चिप इंडस्ट्री के बादशाह हैं ये 5 देश, दुनिया की 60% चिप एक अकेली कंपनी बनाती है

हर स्मार्ट डिवाइस के अंदर सेमीकंडक्टर चिप की एक छोटी सी दुनिया बसी होती है. नन्हे से ये पुर्जे आज की डिजिटल दुनिया की रीढ़ हैं. ये चिप इतने अहम हैं कि दुनिया के चंद देशों के पास ही इन्हें बनाने की क्षमता है.

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  • कंप्यूटर से लेकर स्मार्टफोन और स्पेसक्राफ्ट तक, हर स्मार्ट डिवाइस चिप से ही चलती है.
  • चिप की दुनिया में ताइवान का राज है. 60 फीसदी चिप यहीं की एक कंपनी बनाती है.
  • चिप मार्केट 2025 में 697 अरब डॉलर और 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर होने का अनुमान है.
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कंप्यूटर से लेकर स्मार्टफोन और स्पेसक्राफ्ट तक, हर स्मार्ट डिवाइस के अंदर एक छोटी सी दुनिया बसी होती है. ये दुनिया है सेमीकंडक्टर चिप्स की. नन्हे से ये पुर्जे आज की डिजिटल दुनिया की रीढ़ हैं. ये चिप इतने महत्वपूर्ण हैं कि दुनिया के चंद देशों के पास ही इन्हें बनाने की क्षमता है. आइए बताते हैं कि सेमीकंडक्टर चिप के मामले में दुनिया के टॉप 5 देश कौन से हैं. उनके पास आखिर ऐसा क्या है कि वो नन्ही सी चिप की बदौलत पूरी दुनिया पर राज करते हैं. 

चिप के अंदर होता क्या है?

हर चिप देखने में भले ही छोटी लगे, लेकिन उसके अंदर अरबों की संख्या में बेहद बारीक स्विच का पूरा शहर बसा होता है. इन स्विच को ट्रांजिस्टर कहा जाता है, जो कंप्यूटर की भाषा 0 और 1 के अनुरूप पावर को ऑन या ऑफ करते हैं. इसमें डायोड होते हैं, जो बिजली को सिर्फ एक दिशा में बहने देते हैं. कैपेसिटर छोटी सी बैटरी की तरह काम करते हैं और बिजली के चार्ज को स्टोर करते हैं. इसके अलावा रजिस्टर बिजली के प्रवाह को कम करने का काम करते हैं. इन सभी को तार के जरिए जोड़कर सर्किट बनाया जाता है. 

ये हैं चिप इंडस्ट्री के बादशाह 

ताइवान

चिप की दुनिया में आज की तारीफ में ताइवान का सिक्का चलता है. यहां की TSMC दुनिया की सबसे बड़ी चिपमेकर कंपनी है. 2025 की बात करें तो दुनिया में जितनी भी चिप बनीं, उनमें से करीब 60 फीसदी इसी की हैं. ये कंपनी अल्ट्रा एडवांस 3 नैनोमीटर और 2 नैनोमीटर की चिप भी बनाती है. एप्पल, एनवीडिया, एएमडी और क्वालकॉम जैसी नामी कंपनियों में भी इसी की चिप लगी होती हैं. एडवांस चिप में से 90 फीसदी तक ताइवान की होती हैं. 

अमेरिका

अमेरिका को चिप डिजाइन और आरएंडडी (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) का पावरहाउस माना जाता है. चिप आर्किटेक्चर, लॉजिक डिजाइन और इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन ऑटोमेशन (EDA) के फील्ड में अमेरिकी कंपनियों का दबदबा है. यहां की इंटेल, एएमडी, एनवीडिया, क्वालकॉम, ब्रॉडकॉम और माइक्रोन जैसी कंपनियों दुनिया भर में चर्चित हैं. इतना ही नहीं, सेमीकंडक्टर इक्विपमेंट और सॉफ्टवेयर में भी अमेरिका की तूती बोलती है. 

