- जम्मू के बाढ़ प्रभावित इलाकों में किसानों के नुकसान का सर्वेक्षण कर राहत पैकेज शीघ्र लागू किया जाएगा
- फसल बीमा योजना के तहत मिर्च, धान और बागवानी फसलों के लिए मुआवजा मिलेगा
- प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान पुनर्निर्माण के लिए एक लाख तीस हजार रुपये की सहायता
इस साल मॉनसून सीजन के दौरान भयंकर बारिश ने जम्मू के कई इलाकों में काफी कोहराम मचाया. अब इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों को भारत सरकार की तरफ से एक राहत पैकेज देने की तैयार कर रही है, जिसे जल्दी ही कार्यान्वित किया जाएगा. बीते दिन केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी जम्मू के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया. इस दौरान शिवराज सिंह चौहान ने बाढ़ प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए कई घोषणाएं कीं.
बाढ़ प्रभावित इलाकों का सर्वे
जम्मू के आरएसपुरा में ग्राम बडयाल ब्राह्मण में बाढ़ प्रभावित किसानों के साथ संवाद करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि होम मिनिस्ट्री, जल शक्ति विभाग, ग्रामीण विकास, कृषि सहित सभी विभागों की टीम आई है. इन्होंने बाढ़ प्रभावित इलाकों का सर्वे किया है, वो अपनी रिपोर्ट सरकार को सौपेंगे. नुकसान का आंकलन चल रहा है. राज्य सरकार का जब केंद्र के पास ज्ञापन आएगा, इसके बाद भारत सरकार राहत पैकेज का ऐलान करेगी.
मिर्च और धान की फसल का नुकसान
कृषि मंत्री ने प्रभावित किसानों को आश्वासन देते हुए कहा कि NDRF के अंतर्गत जो प्रावधान हैं, उनको हम लागू करेंगे. आपदा प्रबंधन के लिए राज्य सरकार के पास लगभग 2499 करोड़ रुपये हैं, उसका उपयोग सरकार करेगी. इसके अलावा जो जरूरत होगी, केंद्र सरकार सहायता मुहैया कराएगी. मिर्च और धान जैसी फसल का नुकसान हुआ है, बीमित किसानों के नुकसान की पूरी भरपाई करने की कोशिश करेंगे.
किस नुकसान पर कितना मुआवजा
राहत की राशि के अलावा हम फसल बीमा योजना की राशि देंगे. सब्जी और बागवानी फसल के लिए सिंचित क्षेत्र में 17 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर का प्रावधान है, कृषि वानिकी के लिए 22,500 रुपये प्रति हेक्टेयर का प्रावधान है. ये राशि राज्य सरकार के द्वारा बंटना है. दुधारू पशु के नुकसान पर 37500 रुपये, घोड़ा और बैल के नुकसान पर 32 हजार रुपये, बछड़ा, टट्टू और खच्चर के नुकसान के लिए 20 हजार रुपये का प्रावधान है".
जम्मू में जान-माल का भारी नुकसान
इस मॉनसून सीजन के दौरान जम्मू के कई इलाकों में जानमाल का काफी नुकसान हुआ है. कई जगह मकान ढह गए हैं. कृषि मंत्रालय ने तय किया है कि 1 लाख 30 हजार रुपये प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाने के लिए दिए जाएंगे. टॉइलेट के अलग से रिलीफ फंड्स और मनरेगा की मजदूरी के लिए 40 हजार रुपये ग्रामीण विकास विभाग की तरफ से दिया जाएगा.
मनरेगा के तहत मजदूरी के दिन बढ़ेंगे
कृषि मंत्री ने कहा कि 5,101 मकान की जानकारी आई है, मैं यहां से जाते ही इनकी स्वीकृति दे दूंगा. सेल्फ हेल्प ग्रुप का काम यहां बहुत अच्छा है. यहां बहनों को नुकसान हुआ होगा. हम उसके लिए 76 हजार रुपये की राशि जारी करेंगे. सड़कों के लिए भी राज्य सरकार ज्ञापन देगी, जिस पर उसकी व्यवस्था हम करेंगे." केंद्र सरकार चाहती है कि राज्य सरकार मनरेगा के तहत ग्रामीण वर्करों को मिलने वाली मजदूरी 100 दिन से बढ़ाकर 150 दिन करे.
खेतों में चार से पांच फीट रेत के ढेर
जम्मू का कुछ बाढ़ प्रभावित इलाकों में खेतों में चार से पांच फीट रेत के ढेर लग गए हैं, जिसके अंदर फसलें दबकर बर्बाद हो गई हैं. शिवराज सिंह चौहान ने कहा, "रेत के मामले में राज्य के स्तर पर फैसला कर लेना चाहिए कि जिसका खेत, उसकी रेत. रेत बची है, तो वही किसानों को दे दी जाए, खनन के नियम लागू न हों. किसान अपने-अपने खेतों की रेत बेचें, यह व्यवस्था होनी चाहिए"
कृषि मंत्रालय के मुताबिक सीमा पर रहने वाले कई किसान खेती करते हैं लेकिन उनका स्वामित्व नहीं है. अगर राज्य सरकार उन्हें प्रमाणित करती है तो केंद्र सरकार उन किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का पात्र बनाने के लिए तैयार है.