'सिर्फ 4 सेकेंड...' : चंद्रयान-3 को अंतरिक्ष में तबाह होने से ISRO के वैज्ञानिकों ने ऐसे बचाया

चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2:35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था. चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही भारत अमेरिका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ के बाद ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया. वहीं, चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग करने वाला भारत पहला देश है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2:35 बजे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था.
बेंगलुरु:

भारत का तीसरा लूनर मिशन चंद्रयान-3 ( Chandrayaan-3) 14 जुलाई 2023 को लॉन्च हुआ था. इसके लैंडर और रोवर ने 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव यानी साउथ पोल (South Pole) पर लैंडिंग की थी. ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है. हालांकि, ये मिशन आसान नहीं था. चंद्रयान-3 चांद पर पहुंचने से पहले ही अंतरिक्ष में कचरे और सैटेलाइट से टकराने से तबाह हो सकता था. इसलिए इससे बचने के लिए स्पेसक्राफ्ट की लॉन्चिंग में 4 सेकेंड की देरी की गई थी.

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) ने बीते शुक्रवार (26 अप्रैल) को 'भारतीय अंतरिक्ष स्थिति आकलन रिपोर्ट (ISSAR) 2023' जारी की है. इस रिपोर्ट में अंतरिक्ष पर्यावरण, इसके भविष्य के विकास और बाहरी अंतरिक्ष में सुरक्षित और टिकाऊ ऑपरेशन के लिए खतरों का आकलन किया गया है. इसरो ने इसी रिपोर्ट में चंद्रयान-3 को लेकर ये जानकारी दी.

Chandrayaan-3 रॉकेट का ऊपरी हिस्‍सा हुआ अनियंत्रित, पृथ्‍वी के वायुमंडल में एंट्री, कहां गिरेगा? जानें

ISRO चेयरमैन एस. सोमनाथ ने बताया कि लॉन्च व्हीकल्स के लिफ्ट-ऑफ क्लीयरेंस के लिए स्पेस एजेंसी कोलिजन अवॉइडेंस एनालिसिस करता है. इसे शॉर्ट में COLA कहते हैं. ये ISRO का अनिवार्य लॉन्च क्लीयरेंस प्रोटोकॉल है. ऐसा स्पेसक्राफ्ट के किसी भी टकराव से बचने के लिए किया जाता है.

इस रिपोर्ट में भारतीय अंतरिक्ष संपत्तियों के लिए विश्लेषण को भी रेखांकित किया गया है. ISRO ने कहा, "किसी भी महत्वपूर्ण ऑपरेशन से पहले स्पेसक्राफ्ट की सुरक्षा के लिहाज से कोलिजन अवॉइडेंस मैन्यूवर्स (Collision Avoidance Manoeuvres- CAM) किया जाता है."

कोलिजन एनालिसिस में हुई थी अंतरिक्ष मलबे के टुकड़े की पहचान
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कोलिजन एनालिसिस में ISRO के साइंटिस्टों ने अंतरिक्ष मलबे के एक टुकड़े की पहचान की थी. ये मलबा चंद्रयान के ऑर्बिटल फेज में टकराव की वजह बन सकता था. ऐसे में साइंटिस्टों ने चंद्रयान-3 मिशन को तय समय से 4 सेकेंड की देरी से लॉन्च करने का फैसला लिया. इस दौरान सुनिश्चित किया कि चंद्रयान-3 टकराव के खतरे के बिना चंद्रमा की अपनी यात्रा पर आगे बढ़ सके. 

ISRO ने फ‍िर चौंकाया! Chandrayaan-3 के ‘PM' को पृथ्‍वी पर वापस बुलाया, इससे क्‍या होगा? जानें

श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से हुई थी लॉन्चिंग
बता दें कि चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2:35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था. इस स्पेसक्राफ्ट के तीन हिस्से थे- प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर. प्रोपल्शन मॉड्यूल को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया गया था. लैंडर और रोवर ने 23 अगस्त को भारतीय समयानुसार शाम 6:04 बजे चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंडिंग की थी. 

चंद्रमा पर फ‍िर ‘जिंदा' हुआ जापान का SLIM लैंडर, चंद्रयान-3 नहीं कर पाया था ऐसा, जानें डिटेल

चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग वाला भारत चौथा देश
चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही भारत अमेरिका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ के बाद ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया. वहीं, चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग करने वाला भारत पहला देश है.

Advertisement


Chandryaan-3 के विक्रम लैंडर का कमाल! बंद होने के बावजूद औरों के आएगा काम!

Featured Video Of The Day
Russia Ukraine War Explained: Trump की ताजपोशी से पहले क्यों मची होड़