साउथ कोरिया

मेमोरी चिप प्रोडक्शन के मामले में दक्षिण कोरिया ग्लोबल लीडर है. मेमोरी सेव करने में इन्हीं चिप का इस्तेमाल होता है. DRAM और NAND फ्लैश चिप के 60 फीसदी मार्केट पर कोरियाई सैमसंग इलेक्ट्ऱॉनिक्स और एसके हाइनिक्स का कब्जा है. दक्षिण कोरिया अब एआई चिप, अगली पीढ़ी के सेमीकंडक्टर आदि पर फोकस कर रहा है. 

चीन 

सेमीकंडक्टर चिप उत्पादन में चीन भी बड़ा खिलाड़ी है. वहां की SMIC, यांगतेज मेमोरी और हुआवेई हाईसिलिकॉन जैसी कंपनियों ने काफी विस्तार किया है. चिप उत्पादन के साथ ही चीन सेमीकंडक्टर चिप का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है. दुनिया की करीब 30 फीसदी चिप यहीं पर खप जाती हैं. इन्हीं चिप से तैयार इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स को चीन दुनिया भर में सप्लाई करता है. 

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जापान

ग्लोबल सेमीकंडक्टर चिप सप्लाई चेन में जापान का प्रमुख स्थान है. तोक्यो इलेक्ट्रॉन, निकॉन, कैनन और स्क्रीन जैसी कंपनियां वह सब बनाती हैं, जो चिप निर्माण में इस्तेमाल होती हैं. चिप बनाने में इस्तेमाल होने वाली चीजों का जापान प्रमुख उत्पादक है. 

दुनिया में चिप की कितनी खपत

सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में पिछले साल से तेज उछाल आया है. डेलोइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में सेमीकंडक्टर मार्केट 627 अरब डॉलर का था. 2025 में इसके 697 अरब डॉलर और 2030 तक 1 ट्रिलियन (खरब) डॉलर होने का अनुमान है. अब दौर एआई का है,  और एआई चिप इसका ईंधन है. अनुमान है कि इस साल एआई चिप का मार्केट 150 अरब डॉलर से अधिक हो सकता है. 

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भारत में चिप का बड़ा मार्केट

भारत चिप का एक बेहद विशाल बाजार है. देश में सेमीकंडक्टर चिप का बाजार 2024-25 में करीब 50 अरब डॉलर का रहा. इसके 2026 तक 80 अरब डॉलर और 2030 तक 110 अरब डॉलर से भी अधिक होने का अनुमान है. भारत अपनी जरूरत की अधिकतर चिप अभी ताइवान, चीन, कोरिया और वियतनाम से आयात करता है. 

भारत में चिप क्रांति का आगाज

भारत में चिप इंडस्ट्री की नींव उस समय पड़ी थी, जब 1980 के दशक में मोहाली में सेमीकंडक्टर कॉम्प्लेक्स लिमिटेड की स्थापना की गई थी. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसे असली गति मिली है. मेक इन इंडिया जैसी पहल और इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन और सेमीकॉन इंडिया प्रोग्राम के तहत भारत में चिप रिसर्च और डेवलपमेंट का  मजबूत इकोसिस्टम तैयार किया जा रहा है.

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देश में 10 सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट 

भारत में इस वक्त 6 राज्यों में 10 सेमीकंडक्टर प्रोजेक्टों पर काम चल रहा है. इनमें करीब 1.60 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया है. इनके प्लांट गुजरात के साणंद व धौलेरा, असम के मोरीगांव और यूपी के जेवर लग रहे हैं या लग चुके हैं. इसके अलावा ओडिशा के भुवनेश्वर में 2 और पंजाब व आंध्र प्रदेश में एक-एक प्रोजेक्ट को हाल ही में मंजूरी दी गई है. 

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