महाराष्ट्र में 11 विधान परिषद सीटों के चुनावों के लिए उद्धव ठाकरे ने मिलिंद नार्वेकर को अचानक उतारकार महाविकास अघाडी (MVA) में हलचल तेज कर दी थी. उद्धव ठाकरे के 12वें खिलाड़ी ने ऐसा खेल दिखाया कि सब चौंक गए. मिलिंद नार्वेकर के चुनाव मैदान में उतरने के साथ ही ये आशंका जताई जा रही थी कि क्रॉस वोटिंग हो सकती है, और अब देखने को भी यही मिला. मिलिंद नार्वेकर के पास सिर्फ 15 वोट थे, लेकिन जब परिणाम सामने आया, तो उनके खाते में 22 प्रथम वरीयता के वोट थे. महाराष्ट्र में आखिर एमवीए में क्या खेला हुआ और कैसे कांग्रेस और एनसीपी का गणित बिगड़ गया, आइए समझाते हैं.
जयंत पाटिल चुनाव क्यों हारे?
महाराष्ट्र विधान परिषद के लिए 11 सीटों पर हुए चुनाव में एनडीए के सभी 9 उम्मीदवारों ने उम्मीद के मुताबिक जीत हासिल की. इसमें बीजेपी के 5, शिवसेना (शिंदे गुट) के 2 और एनसीपी (अजित पवार गुट के) 2 प्रत्याशियों को सफलता मिली है. वहीं कांग्रेस के एक उम्मीदवार और शिवसेना (उद्धव गुट) के एक उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है. शरद पवार की अगुवाई वाली राकांपा द्वारा समर्थित पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी (पीडब्ल्यूपी) के उम्मीदवार जयंत पाटिल चुनाव हार गए. शरद पवार को उम्मीद नहीं थी कि जयंत पाटिल चुनाव हार जाएंगे, क्योंकि उनके पास 12 वोट थे.
कांग्रेस के साथ हुआ खेला!
इन चुनावों में कांग्रेस ने अपनी और से एक उमीदवार मैदान में उतरा था, जिसे जीत मिल गई. इसके अलावा कांग्रेस के पास मौजूद विधायकों की संख्या को देखते हुए अतिरिक्त 14 वोट थे. ऐसा माना जा रहा था कि ये 14 वोट जयंत पाटिल को पड़ेंगे. राकांपा ने पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी के उम्मीदवार जयंत पाटिल को काफी पहले ही समर्थन करने का ऐलान कर दिया था. तब तक उद्वव ठाकरे ने मिलिंद नार्वेकर को चुनाव मैदान में नहीं उतारा था. ऐसे में माना जा रहा था कि कांग्रेस के अतिरिक्त 14 वोट जयंत पाटिल को ही पड़ेंगे, लेकिन यहीं खेला हो गया. उद्धव ठाकरे ने अपने 12 मैन उतारकार कांग्रेस और एनसीपी को पूरा गतिण बिगाड़ दिया.
नार्वेकर के उतरते ही बढ़ी क्रॉस वोटिंग की आशंका
मिलिंद नार्वेकर के महाराष्ट्र विधान परिषद के चुनाव में उतरते ही ये मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया था. उद्धव ठाकरे के वफादार मिलिंद एक बेहतरीन रणनीतिकार माने जाते हैं. उनकी छवि काफी अच्छी है, साथ ही अन्य पार्टी के नेताओं से भी उनके अच्छे संबंध हैं. इसलिए मिलिंद के मैदान में उतरते ही यह तय था कि क्रॉस वोटिंग होगी. उद्धव ठाकरे ने भी पूरी रणनीति के तहत मिलिंद को चुनाव में उतारा था. आखिरी समय में उनका नाम सामने लाया गया, ताकि किसी को सोचने का मौका ही न मिल पाए. और देखने को भी ऐसा ही मिला. मिलिंद नार्वेकर के पास सिर्फ 15 वोट थे, लेकिन क्रॉस वोटिंग के जरिए उनके खाते में 7 और वोट आ गए. कांग्रेस ने भी इस बात को माना कि उनकी पार्टी से 7 क्रॉस वोट पड़े.
आखिर कौन हैं मिलिंद नार्वेकर?
मिलिंद नार्वेकर को उद्धव ठाकरे का बेहद करीबी और विश्वासपात्र माना जाता है. वह शिवसेना पार्टी के अहम रणनीतिकारों में से एक हैं. नार्वेकर ने तब भी उद्धव ठाकरे का साथ नहीं छोड़ा था, जब एकनाथ शिंदे ने पार्टी को तोड़ा था. दरअसल, नार्वेकर की ठाकरे परिवार से रिश्ते दशकों पुराने हैं. साल 2018 में नार्वेकर को पार्टी सचिव बनाया था, तभी से यह साफ हो गया था कि उनका कद और बढ़ेगा. हालांकि, 2022 में जब एकनाथ शिंदे अलग हुए थे, तब ऐसा माना गया था कि नार्वेकर भी उद्धव ठाकरे का साथ छोड़कर चले जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
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