बिहार में बीजेपी और जेडीयू एक दूसरे को नसीहत क्यों दे रहे हैं?

संजय जायसवाल ने लिखा है, "मर्यादा की पहली शर्त है कि देश के प्रधानमंत्री से ट्विटर-ट्विटर ना खेलें. प्रधानमंत्री जी प्रत्येक बीजेपी कार्यकर्ता के गौरव भी हैं और अभिमान भी. उनसे अगर कोई बात कहनी हो तो सीधी बातचीत करें.

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पटना:

बिहार सरकार में गठबंधन के सहयोगी बीजेपी (BJP) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) एक दूसरे से उलझे हुए हैं. फिर वो चाहे शराबबंदी का मुद्दा हो या जातिगत जनगणना या फिर सम्राट अशोक के बारे में बीजेपी के एक पूर्व सदस्य की विवादित टिप्पणी, इन सभी विषय पर राज्य के दोनों सरहयोगी दलों में खींचतान चलती रहती है. सोमवार को तो बिहार बीजेपी अध्यक्ष डॉक्टर संजय जायसवाल ने यहां तक कह डाला कि सहयोगियों के बीच सीधी बातचीत होनी चाहिए. अगर ट्विटर-ट्विटर खेलेंगे तो 76 लाख बीजेपी कार्यकर्ता इसका जवाब देना अच्छे से जानते हैं.

भले 30 से कम सीटें आने के बाद जनता दल यूनाइटेड सुप्रीमो को भाजपा ने मुख्यमंत्री मान लिया लेकिन अब उनकी वो किसी मुद्दे पर नसीहत नहीं सुनना चाहते. लेखक दया प्रकाश सिन्हा द्वारा सम्राट अशोक के बारे में कुछ विवादास्पद टिप्पणी पर उन्हें दिया गया पद्म श्री और साहित्य अकादमी पुरस्कार वापस लेने की जेडीयू नेता उपेन्द्र कुशवाहा और ललन सिंह की मांग पर एक पोस्ट में बिहार बीजेपी के अध्यक्ष डॉक्टर संजय जायसवाल ने साफ़ कहा, '74 वर्षों में एक घटना नहीं हुई जब किसी का पद्म श्री पुरस्कार वापस लिया गया हो. बीजेपी की एफ़आईआर के बाद बिहार सरकार को उन्हें गिरफ़्तार कर फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट से सजा दिलानी चाहिए. लेकिन बिहार सरकार अच्छे वातावरण में शांति से चले यह सिर्फ़ हमारी ज़िम्मेदारी नहीं बल्कि आपकी भी है.' 

जायसवाल के इस तीखे तेवर के पोस्ट के बाद भी उपेन्द्र कुशवाहा ने अपनी मांग फिर दोहराई.  जनता दल यूनाइटेड संसदीय दल के अध्‍यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा, “भारतीय जनता पार्टी के लोग आज चाहें तो कल पुरस्कार वापस हो सकता है, तो पुरस्कार वापसी की जो हम लोग़ों की मांग है, इस मांग से पीछे हटने वाले नहीं हैं और हमारा विरोध जारी रहेगा.''

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वहीं बिहार बीजेपी के नेताओं का कहना है कि भले सरकार को कोई ख़तरा ना हो लेकिन सब मुद्दे पर अब वो नीतीश कुमार के करीबी नेताओं के उपदेश नहीं सुनेंगे.श्रम मंत्री जीवेश मिश्रा ने कहा, “वो अब क्यों बोल रहे हैं जब सरकार शांति से चल रही है, उसमें ख़लल उत्पन्न करना चाहते हैं. ये तो उपेंद्र कुशवाहा जानें, सरकार में रह कर सरकार के सहयोगी दल को टारगेट में ले रहे हैं. विपक्ष के लिए उनकी बातें कभी अच्छी बुरी नहीं आती हैं.'

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दरअसल ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा ने कुछ दिनों पहले साहित्यकार दयाप्रकाश सिन्हा से पद्म श्री और साहित्य अकादमी पुरस्कार वापस लेने की मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति से की थी. जेडीयू नेताओं का आरोप था कि लेखक दयाप्रकाश ने सम्राट अशोक के बारे में झूठ लिखा है और उनकी औरंगजेब से तुलना कर अपमान किया है.

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दोनों नेताओं ने इस बारे में प्रधानमंत्री को ट्विटर पर टैग भी किया था. इसी का उल्लेख करते हुए संजय जायसवाल ने लिखा है, "मर्यादा की पहली शर्त है कि देश के प्रधानमंत्री से ट्विटर-ट्विटर ना खेलें. प्रधानमंत्री जी प्रत्येक बीजेपी कार्यकर्ता के गौरव भी हैं और अभिमान भी. उनसे अगर कोई बात कहनी हो तो सीधी बातचीत करें. मुझे पूरा विश्वास है कि भविष्य में हम सब इसका ध्यान रखेंगे."

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