"आप गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाओं के खिलाफ क्यों हैं?": रेवड़ी विवाद के बीच KTR ने केंद्र से पूछा

तेलंगाना मंत्री ने कहा, "केंद्र सरकार लाखों-करोड़ों का कर्ज लेकर आती है, लेकिन उसके साथ कोई उपयोगी काम नहीं करती है. साथ ही, यदि राज्य सरकारें गरीबों के कल्याण के लिए कोई योजना लेकर आती हैं, तो वे इन योजनाओं पर मुफ्त का लेबल लगाकर जहर उगलती है.”

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हैदराबाद:

रेवड़ी कल्चर पर जारी बहस के बीच तेलंगाना कैबिनेट के मंत्री केटी रामा राव ने शनिवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने गरीबों के कल्याण को पहले ही नजरअंदाज कर रखा है और अब वो उन्हें राज्य सरकार की ओर से मिलने वाली मुफ्त सुविधावों पर भी बहस कर रही है, ताकि आम लोगों की जिंदगी और दयनीय हो जाए. 

उन्होंने कहा, "  पीएम मोदी इन दिनों उन्हें जब भी मौका मिल रहा है, रेवड़ी कल्चर पर बात कर रहे हैं. लेकिन उनके जुबान से ऐसी बातें सुनना हैरान करता है. केंद्र की बीजेपी वाली सरकार ने अपने आठ साल के कार्यकाल में आम आदमी के कल्याण के मुद्दे को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है, जिससे उनकी जिंदगी पर बोझ बढ़ गया है. वहीं अब सरकार ने उन्हें मिलने वाली मुफ्त सुविधावों पर बहस शुरू कर दी है, ताकि उनकी जिंदगी और दयनीय हो जाए." 

तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के कार्यकारी अध्यक्ष ने जीएसटी लगाने के लिए मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा, "मोदी सरकार दूध और दही जैसी आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी लगा रही है. लगातार बढ़ती महंगाई ने गरीब जनता की कमर तोड़ दी है." उन्होंने दावा किया कि मोदी के आठ साल के शासन के दौरान, देश में गरीबी इतनी बढ़ गई है कि अब हम नाइजीरिया की तुलना में अधिक गरीब लोगों के लिए बदनाम हैं.

उन्होंने कहा, "भारत अब ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 116 देशों में 101वें स्थान पर है - जो शर्म की बात है. केंद्र द्वारा जारी आंकड़े यह स्पष्ट करते हैं कि देश में पैदा हुए 35.5 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं." केटीआर ने कहा कि मोदी से पहले के 14 प्रधानमंत्री मिलकर देश के 56 लाख करोड़ रुपये के कर्ज के लिए जिम्मेदार थे जबकि अकेले मोदी सरकार ने 80 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज लिया.

उन्होंने दावा किया, हाल ही में, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने एक गंभीर चेतावनी जारी की कि देश की वार्षिक आय का 37 प्रतिशत केंद्र सरकार द्वारा उधार लिए गए धन के ब्याज का भुगतान करने पर खर्च किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सीएजी ने चेतावनी दी है कि अगर ऐसे ही हालात बने रहे तो ''देश की अर्थव्यवस्था के कोलैप्स होने'' का खतरा है.

तेलंगाना मंत्री ने कहा, "केंद्र सरकार लाखों-करोड़ों का कर्ज लेकर आती है, लेकिन उसके साथ कोई उपयोगी काम नहीं करती है. साथ ही, यदि राज्य सरकारें गरीबों के कल्याण के लिए कोई योजना लेकर आती हैं, तो वे इन योजनाओं पर मुफ्त का लेबल लगाकर जहर उगलती है.” उन्होंने आगे कहा कि भारत एक "कल्याणकारी राज्य" है जैसा कि हमारे संविधान में लिखा गया है.

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उन्होंने कहा, " मैं प्रधान मंत्री को याद दिलाना चाहता हूं कि भारत एक "कल्याणकारी राज्य" है जैसा कि हमारे संविधान में लिखा गया है. भारत के संविधान में निदेशक सिद्धांत नागरिकों को आश्वस्त करते हैं कि सरकार हमेशा लोगों के कल्याण के लिए काम करेगी, उन्हें सामाजिक न्याय प्रदान करेगी." 

निर्देशक सिद्धांतों के अनुसार, भारत सरकार को अपने सभी नागरिकों को लिंग, धर्म, जाति, पंथ या आर्थिक स्थिति के भेदभाव के बिना समान आजीविका प्रदान करनी चाहिए। लेकिन, यह एक कड़वा सच है कि स्वतंत्र भारत के 75 साल में हमारा देश इन नीति निर्देशक सिद्धांतों को लागू करने में काफी पीछे है. 

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