प्रज्ञानंद की सफलता के पीछे उनकी मां नागलक्ष्मी का बड़ा रोल है.
भारत के युवा चेस प्लेयर रमेशबाबू प्रज्ञानंद (Rameshbabu Praggnanandhaa) FIDE वर्ल्ड कप (Chess World Cup) हार चुके हैं. उन्हें 5 बार के वर्ल्ड चैंपियन मैग्नस कार्लसन (Magnus Carlsen) ने फाइनल के टाईब्रेकर में 1.5-0.5 से हराया. 18 साल के रमेशबाबू प्रज्ञानंद की वर्ल्ड रैंकिंग 29 है. वो अब तक के सबसे कम उम्र के FIDE वर्ल्ड कप के उप-विजेता हैं. अगर वह यह मुकाबला जीत जाते, तो 21 साल बाद कोई भारतीय यह टाइटल जीतता. इससे पहले विश्वनाथन आनंद ने 2002 में इस चैंपियनशिप में जीत हासिल की थी. FIDE वर्ल्ड कप का उप-विजेता बनने के बाद प्रज्ञानंद ने अपनी मां को सबसे बड़ा सपोर्ट बताया है.
फाइनल के बाद प्रज्ञानंद ने NDTV से खास बात की. इस दौरान उन्होंने कहा, "बेशक वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचने से मैं बहुत खुश हूं. लेकिन वर्ल्ड चैंपियन मैग्नस कार्लसन के खिलाफ खेलना बहुत मुश्किल होता है. गेम किसी भी साइड जा सकता था. लेकिन आज ये मेरी साइड नहीं गया. जो भी हो... मैं पूरे वर्ल्ड कप के दौरान अपने प्रदर्शन से खुश हूं. वर्ल्ड कप का रनर-अप बनना भी मेरे लिए बड़ी बात है."
फाइनल राउंड के वीडियो में देखा जा सकता है कि मैग्नस कार्लसन काफी डिफेंसिव खेल रहे थे. जबकि प्रज्ञानंद बहुत आराम से अपनी चाल रहे थे. इससे जुड़े एक सवाल के जवाब में प्रज्ञानंद ने कहा, "हां... पहला गेम एक बड़ा चांस था. लेकिन जब उन्हें चांस मिला, तो गेम की दिशा बदल गई."
प्रज्ञानंद ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि देश के युवा चेस को एक गेम के तौर पर लेंगे और खेलने के लिए आगे आएंगे. जहां तक मुझे लगता है कि ऐसा शुरू हो चुका है."
मैग्नस कार्लसन भी हुए मुरीद
प्रज्ञानंद के गेम से वर्ल्ड चैंपियन मैग्नस कार्लसन भी मुरीद हो गए हैं. कार्लसन एक गेम छोड़कर प्रज्ञानंद को शबाशी और शुभकामनाएं देने गए थे. इस वाकये को लेकर पूछे गए सवाल पर प्रज्ञानंद ने कहा, "ऐसी उम्मीद नहीं की थी. वो अपना गेम खेल रहे थे. ऐसा करेंगे अंदाजा नहीं था. लेकिन वो पल मेरे लिए बहुत यादगार रहा और रहेगा."
साउथ इंडियन फूड खाने की इच्छा जताई
फाइनल खत्म होने के बाद प्रज्ञानंद ने साउथ इंडियन फूड खाने की इच्छा जाहिर की. प्रज्ञानंद ने कहा- "हमारे यहां जो खाना है, उससे ज्यादा मुझे भारतीय खाना पसंद है. मैं साउथ इंडियन खाना खाने की उम्मीद कर रहा हूं." उन्होंने आगे कहा, "हमारे पास डी गुकेश, अर्जुन एरिगैसी जैसे खिलाड़ी हैं. अब मजबूत होने का समय है. गुकेश पहले ही टॉप-10 में जा चुके हैं. हम भी टॉप-10 में जाने की उम्मीद कर रहे हैं."
बहुत बड़े स्टार बनेंगे प्रज्ञानंद-चेस फेडरेशन के अध्यक्ष संजय कपूर
चेस फेडरेशन के अध्यक्ष संजय कपूर ने कहा, "प्रज्ञानंद एक स्टार और एक अच्छे बेटे हैं. आज मैग्नस आए हैं. कल को कोई और भी चैंपियन होगा या कोई भी बड़ा प्लेयर होगा. लेकिन मैं निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि प्रज्ञानंद सबसे बड़े स्टार बनेंगे. इनकी विनम्रता ही उन्हें बहुत आगे लेकर जाएगी. प्रज्ञानंद बहुत-बहुत आगे जाएंगे."
मां हैं सबसे बड़ा सपोर्ट
प्रज्ञानंद की सफलता के पीछे उनकी मां नागलक्ष्मी का बड़ा रोल है. वह अपने बेटे की हर जरूरत का ख्याल रखती हैं. हर टूर्नामेंट में अपने बेटे के साथ जाती हैं. बात चाहे खाने-पीने की हो या फिर ट्रेनिंग की. हर जगह वो अपने बेटे को सपोर्ट करती हैं. प्रज्ञानंद बताते हैं, "वर्ल्ड कप 4 हफ्ते तक चला. मैं मां के बिना नहीं रह सकता. वो हमेशा मेरे साथ रहीं. हर मोड़ पर सपोर्ट किया."
प्रज्ञानंद की एक बड़ी बहन हैं ग्रैंडमास्टर
प्रज्ञानंद की एक बड़ी बहन भी हैं, जिनका नाम वैशाली आर है. वो भी शतरंज खेलती हैं. बड़ी बहन को देखकर ही प्रज्ञानंद को शतरंज खेलने की इच्छा हुई. बहन ने ही उन्हें शतरंज खेलना सिखाया. वैशाली आर भी महिला ग्रैंडमास्टर हैं.
दुनिया के टॉप चेस प्लेयर में होगी गिनती
प्रज्ञानंद भले ही फाइनल में जीत हासिल नहीं कर सके, लेकिन चेस वर्ल्ड कप के फाइनल मुकाबले में शानदार प्रदर्शन के बाद जाहिर तौर पर उनकी गिनती दुनिया के टॉप चेस प्लेयर में की जाएगी. 2023 के चेस वर्ल्ड कप के फाइनल में एंट्री करते ही प्रज्ञानंद ने एक अरब से अधिक लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया. उन्होंने मुकाबले के आखिर तक बहादुरी से संघर्ष किया, लेकिन मैग्नस कार्लसन से हार गए.
12 साल की उम्र में बने ग्रैंडमास्टर
प्रज्ञानंद चेन्नई में रहते हैं. उनके पिता स्टेट कॉर्पोरेशन बैंक में हैं और मां होम मेकर हैं. प्रज्ञानंद का नाम पहली बार चर्चा में तब आया, जब उन्होंने 7 साल की उम्र में वर्ल्ड यूथ चेस चैंपियनशिप जीत ली. तब उन्हें फेडरेशन इंटरनेशनल डेस एचेक्स (FIDE) मास्टर की उपाधि मिली. वे 12 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बन गए और सबसे कम उम्र में यह उपाधि हासिल करने वाले भारतीय बने. इस मामले में उन्होंने भारत के दिग्गज शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद का रिकॉर्ड तोड़ा. इससे पहले, 2016 में वो 10 साल की उम्र में यंगेस्ट इंटरनेशनल मास्टर बनने का खिताब भी अपने नाम कर चुके हैं.
ये भी पढ़ें:-