बाल विवाह प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक का अध्ययन कर रही संसद की एक समिति से स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि प्रस्तावित कानून शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर को कम करने में मदद कर सकता है. सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी. विधेयक का अध्ययन कर रही शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल संबंधी संसदीय स्थायी समिति के समक्ष अनेक गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) तथा थिंक-टैंक ने सोमवार को अपना पक्ष रखा.
समिति के सूत्रों ने बताया कि भाजपा के राज्यसभा सदस्य विनय सहस्रबुद्धे की अध्यक्षता वाली समिति को विधेयक पर जानकारी देते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण समेत वरिष्ठ अधिकारियों ने स्पष्ट कहा कि जल्दी विवाह और जल्दी बच्चे को जन्म देना जच्चा-बच्चा दोनों की सेहत पर प्रतिकूल असर डाल सकता है. मंत्रालय के अधिकारी कुल मिलाकर विधेयक के समर्थन में थे और उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि विधेयक से शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर कम हो सकती है.
उन्होंने कहा कि इस विधेयक से बच्चों का कद कम रह जाने जैसे मामलों को रोकने में भी मदद मिल सकती है. केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने पिछले साल 21 दिसंबर को विपक्षी दलों के विरोध के बीच संसद में विधेयक प्रस्तुत किया था.उन्होंने विधेयक को आगे अध्ययन के लिए संसदीय स्थायी समिति को भेजे जाने की मांग की थी. विधेयक का अध्ययन कर रही समिति का कार्यकाल इस साल मार्च में तीन महीने बढ़ाया गया था.
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