"पहले उन्होंने क्यों नहीं बोला...?": अविश्वास प्रस्‍ताव पर बहस से पहले प्रल्हाद जोशी का राहुल गांधी पर तंज

संसद सदस्य के रूप में राहुल गांधी का दर्जा सोमवार को ही बहाल कर दिया गया था और कांग्रेस इसे जल्द से जल्द करने पर जोर दे रही थी, ताकि वह बहस में भाग ले सकें.

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नई दिल्‍ली:

मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर आज लोकसभा में चर्चा हो रही है. खबरें थीं कि लोकसभा में कांग्रेस की ओर से अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर बहस की शुरुआत राहुल गांधी करेंगे, लेकिन ऐसा देखने को नहीं मिला. ऐसे में भाजपा को कांग्रेस पर हमला करने का एक मौका मिल गया. राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने पूछा कि कांग्रेस नेता(राहुल गांधी) ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बहस क्यों नहीं शुरू की...? साथ ही तंज कसते हुए कहा कि सत्ता पक्ष "बहुत उत्साह से" उनके भाषण का इंतजार कर रहा था.

संसद सदस्य के रूप में राहुल गांधी का दर्जा सोमवार को ही बहाल कर दिया गया था और कांग्रेस इसे जल्द से जल्द करने पर जोर दे रही थी, ताकि वह बहस में भाग ले सकें. कांग्रेस नेता आज लोकसभा में मौजूद थे. जब अध्यक्ष ओम बिरला ने दोपहर में प्रस्ताव पर बहस शुरू करने के लिए कांग्रेस नेता गौरव गोगोई को बुलाया तो प्रल्‍हाद जोशी, जो संसदीय कार्य मंत्री हैं, उन्‍होंने कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार, अध्यक्ष के कार्यालय को सुबह 11.55 बजे एक पत्र मिला था कि गोगोई के स्थान पर राहुल गांधी बोलेंगे.

प्रल्‍हाद जोशी ने कहा, "पांच मिनट में क्या हुआ सर? समस्या क्या है सर? हम राहुल गांधी को सुनने के लिए बहुत उत्साहित हैं." मंत्री की इस टिप्पणी से लोकसभा में हंगामा मच गया और अध्यक्ष को गौरव गोगोई को बोलने के लिए कहने से पहले सदन के शांत होने का इंतजार करना पड़ा.

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अविश्वास प्रस्ताव, जिसके न गिरने की व्यावहारिक रूप से कोई संभावना नहीं है, विपक्ष द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मणिपुर में चल रही हिंसा पर बोलने के लिए मजबूर करने का एक प्रयास है. नियम 267 के तहत इस मुद्दे पर चर्चा की विपक्षी गठबंधन (INDIA) की मांग और सरकार के ऐसा करने से इनकार करने के कारण 20 जून को मानसून सत्र शुरू होने के बाद से संसद के दोनों सदनों में गतिरोध पैदा हो गया है.  

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वायनाड लोकसभा क्षेत्र से चुने गए राहुल गांधी की सदस्‍यता सोमवार को बहाल कर दी गई थी. 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने "मोदी उपनाम" टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में उनकी दोषसिद्धिसजा पर रोक लगा दी थी, लेकिन यह भी कहा कि उनकी टिप्पणियाँ उचित नहीं थीं, खासकर सार्वजनिक जीवन में किसी व्यक्ति से ऐसी बयानबाजी की उम्‍मीद नहीं की जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ट्रायल जज ने मामले में अधिकतम दो साल की सजा सुनाई थी और कहा था कि अगर सजा की अवधि एक दिन भी कम होती तो राहुल गांधी अयोग्य नहीं होते.

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