्ट्र के जालना जिले के उनके अंतरवाली सराटी गांव में हुई. ये मराठा आरक्षण आंदोलन का एक महत्वपूर्ण और दुखद "टर्निंग पॉइंट" साबित हुआ. 

मराठा आरक्षण आंदोलन राज्य भर में और भी उग्र हो गया. कई जिलों और शहरों में बंद, विरोध प्रदर्शन और रैलियां हुईं. कुछ हिस्सों में हिंसा भड़की, सरकारी बसों समेत सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया. उग्र प्रदर्शनों ने शिंदे-फडणवीस-पवार सरकार को भारी दबाव में ला दिया. गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस पर सीधे-तीखे निशाने लगने लगे और देखते-देखते मराठा समाज के बीच मनोज जरांगे पाटील का कद बढ़ता गया. 

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