- पुणे के सह्याद्री अस्पताल में लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी के बाद पति-पत्नी दोनों की मौत हो गई.
- पति बापू कोमकर का लिवर खराब था, इसलिए पत्नी कामिनी ने अपना लिवर का हिस्सा दान किया था.
- अस्पताल के अनुसार सर्जरी के बाद पति को कार्डियोजेनिक शॉक हुआ. जबकि पत्नी को संक्रमण हो गया था.
पुणे से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जहां लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी के बाद पति-पत्नी दोनों की मौत हो गई. बताया जा रहा है कि पति का लिवर खराब था, ऐसे में पत्नी ने अपना लिवर का हिस्सा दान करने का फैसला किया. सह्याद्री अस्पताल में लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी की गई. लेकिन लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी के बाद भी पति को बचाया नहीं जा सका. वहीं पति की मौत के कुछ दिन बाद पत्नी का भी निधन हो गया. मामला सामने आने के बाद अब सरकार ने अस्पताल को नोटिस जारी कर ट्रांसप्लांट प्रक्रिया से संबंधित सभी विवरण देने को कहा है.
स्वास्थ्य सेवा उपनिदेशक डॉ. नागनाथ येमपल्ले ने रविवार को बताया कि सह्याद्री अस्पताल को प्रत्यारोपण प्रक्रिया से संबंधित सभी विवरण सोमवार तक देने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने कहा, "हमने अस्पताल को एक नोटिस जारी किया है और प्राप्तकर्ता और दाता का विवरण, उनकी वीडियो रिकॉर्डिंग और उपचार की प्रक्रिया मांगी है. अस्पताल को सोमवार सुबह 10 बजे तक सभी विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है."
क्या है पूरा मामला
मृतक पति-पत्नी के नाम बापू बालकृष्ण कोमकर और कामिनी बापू कोमकर हैं. कोमकर के परिजनों ने सह्याद्री अस्पताल पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है. परिवारवालों के अनुसार सर्जरी जो कि 15 अगस्त को हुई थी, उसके दो दिन बाद बापू कोमकर की मौत हो गई. वहीं, कामिनी कोमकर का रविवार सह्याद्री अस्पताल में निधन हो गया. कामिनी कोमकर ने अपने पति बापू कोमकर को अपने लिवर का एक हिस्सा दान किया था.
ट्रांसप्लांट सर्जरी के बाद बापू कोमकर की तबीयत बिगड़ गई और 17 अगस्त को उनकी मृत्यु हो गई. कामिनी को 21 अगस्त को संक्रमण हो गया और इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई. कोमकर के परिजनों ने सह्याद्री अस्पताल के प्रबंधन और संबंधित डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की है. वहीं इस मामले पर सह्याद्री अस्पताल ने बयान जारी किया है.
अस्पताल ने मामले पर क्या कहा
अपने बयान में अस्पताल ने कहा कि इस दुखद स्थिति में हम मरीज के परिवार के साथ हैं. लिवर प्रत्यारोपण एक बहुत ही जटिल और उच्च जोखिम वाली सर्जरी है. इस मामले में, मरीज को अंतिम चरण की लिवर बीमारी, यानी लिवर सिरोसिस थी. प्रोटोकॉल के अनुसार, हमने परिवार को इन जोखिमों के बारे में पहले ही विस्तृत जानकारी दे दी थी. सर्जरी सभी स्वीकृत चिकित्सा मानदंडों के अनुसार की गई थी. दुर्भाग्य से, प्रत्यारोपण के बाद मरीज को कार्डियोजेनिक शॉक का सामना करना पड़ा और तमाम कोशिशों के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका.
डोनर की हालत में शुरुआत में सुधार हो रहा था, लेकिन सर्जरी के छठे दिन, अचानक उसके रक्तचाप में भारी गिरावट (हाइपोटेंशन शॉक) आ गई और उसके बाद कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया, जिसकी वजह से उपचार के बावजूद नियंत्रित नहीं किया जा सका. हम हमेशा उच्चतम गुणवत्ता वाली सेवा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इस कठिन समय में हम पीड़ित परिवार के साथ हैं.