मी लॉर्ड, देखिए 11 साल की बेटी के हॉरर VIDEO... और कोर्ट ने दे दी मां को कस्टडी

मामला जयपुर के आमेर क्षेत्र के बुजुर्ग दंपति और उनकी बहू के बीच का है. याचिकाकर्ता साधना के पति किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे. एक साल पहले उनकी मौत हो गई. पति की मौत के बाद दो बच्चे मां की बजाय अपने दादा-दादी के पास रह रहे थे. इन बच्चों की कस्टडी के लिए मां ने कोर्ट में याचिका लगाई थी.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
कोर्ट ने दादा-दादी को हर रविवार को बच्चों से मिलने की परमिशन दी है.
जयपुर:

राजस्थान हाईकोर्ट ने बच्चों की कस्टडी से जुड़े एक मामले में अहम फैसला दिया है. अदालत ने 11 साल की एक बच्ची और उसके 7 साल के भाई की कस्टडी उनके दादा-दादी से छीनकर मां को दे दी है. यू-ट्यूब रील्स और शॉर्ट वीडियो कोर्ट के इस फैसले का आधार बने. बीते साल ही इन बच्चों के पिता की मौत हो गई थी. जिसके बाद कोर्ट ने दादा-दादी को बच्चों की कस्टडी दी थी. फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने माना कि बच्चों की परवरिश में दादा-दादी की तरफ से लापरवाही बरती गई है.

क्या है पूरा मामला?
ये मामला जयपुर के आमेर क्षेत्र के बुजुर्ग दंपति और उनकी बहू के बीच का है. याचिकाकर्ता साधना के पति किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे. एक साल पहले उनकी मौत हो गई. पति की मौत के बाद दो बच्चे मां की बजाय अपने दादा-दादी के पास रह रहे थे. इन बच्चों की कस्टडी के लिए मां ने कोर्ट में याचिका लगाई थी.

SC में जमा था पासपोर्ट, फिर भी US चला गया NRI, कोर्ट ने केंद्र से कहा- पता करिए किसने भगाया

YouTube पर उल्टा सीधा कंटेंट डालती है बेटी 
याचिकाकर्ता साधना ने आरोप लगाया, "मेरी 11 साल की बेटी दिनभर सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती है. वह YouTube पर रोज उल्टा सीधा कंटेंट डालती रहती है. उसे ऐसा करने से कोई नहीं रोकता. मैंने रोकने की कोशिश की थी, लेकिन ससुराल वालों ने मुझे ही चुप करा दिया. ससुराल पक्ष ने कहा, "तू क्या बड़े होने के बाद उनको फोन नहीं देगी." 

याचिकाकर्ता ने कहा, "दादा-दादी के सामने ही बच्ची यूट्यूब पर रील्स और वीडियो अपलोड करती है, लेकिन वे उसकी निगरानी नहीं करते." उनका दावा है कि बच्चे अपने पिता का फोन वीडियो बनाने के लिए इस्तेमाल करते हैं. लेकिन य-ट्यूब से होने वाली कमाई किसी और को मिल रही है. याचिकाकर्ता ने कहा कि वह पढ़ी-लिखी है. सिलाई करके अपना खर्च निकाल रही है. ऐसे में उसको बच्चों की कस्टडी दी जाए.

अदालत ने क्या कहा?
राजस्थान हाईकोर्ट ने बच्ची के कुछ वीडियो देखने के बाद अपने आदेश में कहा- "11 साल की बच्ची खुद वीडियो बना रही है. एडिट कर रही है. उसे अपलोड कर रही है. उसके दादा-दादी ने कभी यह नहीं देखा कि वह क्या कर रही है? ये गंभीर लापरवाही है."

21 जनवरी को आया मां के पक्ष में फैसला
हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए 21 जनवरी को फैसला मां के पक्ष में सुनाया. बच्ची का यूट्यूब चैनल और उस पर अपलोड किए गए रील्स और वीडियो इस फैसले का आधार बने. अपने चैनल पर बच्ची ने खतरनाक वीडियो पोस्ट किए थे. इनमें एक वीडियो में बच्ची इंजेक्शन के साथ स्टंटबाजी कर रही थी. दूसरे वीडियो में बच्ची किसी हॉरर फिल्म के भूत जैसे गेटअप में है. इन वीडियो के आधार पर अदालत ने माना कि बच्चों की परवरिश में दादा-दादा ने गंभीर लापरवाही बरती है. इसके बाद अदालत ने बच्चों की कस्टडी उनकी मां को दे दी.

Advertisement

नए कानून के तहत CEC और EC की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 12 फरवरी को सुनवाई

अदालत ने क्या कहा?
अदालत ने चिंता जाहिर करते हुए कहा, "यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर बिना किसी गाइडेंस के इतनी छोटी उम्र की बच्ची की मौजूदगी उसे साइबर खतरों की चपेट में ला सकती थी, लेकिन परिवार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया." हाईकोर्ट ने कहा, "एक छोटी बच्ची का बार-बार वीडियो बनाना, सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना और इसकी कमाई का किसी और के पास जाना, इस बात का संकेत है कि बच्चों की सही देखभाल नहीं हो रही."

जस्टिस पंकज भंडारी की अदालत ने कहा कि मां ही बच्चों की प्राकृतिक संरक्षक होती है. ऐसे में बच्चों के सर्वोत्तम हित को देखते हुए उनकी कस्टडी मां को दी जाती है. हालांकि, कोर्ट ने दादा-दादी को हर रविवार को बच्चों से मिलने की परमिशन दी है.

Advertisement

क्या किसी ‘मुहूर्त' का इंतजार है...; विदेशियों की डिपोर्टिंग पर सुप्रीम कोर्ट का असम सरकार से सवाल

Featured Video Of The Day
Jawahar Lal Nehru 'The Divider in Chief', सिन्धु जल समझौता और बंटवारे पर गंभीर आरोप | India Pakistan
Topics mentioned in this article