दिल्ली सरकार बनाम LG मामला : SC में केंद्र सरकार ने ट्रांसफर-पोस्टिंग पर जताया अपना हक

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यूनियन सर्विस, यूनियन पब्लिक सर्विस और यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन यह सब ऑल इंडिया सर्विस के नियम के तहत आते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins

दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल मामले में अफसरों के ट्रांसफर- पोस्टिंग पर अधिकार किसका? संविधान पीठ में तीसरे दिन की सुनवाई जारी है. केंद्र सरकार ने अफसरों के ट्रांसफर- पोस्टिंग पर अपना हक जताया है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यूनियन सर्विस, यूनियन पब्लिक सर्विस और यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन यह सब ऑल इंडिया सर्विस के नियम के तहत आते हैं. सवाल राष्ट्रीय राजधानी के बारे में है और इसका असर दूर तक होगा और दिल्ली एक अलग अवधारणा के तहत बनाई गई थी.

दिल्ली एक ऐसा महानगरीय लघु भारत है, जो भारत में है. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि देखें दिल्ली में चीफ कमिश्नर प्रोविज़न रहा है, संघीय राज्य नहीं रहा है. संविधान के लागू होने से पहले, स्वतंत्रता से भी पहले भी, संविधान सभा ने अनुरोध  किया था कि दिल्ली की विशेष जिम्मेदारी होनी चाहिए, क्योंकि यह राष्ट्रीय राजधानी है. राष्ट्र अपनी राजधानी द्वारा जाना जाता है. दिल्ली पार्ट C राज्यों में आता है. यह पूर्ण राज्य नहीं है. ये केंद्र शासित क्षेत्र संघ का ही विस्तार है. यह कई तरह के हो सकते हैं. कुछ के पास विधानमंडल हो सकता है. कुछ में नही होता, लेकिन अंततः केंद्रीय शासित क्षेत्र का प्रभुत्व और नियंत्रण न केवल समय की आवश्यकता है, बल्कि हमेशा ऐसा रहेगा.

दिल्ली की एक विशिष्ट स्थिति है, इसे सभी राज्यों को अपनेपन की भावना सुनिश्चित करना है. गृहमंत्री ने यह कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी पर राष्ट्रीय सरकार का पूर्ण नियंत्रण होना चाहिए,  यह 239 एए की पूर्वगामी है. अगर दिल्ली को एक पूर्ण राज्य बनाया जाता है तो केंद्र के लिए लोक व्यवस्था, जन स्वास्थ्य, अनिवार्य सेवाओं आदि पर नियंत्रण रखना असंभव होगा. यह नियंत्रण की बात नहीं है, यह भारत के संविधान की व्याख्या का मामला है.

Featured Video Of The Day
SCO Summit 2025: भारत में जातीय हिंसा भड़काना चाहता है America? | Donaldo Trump | Peter Navarro
Topics mentioned in this article