मंत्री पद से इस्तीफा नहीं दूंगा, नीतीश चाहें तो मुझे बर्खास्त कर सकते हैं: मुकेश सहनी

एमएलसी सहनी ने कहा, ‘‘मुझे अपने मंत्रिमंडल में रखना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है. मुझे उनके द्वारा शामिल किया गया था और यह उनके द्वारा तय किया जाना चाहिए कि मुझे रहना चाहिए या छोड़ दिया जाना चाहिए. जब तक वह चाहेंगे, मैं लोगों के लिए काम करता रहूंगा.’’

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सहनी का बिहार विधान परिषद सदस्य के रूप में कार्यकाल इस साल जुलाई में समाप्त हो रहा है.
पटना:

अपनी विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के तीन विधायकों भाजपा में शामिल हो जाने के बाद बिहार के पशुपालन और मत्स्य ससधान मंत्री मुकेश सहनी ने गुरुवार को कहा कि वह मंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगे, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहें तो उन्हें बर्खास्त कर सकते हैं. अपने तीनों विधायकों के भाजपा में चले जाने के एक दिन बाद सहनी ने संवाददाता सम्मेलन में अरुणाचल प्रदेश में कुमार की पार्टी जदयू और लोजपा के विभाजन का हवाला दिया. अरूणाचल प्रदेश में जदयू ने टूट के कारण मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा खो दिया था जबकि चिराग पासवान को उनके पिता रामविलास पासवान द्वारा बनायी गयी पार्टी में अलग-थलग कर दिया गया.

यह पूछे जाने पर कि अब जब वीआईपी के सभी विधायक भाजपा में शामिल हो गए हैं, तब क्या आप मंत्रिपद पर बने रखेंगे, बिहार विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) सहनी ने कहा, ‘‘मुझे अपने मंत्रिमंडल में रखना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है. मुझे उनके द्वारा शामिल किया गया था और यह उनके द्वारा तय किया जाना चाहिए कि मुझे रहना चाहिए या छोड़ दिया जाना चाहिए. जब तक वह चाहेंगे, मैं लोगों के लिए काम करता रहूंगा.''

सहनी का बिहार विधान परिषद सदस्य के रूप में कार्यकाल इस साल जुलाई में समाप्त हो रहा है. भाजपा ने ही उन्हें अपने ही एक सदस्य द्वारा खाली की गई सीट से निर्वाचित होने में मदद की थी लेकिन अब पार्टी ने अब अपनी भावी रणनीति का खुलासा नहीं किया है.

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यदि भाजपा एमएलसी के रूप में एक और कार्यकाल के लिए सहनी का समर्थन नहीं करने का विकल्प चुनती है तो उन्हें कार्यकाल समाप्त होने के छह महीने बाद अपना मंत्री पद छोड़ना होगा जब तक कि वह बिहार विधानमंडल के किसी भी सदन के लिए चुने नहीं जाते.

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सहनी ने भाजपा के इन दावों को भी खारिज कर दिया कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें इस शर्त पर राजग में जल्दबाजी में शामिल किया गया था कि वह छह महीने के भीतर अपने वीआईपी का विलय कर देंगे.

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सहनी ने कहा, ‘‘दिल्ली में केंद्रीय मंत्री अमित शाह के साथ बंद दरवाजे के अंदर एक बैठक के बाद एनडीए में शामिल होने का मेरा फैसला हुआ. अगर वह आगे आते है और कहते हैं कि इस तरह का एक सौदा था, तो मैं उसे स्वीकार कर लुंगा.''

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बिहार विधानसभा चुनाव के समय मीडिया के एक वर्ग द्वारा यह अनुमान लगाया गया था कि भाजपा एक उपयुक्त समय पर नीतीश को पछाडने के लिए छोटे दलों को साथ लेने में व्यस्त है.

जदयू के कई नेताओं ने यह भी आरोप लगाया था कि चिराग पासवान का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ बिगुल फूंककर अपने बलबूते 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव लडा जाना जिसके कारण नीतीश की पार्टी ने उक्त चुनाव में कम सीट ही हासिल कर पायी थी, को भी भगवा पार्टी की मौन स्वीकृति थी.

हालांकि बुधवार की रात बिहार भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल ने मौजूदा संकट के लिए सहनी पर दोषारोपण करते हुए कहा था कि वीआईपी के ये सभी तीन विधायक पहले भगवा पार्टी से ही जुड़े हुए थे. जायसवाल ने कहा, ‘‘उन्होंने हमारे खिलाफ उत्तरप्रदेश में चुनावी मुकाबले में प्रवेश किया. हमने कोई आपत्ति नहीं की. यहां तक कि जदयू ने भी ऐसा ही किया.

उन्होंने दावा किया कि भाजपा ने अपनी उम्मीदवार बेबी कुमारी को वीआईपी चिन्ह पर उतारने की पेशकश की थी लेकिन सहनी दिवंगत विधायक के बेटे अमर पासवान को टिकट देने पर अड़े थे, जिसे आखिर में राजद ने अब अपना उम्मीदवार बनाया.

उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखे हमलों के बारे में पूछे जाने पर बॉलीवुड के पूर्व सेट डिजाइनर से राजनेता बने और ‘‘सन ऑफ मल्लाह'' के रूप में स्वयं को पेश करने वाले सहनी ने कहा, ‘‘मैंने क्या गलत किया. मैं अपने निषाद समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ रहा हूं. भाजपा भले ही मोदी को अपना प्रधानमंत्री समझे लेकिन वह पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं और मेरे भी. अगर मुझे कोई शिकायत है तो मैं इसे किसके सामने रखूंगा.''

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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