कांग्रेस की झारखंड इकाई, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और कुछ आदिवासी संगठनों ने नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नहीं आमंत्रित किये जाने के विरोध में रविवार को प्रदर्शन किया. कांग्रेस ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि नव निर्मित संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति महोदया को आमंत्रित नहीं किये जाने के विरोध में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के नेतृत्व में धरना दिया गया. इस धरना कार्यक्रम में झारखंड कॉंग्रेस नेता विधायक दल के नेता एवं ग्रामीण एवं संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम भी मुख्य रूप से उपस्थित रहे. उनके साथ कार्यकारी अध्यक्ष शहजादा अनवर पूर्व विधायक ममता देवी उपस्थित हुईं.
इस मौके पर अपने भाषण में प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि देश की संसद लोकतंत्र का मंदिर है और महामहिम राष्ट्रपति संसद का प्रथम अंग हैं. उन्होंने कहा कि नए संसद भवन के शिलान्यास समारोह में, तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को समारोह से दूर रखा गया और अब इसके उद्घाटन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दरकिनार कर दिया गया है.
उन्होंने आरोप लगाया कि यह आरएसएस की दलित आदिवासी विरोधी मानसिकता है जिसके कारण उन्हें उस सम्मान से वंचित रखा जाता है जो उनके उच्च संवैधानिक पद के अनुसार उन्हें हासिल है. उन्होंने कहा कि उनका जानबूझकर दरकिनार किया जाना यह दिखाता है कि भारतीय जनता पार्टी एवं प्रधानमंत्री मोदी उन्हें अपनी चुनावी राजनीति के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल करेंगे, लेकिन उन्हें ऐसे महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक अवसरों का हिस्सा नहीं बनने देंगे.
वामदलों और विभिन्न आदिवासी संगठनों ने भी नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं किये जाने को लेकर यहां काला दिवस मनाया. भाकपा के प्रदेश सचिव महेंद्र पाठक ने कहा, ‘‘ केंद्र की भाजपा सरकार ने राष्ट्रपति को निमंत्रित नहीं कर अपना तानाशाही रवैया दिखाया है. यह देश के लिए काला दिन है.
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