क्यों आठ साल पहले दायर इन केसों को सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्टर नहीं करने का लिया फैसला ?

एक अधिसूचना में, शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार, चिराग भानु सिंह ने कहा कि 13,147 अपंजीकृत लेकिन डायरीकृत मामलों का एक समूह साल 2014 से पहले दर्ज किया गया था, लेकिन उनको 19 अगस्त 2014 से पहले ही प्रीसाइज करना था.

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
पार्टियों को 28 दिनों के भीतर इसे ठीक करना था.
नई दिल्ली:

यह देखते हुए कि आठ साल से अधिक समय पहले कई मामले दर्ज किए गए थे, लेकिन आरोपितों को कभी तलब नहीं किया गया, ना ही केस में कोई प्रोग्रेस हुआ सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार ने 13,147 मामलों को दर्ज नहीं करने का फैसला किया है. इन केसों में वो केस शामिल हैं, जिनमें 19 अगस्त, 2014 से बदलाव नहीं किया गया है. एक अधिसूचना में, शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार, चिराग भानु सिंह ने कहा कि 13,147 अपंजीकृत लेकिन डायरीकृत मामलों का एक समूह साल 2014 से पहले दर्ज किया गया था, लेकिन उनको 19 अगस्त 2014 से पहले ही प्रीसाइज करना था.

उन्होंने कहा, " ये मामले 8 साल से अधिक पहले दर्ज किए गए थे और उस समय प्रचलित प्रथा के अनुसार, मामलों में देखी गई कमियों को सुधारने के लिए वकील/याचिकाकर्ता को व्यक्तिगत रूप से वापस कर दिया गया था." अधिसूचना में कहा गया, " उन्हें कभी भी ठीक ही नहीं किया गया है. ना ही इसके बाद इन डायरी नंबरों के संबंध में वकील या पार्टी-इन-पर्सन से कुछ भी रिस्पांस लिया गया."

सुप्रीम कोर्ट नियम, 2013 के लागू होने के बाद यानी 19 अगस्त 2014 के बाद ही, रजिस्ट्री के पास वादपत्र और अदालत शुल्क टिकटों की एक प्रति रखने का प्रावधान किया गया था. इन मामलों में दोषों को संबंधित वकील/याचिकाकर्ता-इन-पर्सन को वर्षों पहले अधिसूचित किया गया था और पार्टियों को 28 दिनों के भीतर इसे ठीक करना था. 

Advertisement

अधिसूचना में कहा गया, " आदेश 8 नियम 6 (3) के तहत इसके लिए परिकल्पित संशोधित वैधानिक प्रावधान, आदेश 3 नियम 8 (6) के साथ पठित भी स्पष्ट रूप से ऐसा दर्शाता है. हालांकि, विवेक के अधीन, सर्वोच्च न्यायालय के नियमों के आधार पर निहित, कम से कम 90 दिन के भीतर ये करना होता है. पार्टियां इस तरह अधिसूचित दोषों को ठीक करने के लिए वर्षों तक कोई प्रभावी कदम उठाने में विफल रही हैं."

Advertisement

इसने आगे कहा कि दोषों को ठीक करने की वैधानिक अवधि समाप्त हो गई है. ऐसा प्रतीत होता है कि पार्टियों का इस सूची पर आगे मुकदमा चलाने का कोई इरादा नहीं है. यह दोहराने की जरूरत नहीं है कि 28 दिनों के भीतर दोषों को ठीक करने का सार और दोषियों पर ध्यान न देने पर रजिस्ट्रार की शक्ति, इस न्यायालय द्वारा बनाए गए 1966 और 2013 दोनों नियमों के तहत वस्तुतः अपरिवर्तित रही.

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार ने कहा, "यहां ऊपर बताए गए सभी कारणों के लिए, मैं विवश हूं, लेकिन यह मानने के लिए कि उपरोक्त मामलों को पंजीकरण के लिए प्राप्त करने की अनुमति देने का कोई वैध और प्रशंसनीय कारण नहीं है. मैं उपरोक्त डायरी नंबर दर्ज करने से इनकार करता हूं."
 

Advertisement

यह भी पढ़ें - 
-- राउस एवेन्यू कोर्ट ने AAP विधायक अमानतुल्लाह खान को 4 दिन की ACB कस्टडी में भेजा
-- 
PM नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर जलसंरक्षण संग्रहालय का किया गया उद्घाटन

Featured Video Of The Day
Saharanpur Clash: कुंडी गांव में सामुदायिक झड़प, राजपूत-दलित समुदाय के बीच हिंसक टकराव | UP News
Topics mentioned in this article