"आपको पैसे वापस कर देंगे": फर्जी CBI गिरोह ने रिटायर्ड अधिकारी से की 85 लाख रुपए की ठगी

सेवानिवृत्त अधिकारी ने लोगों को अनजान नंबरों से आने वाले व्हाट्सएप वीडियो कॉल का जवाब न देने की चेतावनी दी है. उन्होंने दावा किया है कि एक महीने में विशाखापत्तनम साइबर पुलिस को 300 करोड़ रुपये तक की ठगी की शिकायतें मिलीं है.

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पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और मामले की जांच कर रही है.
नई दिल्ली:

एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी से ठगी का मामला सामने आया है. जानकारी के अनुसार सीबीआई, सीमा शुल्क, नारकोटिक्स और आयकर अधिकारी बनकर स्काइप पर एक गिरोह ने इनसे 85 लाख रुपये की ठगी की. आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम और दिल्ली में पुलिस ने मामला दर्ज किया है. विशाखापत्तनम में दर्ज की गई एफआईआर के मुताबिक गिरोह ने 'राणा गारमेंट्स' द्वारा संचालित एचडीएफसी अकाउंट से पैसे ट्रांसफर किए हैं. सेवानिवृत्त अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया कि एचडीएफसी बैंक की उत्तम नगर शाखा ने भी धोखाधड़ी के संबंध में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है.

जर्मनी की कंपनी में बतौर एसोसिएट जनरल मैनेजर के तौर पर काम कर चुके 57 वर्षीय पीड़ित ने ठगी के बारे में बताया कि "मेरी सेवा के तीन साल बाकी थे, लेकिन मैंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली, क्योंकि मुझे अपने बेटे को विदेश में कॉलेज भेजने के लिए तैयार करने के लिए समय चाहिए था. मुझे 2 मई को सेवानिवृत्ति का भुगतान मिल गया. लेकिन 14 मई को गिरोह ने मुझे 85 लाख रुपये धोखे से लिए. जिसके बारे में उन्होंने कहा कि मेरे रिकॉर्ड की जांच करने के बाद इसे वापस कर दिया जाएगा".

सेवानिवृत्त अधिकारी ने आरोप लगाया कि विशाखापत्तनम में बैंक के कुछ अंदरूनी लोग इसमें शामिल हो सकते हैं, क्योंकि गिरोह को उनके खाते के बारे में सब कुछ पता था. यहां तक की उन्हें मिलने वाली सटीक राशि का भी उन्हें पता था. उन्होंने एनडीटीवी से कहा, "गिरोह ने मुझे नजदीकी एचडीएफसी बैंक में जाकर चेक जमा करने को कहा."

सेवानिवृत्त अधिकारी ने कहा, "एचडीएफसी बैंक ने कहा है कि वे अपराध शाखा के साथ सहयोग कर रहे हैं. मैंने पुलिस को यह भी पूछा कि क्या उत्तम नगर (दिल्ली) शाखा द्वारा राणा गारमेंट्स के लिए कोई केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) नहीं किया गया था? दिल्ली में पुलिस राणा गारमेंट्स द्वारा बताए गए पते पर गई और पाया कि वह स्थान किसी अन्य कंपनी द्वारा कब्जाया हुआ था. राणा गारमेंट्स के मालिक का पता नहीं चल पाया है."

एफआईआर के अनुसार, रिटायरमेंट सेविंग्स के पैसे अधिकारी के एचडीएफसी बैंक खाते में जमा होने के बाद, उन्हें एक व्यक्ति का फोन आया जिसने खुद को "डीसीपी साइबर क्राइम बलसिंह राजपूत" बताया. उसने रिटायर्ड अधिकारी से कहा कि उसका नाम कई नारकोटिक्स और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में आया है और उसका नाम इन सभी मामलों से जुड़ा हुआ है.

स्काइप पर दो दिन की 'पूछताछ'

सेवानिवृत्त अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया, "नकली डीसीपी ने अपने नकली बॉस से कुछ देर बात करने के बाद कहा कि मैं निर्दोष दिखता हूं, मेरे से कहा गया कि मैं उन्हें फिलहास 85 लाख रुपये दे दूं. अगर पुलिस को कुछ भी गलत नहीं लगता है तो मुझे मिल जाएंगे." "स्काइप पर मुझसे 'पूछताछ' दो दिनों तक चली. उन्होंने मुझे घर से बाहर नहीं जाने दिया और न ही किसी को फोन करने दिया.

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यह पूछे जाने पर कि क्या पुलिस विभिन्न बैंकों के उन 105 खातों में से किसी का पता लगा पाई है, जिनमें राणा गारमेंट्स के खाते से 85 लाख रुपये स्थानांतरित किए गए थे, सेवानिवृत्त अधिकारी ने कहा कि पुलिस ने अब तक उन्हें अपनी खोज के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया है.

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