क्या चाचा शरद पवार के साथ फिर आएंगे अजित पवार, क्या कह रही है आरएसएस समर्थक पत्रिका

महाराष्ट्र की राजनीति में इस बात की अटकलें तेज हो गई हैं कि एनसीपी प्रमुख अजित पवार एक बार फिर अपने चाचा शरद पवार के साथ आ सकते हैं. ऐसी चर्चाएं लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को मिली हार के बाद से जोर पकड़ रही हैं.

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नई दिल्ली:

महाराष्ट्र में अपने चाचा शरद पवार से बगावत करने वाले अजित पवार को लेकर सियासत गरमाने लगी है. लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से उनके कई नेता उनका साथ छोड़ चुके हैं. वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी एक पत्रिका का कहना है कि अजित पवार की एनसीपी के साथ हुए गठबंधन की वजह से लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में बीजेपी को झटका लगा है. इसके बाद अजित पवार के महायुति में बने रहने को लेकर सवाल उठने लगे हैं. 

अजित पवार को लग रहा है झटका दर झटका

अजित पवार को सबसे ताजा झटका बुधवार को पिंपरी चिंचवाड़ में लगा.वहां उनके गुट के चार बड़े नेताओं पार्टी छोड़ दी.
पार्टी छोड़ने वालों में एनसीपी (अजित गुट) के पिंपरी-चिंचवाड़ यूनिट के प्रमुख अजित गवाहाने, एनसीपी की छात्र शाखा के प्रमुख यश साने,पूर्व पार्षद राहुल भोसले और पंकज भालेकर के नाम शामिल हैं.बाद में ये नेता अजित पवार की पार्टी के 20 से अधिक अन्य नेताओं के साथ शरद पवार की एनसीपी में शामिल हो गए. 

Photo Credit: अजित पवार की पार्टी के कई नेता उनका साथ छोड़ चुके हैं.

अजित पवार की वापसी पर क्या बोले शरद पवार

वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के प्रमुख शरद पवार से जब अजित पवार के पार्टी में शामिल होने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी में किसी भी नेता के संभावित प्रवेश पर निर्णय सामूहिक होगा. उन्होंने इस बात की पुष्टि करने से इनकार कर दिया कि अगर अजित पवार वापस आना चाहते हैं तो उन्हें पार्टी में शामिल किया जाएगा या नहीं. उन्होंने कहा,''इस तरह के फैसले व्यक्तिगत स्तर पर नहीं लिए जा सकते.संकट के दौरान मेरे साथ खड़े रहे मेरे सहयोगियों से पहले पूछा जाएगा.''

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एनसीपी (शरदचंद्र पवार) का दावा

इससे पहले शरद पवार की पार्टी के प्रवक्ता क्लाईड क्रैस्टो ने आरएसएस से जुड़े मराठी पत्रिका 'विवेक'में प्रकाशित एक लेख के आधार पर कहा था कि बीजेपी अजित पवार नीत एनसीपी को सत्तारूढ़ महायुति से अलग होने का संदेश दे रही है.उन्होंने कहा था कि लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद बीजेपी महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव जीतने की कोशिश कर रही है, लेकिन उसको इस बात का एहसास है कि अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के साथ गठबंधन में रहने पर उसकी जीत की संभावनाएं कम होंगी. 

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क्रैस्टो का कहना है कि महाराष्ट्र के मतदाताओं ने एनसीपी और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ बीजेपी के गठबंधन को स्वीकार नहीं किया है. अजित पवार को अपने साथ लाने के फैसले ने बीजेपी के लिए परेशानी खड़ी कर दी है.इस वजह से बीजेपी को महाराष्ट्र में कई लोकसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा.महाराष्ट्र की चुनावी राजनीति में यह समय की सच्चाई है. ऐसा लगता है कि लोगों ने महायुति गठबंधन को स्वीकार्य नहीं किया है.

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अजित पवार क्या फिर थामेंगे चाचा का हाथ

अजित पवार के बीजेपी के नेतृ्त्व वाली महायुति छोड़ फिर अपने चाचा के साथ आने की अटकलें पिछले काफी समय से लग रही हैं. इन अटकलों को उस समय और बल मिला,जब अजीत पवार गुट के नेता और महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल ने शरद पवार के मुंबई स्थित घर 'सिल्वर ओक' जाकर उनसे मुलाकात की थी. इस मुलाकात के लिए उन्हें करीब दो घंटे तक इंतजार भी करना पड़ा था. हालांकि, इस मुलाकात में क्या बात हुई इसकी जानकारी सामने नहीं आई थी. भुजबल ने इसे आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र में जारी लड़ाई को खत्म कराने के लिए की गई मुलाकात बताया था. 

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अजित पवार ने 2023 में अपने चाचा शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में बगावत कर महायुति गठबंधन में शामिल हो गए थे.इसके बाद उन्हें एकनाथ शिंदे के मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री बनाया गया था.उन्होंने दावा किया था कि उनके साथ एनसीपी के 40 विधायक हैं. अजित पवार के साथ उनके आठ विधायकों छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, अनिल पाटील, दिलीप वलसे पाटील, धर्मराव अत्राम, संजय बनसोड़े, अदिति तटकरे और हसन मुश्रीफ को भी मंत्रिपद की शपथ दिलाई गई थी.

अजित पवार की पार्टी के नेता.

एनसीपी की लड़ाई

बाद में अजित पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पर भी अपना दावा ठोक दिया था. उनका दावा था कि पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह उन्हें ही मिलना चाहिए. उनकी इस मांग को चुनाव आयोग और विधानसभा अध्यक्ष ने मान लिया था.बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा. इस साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एनसीपी के चुनाव चिन्ह'घड़ी' का इस्तेमाल अजित पवार की पार्टी ही करेगी. अदालत ने शरद पवार की पार्टी का नाम एनसीपी (शरदच्रंद पवार) के नाम से लोकसभा चुनाव लड़ने को कहा और तुरही चुनाव चिन्ह दिया. अदालत ने कहा कि चुनाव आयोग इस चुनाव चिन्ह को किसी और को आबंटित न करे.

लोकसभा चुनाव में महायुति का प्रदर्शन

जून में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में सरकार चला रही महायुति को भारी हार का सामना करना पड़ा है.महाराष्ट्र की 48 सीटों में से बीजेपी ने 28 पर चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत उसे केवल नौ सीटों पर ही मिली. वहीं एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 15 सीटों पर चुनाव लड़ा और केवल सात ही जीत पाई. अजित पवार की एनसीपी ने चार सीटों पर चुनाव लड़ा. उसे केवल एक सीट पर जीत मिली.इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 23 सीटें जीती थीं. 

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