- राजस्थान में बदलते मौसम के पैटर्न के कारण रेगिस्तान के हरे-भरे जंगल में बदलने की संभावना जताई गई है.
- जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के प्रमुख असित साहा ने मौसम के बदले पैटर्न पर चिंता व्यक्त की है
- उन्होंने कहा मानव गतिविधियों और विकास कार्यों के कारण पहाड़ी इलाकों में बादल फटने जैसी आपदाएं बढ़ रही हैं.
राजस्थान के रेगिस्तान को लेकर एक ऐसी भविष्यवाणी हुई है. जो देश के इकोसिस्टम को हिलाकर रख सकती है. ये भविष्यवाणी देश की धरती को समझने वाली सबसे बड़ी सरकारी संस्था ने की है. ये भविष्यवाणी जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के चीफ ने की है. ये कहा जा रहा है अगर ऐसे ही मौसम बदलता रहा तो फिर रेगिस्तान में जंगल और जंगल में रेगिस्तान बन जाएगा. क्या मरुधरा के रेगिस्तान बन जाएंगे हरे-भरे जंगल? क्या राजस्थान में बदल रहा है बारिश का पैटर्न? क्यों लगातार हो रही है औसत से ज्यादा बारिश? इन सब सवालों का जवाब आपको मिलेगा. लेकिन उससे पहले वो तस्वीरें देखिए जिन्होंने इस सवालों को जन्म दिया है.
ये खतरनाक मंजर टोंक का है. जहां उफनती माशी नदी को पार करते समय एक ट्रैक्टर पानी में समा गया. देखते ही देखते सारा सामान बह गया.ट्रैक्टर चालक को कूदकर अपनी जान बचानी पड़ी.
ऐसी ही तस्वीर दौसा से भी सामने आई. जहां भारी बारिश के बाद पानी का बहाव इतना तेज था कि उसको पार कर रहा ट्रैक्टर डूब गया. जिसमें कई ग्रामीण सवार थे. कुछ ऐसा ही हादसा एक बाइक सवार के साथ हुआ. जो तेज बहाव पानी को पार करने की कोशिश कर रहा था. सबसे परेशान करने वाली तस्वीरें अलवर से सामने आई.जहां मासूमों को स्कूल जाने के लिए उफनती नदी पार करनी पड़ी रही है. एक शिक्षक इन बच्चों को नदी पार करने में मदद करता नजर आया. अलवर में भी भारी बारिश के बाद हालात आउट ऑफ कंट्रोल हैं.
अस्पताल-कॉलेज सब पानी में डूब गए हैं. घुटने तक पानी के बीच रास्तों पर बाइकों ने साथ छोड़ दिया है. बाजारों के बीच नदियां बह रही है. अब सवाल है कि ऐसा क्यों हो रहा है. क्यों राजस्थान में औसत से ज्यादा बारिश हो रही है. क्यों जहां कभी-कभी बारिश होती थी. वहां अब कई दिनों से आसमान बरस रहा है.
मौसम के पैटर्न में बदलाव आ रहा है
इन्हीं सवालों को लेकर हम जियोलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के डीजी असित साहा के पास पहुंचे. जिन्होंने हालातों को देखकर डराने वाली भविष्यवाणी कर दी. दावा किया कि बारिश के बदले पैटर्न की वजह से जहां रेगिस्तान है, वहां जंगल होगा और जहां जंगल वहां रेगिस्तान. उन्होंने कहा मौसम पहले जैसा नहीं रहा है. मौसम के पैटर्न में बदलाव आ रहा है. जहां पहले बारिश काफी होती थी, वहां पर अब बारिश नहीं हो रही है. चेरापुंजी को जाना जाता था कि हाईएस्ट रेनफॉल के लिए लेकिन अब वहां पर ज्यादा बारिश नहीं हो रही है. कई सालों से हम देख रहे हैं, राजस्थान में ज्यादा बारिश हो रही है. ऐसा लगता है कि वहां पर जो रेगिस्तान है वो कभी ग्रीन बन जाएगा.
साहा ने देश के पहाड़ी इलाकों में लगातार बादल फटने की घटनाओं के पीछे की वजह को भी बताया. बताया कि क्यों बादल फटने से लोगों को भारी तबाही का सामना करना पड़ा रहा है. उन्होंने कहा ह्यूमन एक्टिविटीज के कारण ऐसा हो रहा है. डेवलपमेंटल एक्टिविटी और बढ़ते टूरिज्म के कारण ये सब हो रहा है. ये सब जगह बहुत तेजी से ग्रो कर रही हैं. ऐसा करने से शायद वहां पर जो इंफ्रास्ट्रक्चरल कैपेबिलिटीज है उसमें भारी प्रेशर आ रहा है. उसी प्रेशर की वजह से इस तरह की आपदा हो रही हैं.
साफ है कि राजस्थान और पहाड़ी इलाकों को लेकर की गई ये भविष्यवाणी डराने वाली है. क्योंकि मौसम का चक्र बदलने के साथ ही तबाही की चक्र भी एक्टिव हो जाएगा.