कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर निकले हैं. हालांकि ममता बनर्जी और नीतीश कुमार के बाद वाम दलों ने भी कांग्रेस को आंखें दिखाना शुरू कर दिया है. कांग्रेस की चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं. केरल में राहुल गांधी की सीट वायनाड पर सीपीआई दावा ठोक रही है. हालांकि कहा जा रहा है कि फिलहाल कांग्रेस यह सीट छोड़ने के मूड में नहीं है, फिर भी यह चर्चा चल रही है गठबंधन की राजनीति के चलते राहुल यह सीट छोड़ भी सकते हैं.
भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर निकले राहुल गांधी अपनों को ही नहीं जोड़े रख पा रहे हैं. सीपीआई की नजरें अब राहुल की वायनाड सीट पर टिकी हैं. सीपीआई का कहना है कि वायनाड परंपरागत तौर पर लेफ्ट की सीट रही है, इसलिए राहुल अगर सही मायने में बीजेपी को चुनौती देना चाहते हैं तो उत्तर भारत की किसी सीट से चुनाव लड़ें.
सीपीआई के सांसद बिनोय विश्वम ने कहा कि, ''मुझे लगता है राहुल जैसे कद के लोगों को वायनाड
के बजाए नार्थ से लड़ना चाहिए. बीजेपी से मुख्य लड़ाई नार्थ में है. सीट वहां ज़्यादा हैं. इससे लगता है कांग्रेस में इस लड़ाई के लिए कॉन्फिडेंस नहीं है.''
लेकिन कांग्रेस को राहुल के लिए वायनाड सीट सुरक्षित लग रही है. साल 2019 में राहुल ने वायनाड में चार लाख से अधिक वोटों से सीपीएम उम्मीदवार को हराया था लेकिन वे अमेठी से हार गए थे. कांग्रेस लेफ्ट से अनुरोध कर रही है कि वे सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ राहुल का साथ दें.
कांग्रेस के सांसद के सुरेश ने कहा है कि, ''हम तो कहेंगे कि सीपीआई, सीपीएम जैसी लेफ्ट पार्टियां राहुल गांधी का सपोर्ट करें.'' कांग्रेस के सांसद बैनी बेहन्नन ने कहा कि, ''केरल के लोग, फिर चाहे वे कांग्रेस के नेता हों या कोई और तय करेंगे. केरल के लोग, कार्यकर्ता चाहते हैं कि राहुल गांधी वायनाड से लड़ें. यह निर्णय सिर्फ सीपीआई का नहीं है.''
हालांकि वायनाड सीट को लेकर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है. दोनों दल इस वजह से खुलकर बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन इंडिया गठबंधन के दोनों पक्ष अपने-अपने दावे पर कायम हैं.