- उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में अक्टूबर के पहले सप्ताह में सामान्य से अधिक बर्फबारी हुई है.
- इस बार सितंबर और अक्टूबर में बर्फबारी हुई जबकि पहले यह ज्यादातर नवंबर और दिसंबर में होती थी.
- मॉनसून सीजन में 22 फीसदी अधिक बारिश हुई और अक्टूबर में भी 97 फीसदी ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई है.
उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सीजन की पहली बर्फबारी हुई है. हालांकि सितंबर के महीने में भी बर्फबारी हुई थी लेकिन यह उस मात्रा में नहीं थी जितनी 6 और 7 अक्टूबर को हुई है. दोनों ही दिन हिमालय के उच्च क्षेत्रों में बर्फ गिरी है. वैसे उत्तराखंड के 3000 मीटर से ऊपरी हिमालय क्षेत्र में ज्यादातर नवंबर और दिसंबर के महीने में बर्फबारी होती थी लेकिन इस बार सितंबर और अक्टूबर के महीने में ही बर्फ गिर गई. अक्टूबर के पहले हफ्ते में ही केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री गंगोत्री और हेमकुंड साहिब समेत 3000 मीटर से ऊपरी हिमालय क्षेत्र में जबरदस्त बर्फ गिरी है. इस बर्फबारी से तापमान काफी नीचे गिर गया है और अक्टूबर के पहले हफ्ते में ही सर्दी आ गई है.
अभी होगी और बर्फबारी
अक्सर जलवायु परिवर्तन मौसमी चक्र में बदलाव की बातें सामने आती रही है. इस बार भी जलवायु परिवर्तन और मौसमी चक्र में बदलाव साफ देखा गया है. इस बार मॉनसून सीजन में 22 फीसदी ज्यादा बारिश रिकॉर्ड हुई. इसके अलावा मॉनसून खत्म होते ही अक्टूबर में जबरदस्त तरीके से बर्फ गिरी है. ऐसे में साफ है कि राज्य में मौसम का चक्र और जलवायु परिवर्तन हावी है. अगर अक्टूबर की बात करें तो सिर्फ 8 दिनों में ही 97 फीसदी ज्यादा बारिश रिकॉर्ड हो चुकी है.
उत्तराखंड मौसम विभाग के मुताबिक 7 अक्टूबर को भी प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में भी बर्फबारी की संभावना है. जबकि उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिले के कुछ हिस्सों में भारी से भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है. बाकी जिलों में भी 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलने के साथ तेज दौर की बारिश होने की संभावना है.
क्या कहा मौसम विभाग ने
मौसम विभाग के मुताबिक मॉनसून सीजन के खत्म होने के बाद पश्चिमी विक्षोभ के कारण अक्टूबर के पहले ही हफ्ते में उत्तराखंड के ऊंचाई वाले हिमालय क्षेत्र में मौसम बदला और बर्फ गिरी है. इस बर्फबारी का फायदा आने वाले समय में सबसे ज्यादा हिमालय ग्लेशियर को मिलेगा क्योंकि लगातार तापमान बढ़ने की वजह से बर्फ कम पड़ रही थी. इसकी वजह से ग्लेशियर जल्दी पिघल रहे थे. समय से पहले हुई बर्फबारी को एक अच्छा संकेत बताया जा रहा है. विशेषज्ञों की मानें तो लंबे समय तक बर्फ हिमालय क्षेत्र में टिकी रहेगी जिससे लंबे समय तक पीने के पानी की किल्लत से निजात मिल पाएगी.
क्यों खुश हैं ट्रेडर्स
उत्तराखंड के हिमालय क्षेत्र में पढ़ने वाली बर्फ आने वाले समय के लिए बेहतर मानी जा रही है. विशेषज्ञ मानते हैं कि इस बर्फ से पर्यटन का व्यवसाय करने वाले व्यवसायियों के लिए भी यह एक गुड न्यूज है. दूसरी तरफ बागवानी और बाकी खेती करने वाले किसानों के लिए यह एक अच्छा संकेत है क्योंकि उत्तराखंड के कई ऐसे क्षेत्र है जहां पर बारिश नहीं होती है. अब जब वहां गिरने लगी है तो वहां बर्फबारी के चलते उनको पर्याप्त मात्रा में खेती के लिए पानी उपलब्ध हो सकेगा. साथ ही लंबे समय तक उनकी जमीन में नमी बनी रहती है. वही दूसरी ओर जलवायु परिवर्तन के कारण 4000 मीटर तक जहां पर बर्फ पड़ती थी अब वहां बारिश हो रही थी. लेकिन इस समय यानी सितंबर और अक्टूबर में पढ़ने वाली बर्फ से अब बारिश की संभाचना आशंका कम हो गई है.