- असदुद्दीन ओवैसी ने मालेगांव ब्लास्ट केस में आरोपियों के बरी होने पर सवाल उठाते हुए न्याय की कमी बताई है.
- उन्होंने कहा कि हेमंत करकरे के जीवित होने पर मालेगांव केस का परिणाम भिन्न और बेहतर होता.
- ओवैसी ने मांग की कि भारत सरकार एनआईए को मालेगांव ब्लास्ट केस में अपील करने की अनुमति दे.
AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने एनडीटीवी को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में मालेगांव ब्लास्ट केस में आरोपियों के बरी होने पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि अगर हेमंत करकरे जिंदा होते तो बात कुछ और होती. उन्होंने साफ कहा कि इस मामले में कई कमजोरियां दिखाई दे रही हैं.
'मेरे ख्याल से इंसाफ नहीं हुआ'
ओवैसी ने कहा कि ये जो जजमेंट आया है, मेरे ख्याल से इंसाफ नहीं हुआ है. हम ये उम्मीद करते हैं कि जिस तरीके से मोदी सरकार और महाराष्ट्र की सरकार ने रेलवे ब्लास्ट के बाद 24 घंटे के अंदर सुप्रीम कोर्ट के पास चले गए. हम ये डिमांड करते हैं कि इसी तरीके से मालेगांव ब्लास्ट केस में एनआईए और महाराष्ट्र की सरकार अपील करे. क्योंकि इसमें क्लोजर नहीं हुआ है. इंसाफ का तकाजा भी यही है कि भारत सरकार एनआईए को इजाजत दे कि वो अपील करे.
'करकरे के जाने से बहुत नुकसान'
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मालेगांव ब्लास्ट 2006 हुआ और फिर मालेगांव ब्लास्ट 2008 हुआ. 2006 में कई मुस्लिम नौजवानों को पकड़ा गया, मारा गया और बाद में कोर्ट में डिस्चार्ज पिटिशन डाल दिया गया. अब कोई ये नहीं बता पा रहा है कि 2006 और 2008 किसने किया. इस जजमेंट में कई खामियां हैं. हम एनआई से पूछना चाहते हैं कि आप किसका ट्रायल कर रहे थे. इसमें बहुत सी कमजोरियां हैं. एटीएस की जांच हेमंत करकरे कर रहे थे. डॉक्यूमेंट्री एविडेंस इकट्ठा किए थे. हेमंत करकरे के जाने से बहुत नुकसान हुआ. एनआई जब केस चला रही है तो वकील तो अच्छा होना चाहिए था. हैदराबाद में भी ऐसा ही हुआ था. एक कम जानकार वकील को केस सैंप दिया गया था. आज अगर हेमंत करकरे होते तो केस का नतीजा कुछ और होता.
ओवैसी ने कहा कि भगवा आंतकवाद गलत साबित होने पर बोले कि कोई भी धर्म किसी की जान लेने को नहीं कहता. अगर बीजेपी को ये लगता है तो बीजेपी मुस्लिमों को आतंकवाद से क्यों जोड़ती है. आप इसे जेनरलाइज तो नहीं कर सकते. उन्होंने नाथूराम गोडसे से लेकर 1984 के दंगों को लेकर सवाल उठाए. उन्होंने हैदराबाद से लेकर अन्य सभी केसों में आरोपियों के बरी होने को लेकर भी सवाल उठाए.