झालावाड़ स्कूल हादसा की जिम्मेदारी किसकी और कहां हुई चूक? जानें सबकुछ

राजस्थान के झालावाड़ जिले के पलोदी गांव में शुक्रवार को सरकारी स्कूल की छत गिरने से करीब 20 बच्चे घायल हो गए थे. इस हादसे में 7 मासूम बच्चों की मौत की पुष्टि की गई है. इस दर्दनाक हादसे से प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया है.

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राजस्थान : झालावाड़ में स्कूल की छत गिरी, 7 बच्चों की मौत, 20 घायल
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  • झालावाड़ में स्कूल इमारत गिरने के बाद 5 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है
  • ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल की इमारत लगभग 50 साल पुरानी है और उसकी हालत बहुत ही जर्जर हो चुकी थी.
  • गांववालों का आरोप है कि कई बार प्रशासन को स्कूल की स्थिति को लेकर शिकायत की थी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया
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झालावाड़:

झालावाड़ में स्कूली इमारत ढहने के दर्दनाक हादसे के बाद प्रदेशभर में रोष है. प्रारंभिक जांच के आधार पर कार्यवाहक प्रिंसिपल सहित 5 अधिकारियों को निलंबित कर दिया है. लेकिन विपक्ष शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के इस्तीफे की मांग कर रहा है. दरअसल यह हादसा सिर्फ एक स्कूल इमारत के ढहने का नहीं बल्कि सिस्टम की विफलता का प्रतीक है. इस हादसे के लिए 5 प्रमुख चेहरों को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराए जा रहा. जिनकी लापरवाही और चूक ने मासूमों की जान ले ली.

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर

शिक्षा मंत्री के तौर पर मदन दिलावर की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की नीतिगत देखरेख और प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना है. जर्जर स्कूली इमारतों का मुद्दा लंबे समय से उठ रहा था. लेकिन उनपर ध्यान देने या ठोस कार्यवाही करने में मंत्री उदासीन रहे. उनकी निगरानी में कमी के कारण ही ऐसे महत्वपूर्ण विषयों पर त्वरित निर्णय नहीं लिए गए और जमीनी स्तर पर निर्देशों का पालन सुनिश्चित नहीं हो पाया. हालांकि मदन दिलावर ने अपनी ज़िम्मेदारी मानते हुए सिस्टम को ठीक करने की बात कही है. 

प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के निदेशक सीताराम जाट

निर्देशों की अनदेखी और जवाबदेही की कमी

प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के निदेशक होने के नाते सीताराम जाट की जिम्मेदारी सरकारी स्कूल की जर्जर इमारतों की पहचान, मरम्मत या उन्हें गिराने ठीक करने के संबंध में स्पष्ट निर्देश जारी करना और उनके पालन को सुनिश्चित करना है. यह आरोप है कि निदेशालय ने इस संबंध में पर्याप्त सक्रियता नहीं दिखाई और न ही फील्ड अधिकारियों से नियमित रिपोर्ट मांगी अगर निर्देश जारी भी हुए तो उनका प्रभावी अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया गया. जिससे यह प्रतीत होता है कि जवाबदेही तय करने में भी उनकी चूक हुई है.

झालावाड़ जिला कलेक्टर- अजय सिंह राठौड़ 

ज़िले में सुरक्षा मानकों की अनदेखी

ज़िले के मुखिया होने के नाते झालावाड़ जिला कलेक्टर की ज़िम्मेदारी है कि वे जिले के सभी सरकारी भवनों, विशेषकर स्कूलों की सुरक्षा सुनिश्चित करें. इसमें समय-समय पर सुरक्षा ऑडिट करवाना, जर्जर इमारतों की पहचान करना और उनके सुधार या स्थानांतरण के लिए आवश्यक कदम उठाना शामिल है. हादसे वाली स्कूल की इमारत की जर्जर स्थिति की जानकारी होने के बावजूद, यदि उन्होंने त्वरित और निर्णायक कार्रवाई नहीं की, तो यह उनकी प्रशासनिक लापरवाही का स्पष्ट प्रमाण है.

मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी राम सिंह मीणा

सीधी फील्ड स्तरीय लापरवाही

इनकी भूमिका ज़िले के स्कूलों की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों और उनके रखरखाव की सीधी निगरानी करने की है. जर्जर इमारतों के बारे में जानकारी होने और उन्हें प्राथमिकता के आधार पर ठीक करवाने या बच्चों को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने की जिम्मेदारी थी. यदि उन्हें स्कूल की खराब हालत की जानकारी थी और उन्होंने आवश्यक कार्रवाई के लिए उच्च अधिकारियों को सूचित नहीं किया या उनके निर्देशों का पालन नहीं किया, तो यह सीधी फील्ड स्तरीय लापरवाही है.

कार्यवाहक स्कूल प्रिंसिपल - मीना गर्ग 

बच्चों की सुरक्षा के प्रति उदासीनता

स्कूल प्रिंसिपल की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी स्कूल परिसर में बच्चों और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. ग्रामीणों की शिकायत और खुद की मॉनिटरिंग के चलते कार्यवाहक प्रिंसिपल को इमारत की जर्जर स्थिति के बारे में जानकारी थी इसके बाद भी बच्चों को उस खतरनाक इमारत में पढ़ने की अनुमति दी तो यह उनकी ओर से बच्चों की सुरक्षा के प्रति घोर उदासीनता को दर्शाता है. यह उनकी कर्तव्यनिष्ठता में बड़ी चूक है, जिसके लिए वे सीधे तौर पर जवाबदेह हैं. सरकार ने चार शिक्षकों के साथ उनको भी निलंबित कर दिया है.

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कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि ये केवल हादसा नहीं है बल्कि एक पूरी व्यवस्था की विफलता है. जहां लापरवाही की परतों ने एक दर्दनाक त्रासदी को जन्म दिया है. अब देखना यह है कि सरकार इस मामले में क्या ठोस कदम उठाती है 

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