संभावना है कि मैं खुद पक्षकार बनूं...जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने के मामले सीएम उमर अब्दुल्ला

याचिकाकर्ता तत्काल राज्य का दर्जा बहाल करने और दिसंबर 2023 में संविधान पीठ द्वारा दिए गए निर्देशों को लागू करने की मांग कर रहे हैं.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • जम्मू कश्मीर CM उमर अब्दुल्ला राज्य का दर्जा बहाल करने की याचिका में पक्षकार बनने की तैयारी कर रहे हैं
  • अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार के परामर्श के दावे को खारिज करते हुए कहा कि इस बारे में पहली बार कोर्ट में पता चला
  • SC ने केंद्र सरकार को 4 सप्ताह में राज्य का दर्जा बहाल करने संबंधी याचिका पर जवाब दाखिल करने के निर्देश
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
श्रीनगर:

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पक्षकार बनने की तैयारी शुरू कर दी है. उन्होंने केंद्र सरकार के उस दावे को भी खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि राज्य का दर्जा बहाल करने को लेकर केंद्र जम्मू-कश्मीर सरकार से परामर्श कर रहा है. मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने कहा, “यह मामला कानूनी टीम के साथ चर्चा में है और संभावना है कि मैं खुद इस केस में पक्षकार बनूं.” उन्होंने यह भी कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करने के मुद्दे पर एक साल के कार्यकाल में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है और इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया.

10 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि केंद्र सरकार राज्य का दर्जा बहाल करने को लेकर जम्मू-कश्मीर सरकार से परामर्श कर रही है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा, “नहीं. मैंने पहली बार इस बारे में तब सुना जब सुप्रीम कोर्ट को इसकी जानकारी दी गई.” सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा जल्द बहाल करने की मांग को लेकर याचिका पर सुनवाई चल रही है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने कहा, “मैंने वरिष्ठ वकीलों से इस मामले में पक्षकार बनने की संभावना पर चर्चा की है क्योंकि मुझे लगता है कि एक केंद्र शासित प्रदेश होने के नुकसान को मुझसे बेहतर कोई नहीं समझ सकता. मैं देश का एकमात्र व्यक्ति हूं जिसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश दोनों का मुख्यमंत्री बनने का अनुभव है.” पिछले सप्ताह चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक अंतरिम आदेश पारित किया था. एसजी ने कोर्ट को यह भी बताया था कि पहलगाम आतंकी हमले जैसे घटनाओं को राज्य का दर्जा बहाल करने से पहले ध्यान में रखा जाना चाहिए. इस पर याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि यह हमला “केंद्र सरकार की निगरानी में हुआ.”

याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को याद दिलाया कि दिसंबर 2023 में केंद्र सरकार ने राज्य का दर्जा बहाल करने का आश्वासन दिया था. उन्होंने पूछा, “अगर उस आश्वासन का पालन नहीं होता तो क्या किया जाए?” एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने देश की संघीय संरचना का हवाला देते हुए कहा कि अगर केंद्र को किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदलने की अनुमति दी जाती है, तो यह किसी भी राज्य के साथ हो सकता है. “कल को वे उत्तर प्रदेश को केंद्र शासित प्रदेश बना सकते हैं क्योंकि वह नेपाल से सटा है या तमिलनाडु को क्योंकि वह श्रीलंका के पास है.”

याचिकाकर्ता तत्काल राज्य का दर्जा बहाल करने और दिसंबर 2023 में संविधान पीठ द्वारा दिए गए निर्देशों को लागू करने की मांग कर रहे हैं. 11 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 को हटाने को सही ठहराया था लेकिन केंद्र सरकार को “यथाशीघ्र, जल्द से जल्द” राज्य का दर्जा बहाल करने का निर्देश दिया था. केंद्र सरकार ने कोर्ट में यह भी कहा था कि “जम्मू-कश्मीर का केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी है और राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा.” इसी आश्वासन के आधार पर कोर्ट ने यह तय नहीं किया कि अनुच्छेद 3 के तहत राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदलना वैध है या नहीं.

अब सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिका में देरी को भारत की संघीय संरचना का उल्लंघन बताया गया है. याचिकाकर्ताओं ने कहा, “जम्मू-कश्मीर को समयबद्ध तरीके से राज्य का दर्जा बहाल न करना भारत के संविधान की मूल संरचना का हिस्सा संघवाद के विचार का उल्लंघन है.” गौरतलब है कि अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर उसका विशेष दर्जा और राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया गया था. तब से केंद्र सरकार ने कई बार आश्वासन दिया है कि “उपयुक्त समय” पर राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा.

Advertisement

Featured Video Of The Day
JNU के छात्रों और पुलिस में धक्का-मुक्की, केस दर्ज | Delhi News | BREAKING NEWS