"क्या राहुल गांधी अब देश से माफी मांगेंगे?" नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी का सवाल

जस्टिस एसए नज़ीर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि आर्थिक मामले में संयम बरतने की जरूरत होती है. अदालत सरकार के फैसले की न्यायिक समीक्षा नहीं कर सकती. पीठ में जस्टिस नज़ीर के अलावा जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन भी शामिल हैं.

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रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत डिजिटल भुगतान के मामले में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बन गया है, जिसे नोटबंदी के बाद बढ़ावा मिला है.

नई दिल्ली:

भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सोमवार को नोटबंदी (Demonetisation)पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले को ‘‘ऐतिहासिक'' करार दिया. बीजेपी ने इसके साथ ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी ( Rahul Gandhi) से सवाल किया कि क्या नोटबंदी के खिलाफ अभियान चलाने के लिए वह देश से माफी मांगेंगे? सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार के 2016 में 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को सोमवार को 4:1 के बहुमत के साथ सही ठहराया. पीठ ने बहुमत से लिए गए फैसले में कहा कि नोटबंदी की निर्णय प्रक्रिया दोषपूर्ण नहीं थी. हालांकि, जस्टिस बीवी नागरत्ना ने सरकार के फैसले पर कई सवाल उठाए. 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आतंकवाद की रीढ़ को तोड़ने में नोटबंदी ने महत्वपूर्ण काम किया. उन्होंने कहा, ‘‘यह फैसला देशहित में किया गया था.'' प्रसाद ने कहा कि इससे अर्थव्यवस्था भी साफ सुथरी हुई.

उन्होंने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय का आज एक बहुत ही महत्वपूर्ण फैसला आया है. 2016 में मोदी सरकार के ऐतिहासिक फैसले, जिसमें 500 और 1000 के नोटों का चलन बंद किया था, उसकी वैधानिकता को चुनौती देने वाली सारी याचिकाओं को कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया है.''

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रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘‘ये पूरी नीति आतंक के वित्त पोषण, जाली नोट और मनी लॉन्ड्रिंग आदि को रोकने के लिए की गई थी. इस ऐतिहासिक निर्णय को आज अदालत ने सही पाया है जबकि कांग्रेस ने इसे लेकर काफी हंगामा किया था.'' प्रसाद ने पूछा कि राहुल गांधी ने नोटबंदी के खिलाफ अभियान चलाया था तो क्या अब वह अदालत के फैसले के बाद देश से माफी मांगेंगे.

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जस्टिस एसए नज़ीर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि आर्थिक मामले में संयम बरतने की जरूरत होती है. अदालत सरकार के फैसले की न्यायिक समीक्षा नहीं कर सकती. पीठ में जस्टिस नज़ीर के अलावा जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन भी शामिल हैं.

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हालांकि, फैसला सुनाते हुए जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि 500 और 1000 रुपये की श्रृंखला के नोट कानून बनाकर ही रद्द किए जा सकते थे. अधिसूचना के जरिए नहीं. प्रसाद ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा जस्टिस बीवी नागरत्ना की टिप्पणी को रेखांकित करने पर उन्हें आड़े हाथ लिया. रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता बहुमत के फैसले की अनदेखी कर रहे हैं और अपमानजनक बयान दे रहे हैं.

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बीजेपी नेता ने कहा कि भारत डिजिटल भुगतान के मामले में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बन गया है, जिसे नोटबंदी के बाद बढ़ावा मिला है. देश में इस साल अक्टूबर में ही 12 लाख करोड़ रुपये से अधिक के 730 करोड़ से अधिक डिजिटल लेनदेन हुए हैं. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि असहमति जताने वाले न्यायाधीश ने यह भी कहा कि नीति नेक इरादे से बनाई गई थी.

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