मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने शनिवार को कहा, ''दवाओं के नाम हिंदी में क्यों नहीं लिखे जा सकते, ऊपर 'श्री हरि' और दवाओं के नाम नीचे लिखें.'' शिवराज सिंह चौहान ने राज्य की राजधानी भोपाल में भारत भवन में हिंदी (Hindi) व्याकरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की. हिंदी में दवा का नाम लिखने की पुरजोर वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि अगर नुस्खा 'क्रोसीन' (Crocin) दवा का है, तो इसे हिंदी में लिखिए, इसमें क्या दिक्कत है?
शिवराज चौहान ने कहा, "मेरे पास कहने के लिए बहुत कुछ नहीं है क्योंकि हमें यह करना है. हिंदी विश्वविद्यालय इसी का परिणाम था, यह अलग बात है कि यह कम सफल रहा या अधिक."
उन्होंने कहा कि सरकार अंग्रेजी के खिलाफ नहीं है लेकिन राष्ट्रभाषा के बारे में जागरूकता जरूरी है. उन्होंने कहा, "आज यह मानसिकता गलत है कि अंग्रेजी के बिना काम नहीं हो सकता. मैंने देखा कि कई बच्चों ने सिर्फ इसलिए मेडिकल कॉलेज छोड़ दिया क्योंकि उनकी अंग्रेजी अच्छी नहीं है."
उन्होंने कुछ ऐसे देशों का उदाहरण दिया जहां देशी भाषाओं में काम किया जाता है और जिन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में काफी प्रगति की है.
उन्होंने कहा, "रूस, जापान, जर्मनी और चीन जैसे देशों में कौन अंग्रेजी बोलता है? हम गुलाम हो गए हैं. जब मैं अमेरिका गया, तो मैंने हिंदी में भाषण दिया और अंग्रेजी में बोलने वालों की तुलना में अधिक प्रशंसा प्राप्त की."
चौहान ने कहा, "यह एक सामाजिक क्रांति है. कुछ भी असंभव नहीं है. जब मैंने घोषणा की कि (एमबीबीएस कोर्स हिंदी में) तब कुछ लोग हंस रहे थे, लेकिन अब हमने इसे करके दिखा दिया है."
इस अवसर पर राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, भोपाल की महापौर मालती राय सहित कई साहित्यकार उपस्थित थे.
केंद्रीय मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री चौहान 16 अक्टूबर को तीन विषयों- एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और बायोकैमिस्ट्री की अंग्रेज़ी से हिंदी में अनुवादित मेडिकल पाठ्यपुस्तकों का लोकार्पण करेंगे.
देश-प्रदेश: मध्यप्रदेश में हिंदी में होगी मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई