Explainer: क्या गाजा पर हमले की वजह से इजरायल के खिलाफ लामबंद हो जाएंगे अरब देश?

जंग में पश्चिमी देश मजबूती के साथ इजरायल के साथ खड़े हैं. अमेरिका इसमें सबसे आगे हैं. जो बाइडेन ने बुधवार को अमेरिका लौटने से पहले कहा कि ऐसा लगता है कि गाजा के अस्पताल पर हमला दूसरी टीम ने किया था. वहीं, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, मिस्र, जॉर्डन और तुर्की ने हमले के लिए इजरायल को दोषी ठहराया है.

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तेल अवीव/गाजा:

7 अक्टूबर को गाजा पट्टी से फिलिस्तीनी संगठन हमास (Israel-Hamas war) के हमले के बाद इजरायल लगातार जवाबी कार्रवाई कर रहा है. हमास और इजरायल (IsraelPalestineConflict) के बीच जंग का गुरुवार को 13वां दिन है. गाजा पट्टी पर लगातार बमबारी हो रही है. मंगलवार को गाजा के अस्पताल में विस्फोट के बाद 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. इससे इजरायल को लेकर अरब देशों (Arab world) में नाराजगी बढ़ रही है. इससे सवाल उठ रहा है कि क्या इस्लामिक देश इजरायल  के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं? 

मंगलवार को गाजा के अस्पताल पर किया गया घातक हमले ने इजरायल के लिए चीजें खराब कर दी हैं. उसके सहयोगी देश भी अब उसके खिलाफ बोल रहे हैं. हालांकि, इजरायल ने कहा है कि गाजा के अस्पताल पर हुए हमले में उसका कोई हाथ नहीं है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी यही बात दोहराई. व्हाइट हाउस की तरफ से तो दुनिया को सबूत भी दिए गए. लेकिन इजरायल को लेकर अरब देशों का नजरिया बदल चुका है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन बुधवार को जब तेल अवीव पहुंचे. उनका इजरायली पीएम नेतन्याहू से मुलाकात के बाद कई अरब देशों से भी मिलने का कार्यक्रम था. लेकिन, इसी दौरान जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला, मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी और फिलिस्तीनी प्राधिकरण अध्यक्ष महमूद अब्बास के बीच एक निर्धारित बैठक को रद्द करने की घोषणा हुई.
 

हमास के साथ युद्ध के बीच, इज़रायल ने सीरिया के ठिकानों पर किया हमला : रिपोर्ट

जंग में पश्चिमी देश मजबूती के साथ इजरायल के साथ खड़े हैं. अमेरिका इसमें सबसे आगे हैं. जो बाइडेन ने बुधवार को अमेरिका लौटने से पहले कहा कि ऐसा लगता है कि गाजा के अस्पताल पर हमला दूसरी टीम ने किया था. वहीं, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, मिस्र, जॉर्डन और तुर्की ने हमले के लिए इजरायल को दोषी ठहराया है.

नकबा (The Nakba)
फिलिस्तीनियों और अरब देशों के लिए इजरायल के साथ यु्द्ध 7 अक्टूबर की सुबह हमास के रॉकेट हमले से शुरू नहीं हुआ. बल्कि उनकी जंग 1948 से चल रही है. जब मिलिशिया ने फिलिस्तीनियों को उनके घरों से निकाल दिया था. मिलिशिया ने हज़ारों लोगों को मार डाला था. इसे नकबा कहा जाता है.

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दुनियाभर में मौजूद फिलिस्तीनियों के लिए 15 मई का दिन इतिहास के काले अध्याय की याद दिलाता है. इस दिन को नकबा कहा जाता है. अरबी भाषा में इसका मतलब 'विनाश' होता है. दरअसल, 14 मई 1948 को जब इजरायल का गठन हुआ, तो उसके अगले दिन 7.5 लाख फिलिस्तीनियों को बेघर भी होना पड़ा. इजरायली सेना की कार्रवाइयों से परेशान होकर फिलिस्तीनी अपना घर छोड़कर भाग गए. कुछ लोग खाली हाथ, तो कुछ घरों पर ताला लटका कर चले गए. यहीं से फिलिस्तीन और इजरायल के बीच जंग शुरू हुई.

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पांच अरब देशों मिस्र, इराक, जॉर्डन, लेबनान और सीरिया के एक सैन्य गठबंधन ने फिलिस्तीन में प्रवेश किया और आधे से अधिक फिलिस्तीनी आबादी के स्थायी विस्थापन के साथ युद्ध समाप्त हो गया. संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रस्तावित लगभग 60% क्षेत्र पर इजरायल का नियंत्रण हो गया. 

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'नकबा के दिन' की शुरुआत फिलिस्तीन के पूर्व राष्ट्रपति यासिर अराफात ने 1998 में की थी. तब से लेकर अब तक हर साल दुनियाभर के फिलिस्तीनी लोग इसे मनाते हैं. अराफात ने जिस साल नकबा के दिन का ऐलान किया, उस साल इजरायल अपने गठन की 50वीं सालगिरह मना रहा था. 

दुष्चक्र (Vicious Cycle)
1949 में सीजफायर पर साइन किए जाने के बाद इजरायल और उसके अरब पड़ोसियों के बीच संबंध खराब बने रहे. 1956 के स्वेज क्राइसिस के बाद रिश्ते पहले के मुकाबले और खराब हो गए. फिर मई 1967 में मिस्र ने इजरायली जहाजों के लिए तिरान जलडमरूमध्य (Straits of Tiran) बंद करने का ऐलान किया. इसके बाद युद्ध में मिस्र, जॉर्डन और सीरिया की भागीदारी देखी गई.

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मिस्र ने गाजा पट्टी को इजरायल के हाथों खो दिया. सीरिया से गोलान हाइट्स का कंट्रोल ले लिया गया. जॉर्डन ने पूर्वी येरुशलम और वेस्ट बैंक पर अपना नियंत्रण खो दिया. एक और युद्ध 1969 में हुआ. उसके बाद 1973 का योम किप्पुर या रमज़ान युद्ध हुआ. यह इजरायल, मिस्र और सीरिया के बीच लड़ा गया था. इसमें अमेरिका और सोवियत संघ भी शामिल थे, जो शीत युद्ध में बंद थे और विपरीत पक्षों की मदद कर रहे थे.

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अरब राष्ट्रवाद (Arab Nationalism)
इजरायल के साथ बार-बार होने वाले युद्ध ने सिर्फ फिलिस्तीन ही नहीं, बल्कि अन्य देशों के लिए भी गंभीर घाव दिया है. 1950 और 1960 के दशक में अरब राष्ट्रवाद के उदय ने कई अरब नेताओं को सत्ता तक पहुंचाया.

कई अरब देशों में लोकप्रिय और जनता का समर्थन एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य के लिए है. इजरायल के साथ सामान्य संबंधों के बारे में बात करने वाले कई नेताओं को इसकी कीमत चुकानी पड़ी. 20 जुलाई 1951 को जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला फर्स्ट की यरुशलम के अल-अक्सा मस्जिद की सीढ़ियों पर इबादत के दौरान एक फिलिस्तीनी ने हत्या कर दी. ये फिलिस्तीनी जॉर्डन की इजरायल के प्रति सहिष्णुता का विरोध कर रहा था.

इसके बाद मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादात की 1981 में आतंकवादियों ने हत्या कर दी. ये आतंकी इजरायल के साथ शांति समझौते के खिलाफ थे.

दूसरा प्रमुख पहलू धर्म है. यरुशलम में अल अक्सा मस्जिद इस्लाम में तीसरा सबसे पवित्र स्थल है. यह मस्जिद इजरायल के कब्जे वाले क्षेत्र में कई अन्य इस्लामी पवित्र स्थलों का घर हैं.

अब्राहम समझौता (Abraham Accords)
इजरायल, बहरीन और यूएई के बीच 2020 के अब्राहम समझौते ने इजरायल और अरब देशों के बीच संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आया. सऊदी अरब ने इजरायल के साथ बड़े स्तर पर व्यापारिक और सैन्य संबंध विकसित किए थे. हालांकि, जंग शुरू होने के बाद सऊदी ने बातचीत रोक दी है.

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