"TV पर नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह देखकर पछतावा हो रहा होगा...", विपक्षी पार्टियों पर सुमित्रा महाजन का तंज

पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने NDTV से कहा, "नई संसद भवन की जरुरत और ये सबकी मांग भी थी. बैठने के लिए जगह कम पड़ रहे थे सांसदों को खंभे के पीछे बैठना पड़ता था. ये मांग किसी एक पक्ष की नहीं थी.

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सुमित्रा महाजन ने NDTV से खास बातचीत की.

नई दिल्ली: PM नरेन्द्र मोदी ने रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन किया. कांग्रेस समेत विपक्ष के 21 दलों ने इस उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया. नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में बीजेपी नेता और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी शामिल हुईं. NDTV से खास बातचीत में सुमित्रा महाजन ने इस समारोह में विपक्षी पार्टी के शामिल नहीं होने पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि विपक्षी के लोगों को टीवी पर समारोह की तस्वीर देखकर पछतावा हो रही होगी. ये पल गौरवान्वित कर देने वाला था.

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"नई संसद भवन की जरुरत और ये सबकी मांग..."
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने NDTV से कहा, "नई संसद भवन की जरुरत और ये सबकी मांग भी थी. बैठने के लिए जगह कम पड़ रही थी. सांसदों को खंभे के पीछे बैठना पड़ता था. ये मांग किसी एक पक्ष की नहीं थी. सांसदों को बैठने में काफी समस्याएं होती थी. जब मैं स्पीकर थी तो उस समय भी नए भवन को लेकर चर्चा हुई थी. मुझे नहीं लगता किसी को विरोध नहीं करना चाहिए था. पता नहीं ये विवाद कहां से शुरू हुआ और क्यों ऐसी राजनीति हो रही है. संसद लोकतंत्र का मंदिर है. यहां से पूरा देश संचालित होता है. हम संसद में चर्चा के लिए बैठते हैं. ऐसी राजनीति नहीं होनी चाहिए."

"टीवी पर देखकर लोगों के मन में पछतावा..."
सुमित्रा महाजन ने कहा, "मैं नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में खुद शामिल हुईं थी. मेरी इच्छा थी, नई संसद भवन बननी चाहिए. पहले ही हम इस जगह को फाइनल कर चुके थे और इतने कम समय में इतना बड़ा भवन बन गया है. यह नई संसद भवन टेक्नोलॉजी से लैस है. समारोह काफी गरिमामय था. आजादी के 75 साल के बाद एक ऐतिहासिक चीज सामने आ गई. समारोह को टीवी पर देखकर लोगों के मन में पछतावा तो जरुर हुआ होगा. विपक्ष के लोगों ने ऐतिहासिक पल को मिस किया है."

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"सावरकर पर सवाल खड़ा करना ठीक नहीं..."
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने NDTV से कहा, "सभी लोगों का अपना अधिकार है. मेरा तो यह कहना है कि हमारा संविधान बहुत अच्छा है. सदन का नेता कोई काम कर रहा है तो विरोध क्यों किया जा रहा है. जाति की बात क्यों हो रही है. देश की युवा पीढ़ी बात को समझ रही है. किन बातों को लेकर विरोध हो रहा है. संसद में बैठकर चर्चा करिए. यहां से देश के लिए निर्णय लिए जाते हैं. संसद में सभी लोगों को बात रखने का अधिकार है. अब आप बंटन दबाते ही संसद के लाइब्रेरी से जुड़ सकते हैं. एकबार आप आकर देखिए. मैं सावरकर को पढ़ी हूं. सावरकर जी ने देश के लिए लड़ाई लड़ी. इन बातों पर सवाल खड़ा करना उचित नहीं है. हमे सम्मान करना चाहिए." 

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"यह विश्व को भारत के दृढ़संकल्प का संदेश देता है"
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज संसद के नए भवन का उद्घाटन किया. नए भवन में अपने पहले संबोधन में पीएम ने कहा कि यह 140 करोड़ भारतीय नागरिकों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब है. यह विश्व को भारत के दृढ़संकल्प का संदेश देता है. हमारे लोकतंत्र का मंदिर है. उन्होंने कहा कि जब भारत आगे बढ़ता है तो विश्व आगे बढ़ता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की विकास यात्रा के कुछ पल अमर हो जाते हैं और आज भी ऐसा ही एक दिन है.

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