क्या मऊ विधानसभा सीट पर ओम प्रकाश राजभर की दावेदारी को मान जाएगी BJP, किसका पलड़ा है भारी

अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता खत्म होने के बाद मऊ विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने की संभावना है. इसलिए ओम प्रकाश राजभर मऊ सीट से अपना दावा ठोक रहे हैं. क्या वहां उपचुनाव में हार जीत की संभावना.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
नई दिल्ली:

चुनावी भाषण में अधिकारियों को धमकाने के मामले में सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी दोषी ठहराए गए हैं. उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई है. इसके बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है. अब्बास अंसारी मऊ सदर सीट से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के टिकट पर चुनाव जीते थे. अंसारी की सदस्यता जाने के बाद अब मऊ सीट पर उपचुनाव की संभावना है.इसे देखते हुए मऊ सीट पर दावेदारी तेज हो गई है. सुभासपा सत्तारूढ़ एनडीए में शामिल है. उसने इस सीट पर दावा ठोका है. वहीं बीजेपी भी इस सीट के लिए इच्छुक बताई जा रही है.  

मऊ सदर सीट से सुभासपा के विधायक और पूर्व बाहुबली राजनेता मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने नफरती भाषण मामले में दोषी करार देते हुए शनिवार को दो साल की सजा सुनाई थी.इसके बाद सुभासपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ कैबिनेट में मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा है कि अब्बास अंसारी उनकी पार्टी के विधायक हैं. अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है.हम अपना पक्ष रखने के लिए हाई कोर्ट जाएंगे. उनका कहना है कि उपचुनाव की सूरत में उनकी ही पार्टी चुनाव लड़ेगी, लेकिन अंसारी परिवार से किसी को उम्मीदवार नहीं बनाएगी.

मई विधानसभा सीट की राजनीति

अब्बास अंसारी ने 2022 का विधानसभा चुनाव सुभासपा के टिकट पर जीता था. चुनाव के बाद सुभासपा ने सपा से गठबंधन तोड़कर बीजेपी से हाथ मिला लिया था. हालांकि बात इतनी सीधी भी नहीं है. क्योंकि चुनाव जीतने के बाद अब्बास अंसारी ने कहा था कि उन्हें सपा के कोटे से टिकट मिला था. दरअसल विधानसभा चुनाव में सपा ने अपने कई नेताओं को अपनी साथी पार्टियों से चुनाव लड़वाया था. मऊ में भी यह राजनीति हुई थी. मऊ में अब्बास अंसारी ने सुभासपा के टिकट पर बीजेपी के अशोक कुमार सिंह को हराया था. अंसारी को एक लाख 24 हजार 691 वोट को बीजेपी के अशोक कुमार सिंह को  86 हजार 575 मिले थे. बीएसपी के भीम 44 हजार 516 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे थे. 

लोकसभा चुनाव में ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर घोसी सीट से उम्मीदवार थे, उन्हें हार मिली थी.

बीते साल हुए लोकसभा चुनाव से पहले ही सपा और सुभासपा का गठबंधन टूट चुका था. सुभासपा एनडीए में शामिल हो गई थी. समझौते के तहत घोसी लोकसभा सीट सुभासपा को मिली थी. मऊ विधानसभा सीट घोसी लोकसभा क्षेत्र में ही आती है. वहां से सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर उम्मीदवार थे. लेकिन उन्हें सपा के राजीव राय ने एक लाख 60 हजार वोटों के अंतर से करारी शिकस्त दी थी. अगर हम मऊ विधानसभा सीट पर लोकसभा चुनाव में मिले वोटों को देखें तो राजीव राय को एक लाख 35 हजार 665 वोट तो अरविंद राजभर को केवल 71 हजार 988 वोट मिले थे.बसपा के बालकिशुन चौहान को 38 हजार 453 वोट से ही संतोष करना पड़ा था.  

मऊ पर राजनीतिक घेरेबंदी

अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता जाने के बाद से ही ओम प्रकाश राजभर जिस तरह से सक्रिय हैं, उससे लग रहा है कि वो एक बार फिर मऊ पर अपना दावा ठोकेंगे. लेकिन लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद बीजेपी उनके दावे को कमजोर बता सकती है. ऐसे में हो सकता है कि बीजेपी अपना उम्मीदवार मऊ में उतारे. हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव में अब्बास अंसारी ने बीजेपी के अशोक कुमार सिंह को ही 35 हजार से अधिक के वोटों से हराया था. बीजेपी के अशोक पिछले कई चुनावों से अंसारी परिवार के लिए चुनौती बने हुए हैं. ऐसे में एक बार फिर संभावना बन रही है कि अगर यह सीट बीजेपी को मिलती है तो वह अशोक पर ही दांव लगाए. 

वहीं ओमप्रकाश राजभर मऊ पर दावा इसलिए ठोक रहे हैं कि अब्बास उनकी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते थे. इसलिए उपचुनाव में भी मऊ सीट सुभासपा के खाते में जाएगी. अभी इसका फैसला भविष्य में होना है. क्योंकि मऊ सीट किसके खाते में जाएगी, इसका फैसला एनडीए के नेता मिल-बैठकर लेंगे.

Advertisement

क्या दी जाएगी फैसले को चुनौती

अब्बास अंसारी ने एमपी-एमएलए अदालत के फैसले को बड़ी अदालत में चुनौती देने की बात कही है. ऐसा कई बार हो चुका है कि बड़ी अदलतों ने एमपी-एमएलए कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई है. इसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अब्बास अंसारी के चाचा अफजाल अंसारी के मामले प्रमुख हैं. दोनों ही मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय अदालत के फैसलों पर रोक लगा दी थी. इस मामले में उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने भी तेजी दिखाई. रविवार को दफ्तर खोलकर अब्बास अंसारी की सदस्यता रद्द कर मऊ सीट को रद्द करने का आदेश जारी किया था. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ सरकार मऊ में उपचुनाव बिहार के चुनाव से पहले उपचुनाव करवा लेना चाहती है. अगर ऐसा होता है तो मऊ उत्तर प्रदेश का पहला ऐसा जिला होगा, जहां पांच साल में दो सीटों पर उपचुनाव कराना पड़ा हो. दारा सिंह चौहान के इस्तीफे के बाद मऊ की घोसी विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव कराया गया था, जिसमें बीजेपी की हार हुई थी.   

ये भी पढ़ें: तेजप्रताप के साथ आए आरजेडी सांसद सुधाकर सिंह, बोले- 'हिंदुओं में 2-3 शादियां करना गुनाह नहीं'

Advertisement
Featured Video Of The Day
Kullu Cloudburst: पैरों के नीचे खाई, ऊपर दरकता पहाड़... देखिए कैसे कट रही है Lag Valley में जिंदगी
Topics mentioned in this article